झारखंड में शुरू हुआ मछली चारा का उत्पादन
मछली उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे झारखंड में अब मछली चारे का उत्पादन भी शुरू हो गया है। राज्य के छह जिलों में उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की गई है।
राज्य ब्यूरो, रांची। मछली उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे झारखंड में अब मछली चारे का उत्पादन भी शुरू हो गया है। राज्य के छह जिलों में उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की गई है। झास्कोफिश के रांची, धनबाद और चांडिल के प्लांट से 4.5 टन मछली दाना का उत्पादन शुरू कर दिया गया है जबकि रामगढ़, बोकारो और कोडरमा प्लांट में ट्रायल चल रहा है। सभी प्लांट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करेंगे तो 15 टन से अधिक मछली दाना का उत्पादन संभव हो सकेगा। हालांकि, बावजूद इसके राज्य में मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटा नहीं जा सकेगा।
झारखंड में फिलहाल केज कल्चर में ही मछली चारे का प्रयोग किया जा रहा है। राज्य में 2800 केज कल्चर हैं और प्रत्येक के लिए प्रतिवर्ष चार टन दाने की आवश्यकता है। इस लिहाज से देखें तो 11,200 टन चारे की प्रतिवर्ष आवश्यकता है, जो कि वर्तमान उत्पादन क्षमता से अधिक है। फिलहाल इस अंतर को छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से दाने मंगाकर पूरा किया जाता है।
मत्स्य निदेशालय के सहायक निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि मछली चारे के उत्पादन का मुख्य उद्देश्य दूसरे राज्यों की निर्भरता को कम करने के साथ-साथ किसानों को जागरूक करना है। राज्य के किसान मछली उत्पादन में चारे का प्रयोग करते ही नहीं है। हमारी कोशिश है कि वे दाने का प्रयोग करें ताकि उत्पादन और बढ़ सके। बता दें कि राज्य में कुल 106430 एमटी मछली का उत्पादन हो रहा है जबकि मांग 140000 एमटी की है। मांग और आपूर्ति का अंतर चारा उत्पादन बढ़ाकर पाटने की योजना है।
तीस रुपये का दाना खरीदने पर दस रुपये का मिलेगा मुफ्त
मछली चारे के उत्पादन के साथ सरकार ने दानों पर सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। तय किया गया है कि तीस रुपये का दाना खरीदने वाले किसान को दस रुपये का दाना मुफ्त दिया जाएगा। झास्कोफिश के प्लांट में तैयार दाने का आकार तीन से चार मिमी का है। इसे मकई, धान का कोड़ा, सोयाबीन-सरसों खली, मछली का चूरा और मिनरल मिक्चर मिलाकर बनाया जा रहा है।
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