उचित इलाज से ठीक हो सकते हैं मिर्गी रोगी, 80 फीसद मरीजों को नहीं मिल पाता सही इलाज
Jharkhand. 1000 में 5-6 लोग होते हैं मिर्गी से पीडि़त। 1 से 1.5 करोड़ पीडि़त सिर्फ भारत में हैं। यह मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है।
रांची, जासं। सड़कों पर जैसे-जैसे वाहन बढ़ रहे हैं, दुर्घटनाएं भी बढ़ती ही जा रही हैं। इन दुर्घटनाओं के साथ कई घायल मिर्गी की चपेट में आ रहे हैं। दूसरी बीमारियों की तरह ही मिर्गी पर भी आसानी से काबू पाया जा सकता है। लोगों में जानकारी नहीं होने के कारण इसको लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं। अगर समय पर मरीजों को उचित उपचार मिल जाए तो रोगी पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकता है। इसके लिए उचित जांच व दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं।
यह मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है। मिर्गी रोगियों को परिवार व समाज में ही नहीं, दूसरे जगहों पर भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह बातें मिर्गी जागरूकता दिवस (विश्व बैंगनी दिवस) को लेकर रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि यह ऐसी बीमारी है, जो झारखंड में भी तेजी से पैर पसार रही है।
झारखंड में हर 1000 में से 5-6 लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं। ग्रामीण इलाके में इसके बारे में ठीक से जानकारी नहीं होने के कारण मरीजों का सही उपचार समय पर नहीं हो पाता। इंडियन एपिलेप्सी एसोसिएशन के अनुसार पूरे विश्व में करीब 5 से 6 करोड़ लोग मिर्गी से पीडि़त हैं।
सिर्फ भारत में इसकी संख्या करीब 1 से 1.5 करोड़ है। हर साल करीब 1 लाख लोग मिर्गी के चपेट में आ रहे है। भारत में तो 80 फीसद रोगियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उचित इलाज ही नहीं मिल पाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सिर्फ झारखंड में हर साल करीब 1 लाख लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।
एक चौथाई केस बच्चों से जुड़े हुए
मिर्गी दिमाग से संबंधित एक विकार है। इस विकार के कारण बच्चों को समय-समय पर दौरे पड़ते हैं। ये दौरे तब आते हैं, जब दिमाग में अचानक विद्युत और रासायनिक गतिविधि में परिवर्तन होता है। यह बदलाव सिर पर चोट लगने, संक्रमण, किसी तरह की विषाक्तता और जन्म से पहले मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं के कारण हो सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि दुनियाभर में बढ़ते मिर्गी के मामलों में एक चौथाई केस बच्चों से जुड़े हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों में इसके लक्षण पांच साल से दिखने शुरू होते है।
'50 फीसदी मिर्गी रोगियों में तो इसका कारण पता नहीं है और लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं से इसका ग्राफ बढ़ रहा है। अगर समय पर मरीज अस्पताल आकर चिकित्सक से कंसल्ट करे तो इसका पता भी समय से लगाया जा सकता है। इससे उपचार में भी काफी मदद मिलेगी।' - डॉ. अनीशा थॉमस, न्यूरोलॉजिस्ट, रिम्स।
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