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Hemant Soren: BMW कार से लेकर 6 लाख की मसाज चेयर तक... सोरेन के खिलाफ ED को अबतक क्या-क्या मिला?

Hemant Soren ED जमीन घोटाला मामले में ईडी की टीम लगातार जांच कर रही है और आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने में लगी है। इस दौरान कई ठोस सबूत जुटाए हैं। ईडी की जांच से कुछ बातें छनकर सामने आई है जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि जमीन घोटाले के आरोपियों ने विलासिता की वस्तुओं की भी जमकर खरीददारी की है।

By Dilip Kumar Edited By: Shashank Shekhar Published: Tue, 05 Mar 2024 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2024 03:00 PM (IST)
Hemant Soren: BMW कार से लेकर 6 लाख की मसाज चेयर तक... सोरेन के खिलाफ ED को अबतक क्या-क्या मिला?

राज्य ब्यूरो, रांची। जमीन घोटाला मामले में जांच कर रही ईडी को अभियुक्तों के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कई ठोस सबूत जुटाया है। ईडी के अनुसंधान से संबंधित कुछ बातें छनकर सामने आई है, जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि जमीन घोटाले के अभियुक्तों ने विलासिता की वस्तुओं की भी जमकर खरीदारी की है। इन वस्तुओं में बीएमडब्ल्यू कार से लेकर मालिश करने वाली कुर्सी तक शामिल हैं।

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मालिश करने वाली कुर्सी मेड इन सिंगापुर है, जो गुरुग्राम के एंबिएंस मॉल से खरीदी गई है। बताया जा रहा है कि उसके लिए छह लाख रुपये का भुगतान किया गया है। बीएमडब्ल्यू कार खरीदने जाने वालों का सीसीटीवी फुटेज भी ईडी को मिला है, जिसमें एक अभियुक्त कार का कलर पसंद करने गए थे। ईडी को यह जानकारी उक्त बीएमडब्ल्यू कार के शोरूम के संचालक ने दी है। ईडी ने सभी साक्ष्यों से संबंधित दस्तावेज एकत्रित कर लिया है।

इस माह के अंत तक चार्जशीट दायर करेगी ईडी

जमीन घोटाला मामले के दो अभियुक्तों पर इस माह के अंत तक ईडी चार्जशीट करेगी। इन अभियुक्तों में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व बड़गाईं अंचल के पूर्व राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद शामिल हैं। दोनों ही अभियुक्त सदर थाने में दर्ज केस में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच के क्रम में गिरफ्तार हैं और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं।

सदर थाने में यह केस बड़गाईं के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार के बयान पर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ईडी ने जमीन घोटाले में छापेमारी के दौरान भानु प्रताप प्रसाद के निजी आवास से 11 ट्रंक कागजात की बरामदगी की थी। ये सभी मूल दस्तावेज थे, जो कार्यालय में होने के बजाए भानु प्रताप के आवास में थे। इन्हीं कागजातों में फेरबदल कर जमीन की प्रकृति से लेकर रैयत तक के नाम में हेराफेरी की जाती थी।

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