Ranchi News: रिम्स ने आधी आबादी को दी बड़ी राहत, फ्री में हो रही महिलाओं के कैंसर की जांच
राँची के रिम्स अस्पताल में महिलाओं के लिए मुफ्त कैंसर जांच की सुविधा शुरू की गई है। यह सुविधा पेट अंडाशय और गर्भाशय के कैंसर की जांच के लिए है जिससे अब महिलाओं को प्राइवेट लैबों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। प्रतिदिन औसतन 7-8 महिलाएं जांच के लिए आ रही हैं जिन्हें 24 घंटे में रिपोर्ट मिल रही है।

अनुज तिवारी, रांची। राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) ने महिलाओं के लिए कैंसर जांच की निश्शुल्क सुविधा शुरू कर दी है। यह सुविधा रिम्स ट्रामा सेंटर स्थित सेंट्रल लैब में शुरू की गई है।
विशेष रूप से पेट (एब्डोमिनल कैंसर), अंडाशय (ओवरी कैंसर) और गर्भाशय (यूटेरस कैंसर) से संबंधित रोगों की जांच के लिए प्रारंभ की गई है।
अब तक महिलाएं इन जांचों के लिए निजी जांच लैब पर निर्भर थीं, जहां एक जांच की लागत तीन से पांच हजार रुपये तक आती थी, लेकिन रिम्स में अब यह जांच बिल्कुल मुफ्त होने के बाद आधी आबादी के पीड़ितों के लाभ मिलेगा।
यह कदम महिलाओं के लिए बड़ी राहत साबित होगा, क्योंकि राज्य में महिलाओं में कैंसर के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं।
मालूम हो कि रिम्स के कैंसर विभाग में प्रतिदिन करीब 200 रोगी बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में पहुंचते हैं, जिनमें से औसतन 10 रोगी महिलाओं से जुड़े कैंसर के होते हैं। अब तक जांच की सुविधा न होने के कारण उन्हें बाहर जाकर महंगी जांच करानी पड़ती थी।
नयी व्यवस्था से न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि रोगियों को उपचार के लिए उचित दिशा भी मिलेगी। सेंट्रल लैब के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. साकेत वर्मा के अनुसार नयी व्यवस्था के तहत प्रतिदिन औसतन 7 से 8 महिलाएं इन जांचों के लिए पहुंच रही हैं।
जांच कराने के बाद रोगियों को मात्र 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध करा दी जा रही है। इसके साथ ही सेप्सिस (रक्त संक्रमण) से जुड़ी सभी जांचों की भी शुरुआत हो रही है।
कौन-कौन सी तीन जांचें शुरू हुई
1. सीए-99 (कार्बोहाइड्रेट एंटिजेन-99) :
प्रयोग : पेट और अग्न्याशय से संबंधित कैंसर की पहचान के लिए।
महत्व : शुरुआती अवस्था में पेट के कैंसर की पहचान करने में सहायक।
2. सीए-125 (कैसर एंटिजेन-125) :
प्रयोग : अंडाशय (ओवरी) कैंसर की जांच के लिए।
महत्व : महिलाओं में अंडाशय की गांठ (ट्यूमर) और कैंसर की पहचान करने का सबसे विश्वसनीय परीक्षण।
3. बीटा-एचसीजी (बीटा-ह्यूमन क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन) :
प्रयोग : गर्भाशय (यूटरस) और वृषण कैंसर की पहचान के लिए।
महत्व : महिलाओं में गर्भाशय से जुड़े कैंसर और पुरुषों में वृषण कैंसर के मामलों में यह जांच महत्त्वपूर्ण।
कैंसर के और दो बड़ी जांच शुरू करने की तैयारी
इसके अलावा दो प्रमुख बायोमार्कर जांचें प्रारंभ करने की तैयारी अंतिम चरण पर है। इनमें पहला एएफपी (अल्फा-फिटोप्रोटीन) जांच है जो मुख्य रूप से यकृत कैंसर (लिवर कैंसर), अंडाशय कैंसर और टेस्टिकुलर कैंसर की जांच में प्रयोग होती है। रक्त में एएफपी प्रोटीन का स्तर मापा जाता है।
महिलाओं में अंडाशय से जुड़ी गड़बड़ी और पेट में गांठ (ट्यूमर) की पहचान में यह उपयोगी है। दूसरा सीईए (कार्सिनोएम्ब्रायोनिक एंटीजन) जांच है जो कोलोरेक्टल कैंसर की जांच, गर्भाशय कैंसर, फेफड़े का कैंसर और स्तन कैंसर की जांच में की जाती है।
रक्त में सीईए का बढ़ा हुआ स्तर कैंसर की आशंका को बताता है। रिम्स प्रबंधन ने बताया कि आने वाले दिनों में और भी कैंसर जांचें शुरू की जाएंगी, ताकि रोगियों को बाहर निर्भर न रहना पड़े।
महिलाओं में सबसे अधिक कैंसर के मामले
झारखंड में महिलाओं में सर्वाधिक मामले गर्भाशय ग्रीवा कैंसर, स्तन कैंसर और अंडाशय कैंसर से जुड़े सामने आ रहे हैं। रिम्स कैंसर विभाग के डॉ. राेहित झा के अनुसार गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का सबसे अधिक खतरा ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है, विशेषकर 30 से 50 वर्ष की महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है।
अंडाशय कैंसर की पहचान आमतौर पर देर से होती है, इस कैंसर में मृत्यु दर अधिक रहती है। राजधानी की स्तन कैंसर विशेषज्ञ डॉ. नम्रता अग्रवाल बताती हैं कि स्तन कैंसर का मामला शहरी महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है, समय पर जांच न होने के कारण कई मामले गंभीर अवस्था में मिलते हैं।
प्रारंभिक अवस्था में जांच और पहचान होने से रोगियों की जान बचाना सम्भव है। रिम्स के वरिष्ठ डाक्टर बताते हैं कि प्रतिदिन औसतन 10 महिलाएं कैंसर की गंभीर आशंका के साथ हमारे पास आती हैं। अब तक उन्हें बाहर जांच के लिए भेजने को विवश थे। लेकिन अब रिम्स में सुविधा उपलब्ध होने से उपचार की प्रक्रिया तेज होगी।
पुरुषों के लिए भी तैयारी
रिम्स प्रबंधन का कहना है कि अभी यह सुविधा स्त्री रोग विभाग की मरीजों के लिए शुरू की गई है, लेकिन बहुत जल्द पुरुषों के लिए भी पेट और यकृत कैंसर की जांच उपलब्ध करायी जाएगी। पुरुषों में फेफड़े का कैंसर, मुख और गले का कैंसर तथा यकृत कैंसर सबसे अधिक देखने को मिल रहा है।
आंकड़ों में कैंसर
- झारखंड में हर वर्ष लगभग 20,000 नये कैंसर रोगी दर्ज होते हैं।
- इनमें से 40 प्रतिशत महिलाएं गर्भाशय और स्तन कैंसर से पीड़ित होती हैं।
- रिम्स कैंसर विभाग में प्रतिदिन 200 से अधिक रोगी ओपीडी में आते हैं।
- देशभर में हर वर्ष लगभग 14 लाख नये कैंसर रोगी सामने आते हैं।
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