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    Ghatshila Byelection 2025: घाटशिला पर आसानी से दावेदारी नहीं छोड़ेंगे प्रदीप बलमुचू, JMM की बढ़ेगी टेंशन!

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 09:30 PM (IST)

    घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारी से राज्य की राजनीति में गर्मी आ गई है। पूर्व मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण यह सीट खाली हुई। झामुमो ने सोमेश सोरेन को मैदान में उतारने का फैसला किया है। कांग्रेस के प्रदीप कुमार बलमुचू ने भी मजबूत दावा ठोका है जिससे गठबंधन में हलचल है। कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के बाद बलमुचू अगली रणनीति का खुलासा करेंगे।

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    घाटशिला पर आसानी से दावेदारी नहीं छोड़ेंगे प्रदीप बलमुचू

    राज्य ब्यूरो, रांची। घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारी ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। पूर्व मंत्री रामदास सोरेन के असामयिक निधन के कारण यह सीट खाली हुई थी। यहां बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव होने की संभावना है। दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को झामुमो ने मैदान में उतारने का फैसला किया है।

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    हालांकि, इस उपचुनाव के परिणाम का असर राज्य सरकार की स्थिरता पर सीधा नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह एक सीट का मामला है। फिर भी यह सत्तारूढ़ गठबंधन की एकजुटता की परीक्षा होगी।

    झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू ने घाटशिला सीट पर मजबूत दावा ठोका है। तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके बलमुचू का कहना है कि यह कांग्रेस का परंपरागत गढ़ है। वे कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में खूंटी सीट का त्याग किया था, लेकिन अब वे घाटशिला पर आसानी से पीछे हटने को तैयार नहीं।

    उनके अनुसार, यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तोड़ा जा रहा है, जिससे पार्टी का आधार कमजोर हो रहा। बलमुचू ने प्रदेश प्रभारी के. राजू और राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष अपने तर्क रखे हैं। वे दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात होगी।

    गठबंधन में उत्पन्न हलचल और धर्मसंकट

    कांग्रेस ने औपचारिक रूप से झामुमो का समर्थन घोषित किया है। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने निर्देश जारी कर कहा कि घाटशिला में गठबंधन का साथ दिया जाएगा। लेकिन बलमुचू के दावे ने गठबंधन में हलचल मचा दी है। सत्तारूढ़ झामुमो के लिए यह सीट महत्वपूर्ण है, क्योंकि रामदास सोरेन की विरासत को बचाना है।

    बलमुचू की दावेदारी से गठबंधन के समक्ष धर्मसंकट पैदा हो गया है। बलमुचू का तर्क है कि उपचुनाव में दोनों दलों के लड़ने से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बहरहाल प्रदीप बलमुचू द्वारा अपनी दावेदारी पर अड़े रहने से घाटशिला फोकस में आ गया है। कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करने के बाद वे अगली रणनीति का खुलासा करेंगे।