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    Eye Cancer In India: भारत में हर साल दस हजार बच्चों में एक बच्चे को आंख के कैंसर का खतरा

    By Jagran NewsEdited By: M Ekhlaque
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 03:53 PM (IST)

    Retinoblastoma Disease देश के मशहूर आंखों के प्लास्टिक सर्जन डा संतोष होनवार का कहना है कि आंख का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। समय रहते अगर इलाज नहीं कराया गया तो आंख निकालने की नौबत आ जाती है। इसलिए समय समय पर आंख की जांच जरूर कराएं।

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    Eye Cancer In India: भारत में आंखों का कैसर की समस्या बढ़ रही है।

    रांची, जागरण संवाददाता। Eye Cancer Symptoms and Treatments हैदराबाद के सेंटर फॉर साइट के डायरेक्टर डा संतोष होनवार (Dr Santosh Honawar Hyderabad) का कहना है कि भारत में प्रत्येक दस हजार बच्चों में एक बच्चे को रेटिनोब्लास्टोमा बीमारी (Retinoblastoma Disease) होती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे आंख का कैंसर कहते हैं। साल में 5 से 6 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। प्रारंभिक जांच में पता चलने पर इलाज संभव है। आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है, लेकिन देर होने पर आंख निकालनी पड़ती है। बच्चों के डॉक्टर के पास नहीं, बल्कि आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए, ताकि आंखों की रोशनी बचाई जा सके।

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    रांची रिम्स में पीजी छात्रों को दी गई जानकारी

    डा संतोष होनवार रांची रिम्स (Ranchi RIMS) स्थित क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में पीजी छात्रों को अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति से अवगत करा रहे थे। पीजी छात्रों और डाक्टरों को नेत्र संबंधी विकार की जानकारी दी गई। उन्होंने आंख के ऊपर होने वाले ट्यूमर और आंख के प्लास्टिक सर्जरी के विषय में जानकारी दी। इसके साथ ही नेत्र के इलाज में नई तकनीक और चिकित्सा पद्धति के बारे में बताया।

    आंखों के प्लास्टिक सर्जन हैं डा संतोष होनवार

    साइंटिफिक कमेटी झारखंड की चेयरमैन और झारखंड की वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डा भारती कश्यप ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि हमारे झारखंड का रिम्स पठन-पाठन का कार्य बेहतर तरीके से कर रहा है। डा संतोष होनवार आरपी सेंटर एम्स और विदेश से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। आंखों के प्लास्टिक सर्जन हैं। उनका हमारे बीच होना एक बड़ी बात है। राज्यभर के नेत्र की पढ़ाई करने वाले छात्र को उनके लेक्चर से काफी फायदा होगा।

    रांची रिम्स में 80 लोगों का कॉर्निया ट्रांसप्लांट

    रांची रिम्स के नेत्र विभाग के एचओडी डा आरके गुप्ता ने कहा कि रिम्स को उच्चस्तरीय नेत्र चिकित्सा संस्थान के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। कॉर्निया ट्रांसप्लांट को लेकर हम लोग काम कर रहे हैं। 2018 में रिम्स में इसकी शुरुआत हुई थी। 2 साल कोरोना महामारी के कारण थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन अब तक 80 लोगों का सफलतापूर्वक कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा चुका है।

    इन अस्पतालों के डाक्टर व छात्र भी शामिल

    कार्यशाला में रांची रिम्स के छात्रों के अलावा बोकारो जनरल हॉस्पिटल, गांधीनगर सीसीएल हॉस्पिटल, कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल में डीएनबी कर रहे छात्र शामिल हुए। वहीं रिम्स के नेत्र विभाग के डा राहुल प्रसाद, डा अभिषेक सिन्हा के अलावा अन्य चिकित्सक मौजूद थे।