खनन से पहले ही ट्रांसपोर्टिंग के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस अनिवार्य, अब तक लीज मिलने के बाद वन विभाग देता था पर्यावरण स्वीकृति
अब राज्य में वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग के पास किसी खनन क्षेत्र में संभावित ट्रांसपोर्टिंग की पहले से जानकारी रहेगी। कंपनियों को बताना होगी कि कितना हिस्सा वो कन्वेयर बेल्ट से ले जाएंगे और कितना हिस्सा ट्रकों से ढोएंगे।

खनन लीज से पहले ट्रांसपोर्टिंग प्लान के लिए लेना होगा फारेस्ट क्लीयरेंस। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, रांची। कोयला, लौह समेत दूसरे अयस्कों के खनन में अब लीज से पहले ही कंपनियों को ट्रांसपोर्टिंग के लिए फारेस्ट क्लीयरेंस कराना होगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इससे राज्य सरकार को अवगत कराया है। इससे पहले खनन की अनुमति मिलने पर कंपनियां फारेस्ट क्लीयरेंस कराती थीं।
अब राज्य में वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग के पास किसी खनन क्षेत्र में संभावित ट्रांसपोर्टिंग की पहले से जानकारी रहेगी। कंपनियों को बताना होगी कि कितना हिस्सा वो कन्वेयर बेल्ट से ले जाएंगे और कितना हिस्सा ट्रकों से ढोएंगे।
हजारीबाग समेत देश के कई क्षेत्र में खनन करने वाली कंपनियों की तरफ से पर्यावरण मानकों की अनदेखी के बात केंद्र सरकार ने यह पहल की है। राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के पास खनन कंपनियों के ट्रांसपोर्टिंग प्लान की अग्रिम जानकारी को अब अनिवार्य किया गया है।
वन्यजीवों की मौत रोकने के लिए ट्रांसपोर्टिंग पर सख्ती
राज्य के खनन क्षेत्रों में मौजूद जंगलों में बड़ी संख्या में वन्यजीव रहते हैं। रात में होने वाले खनन की वजह से हाथियों समेत दूसरे वन्यजीवों के साथ हादसे होते हैं। इस वजह से पर्यावरण स्वीकृति दिए जाने से पहले कन्वेयर बेल्ट से ट्रांसपोर्टिंग को अनिवार्य किया गया है। लेकिन खनन कंपनियां तत्काल कारणों का हवाला देकर इसकी अनदेखी करती हैं। नए नियम के बाद यह प्रैक्टिस बंद हो जाएगा।

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