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    Tender Commission Scam: कल ED के सामने पेश होंगे IAS मनीष रंजन, टेंडर कमीशन घोटाले में होगी पूछताछ

    मंत्री आलमगीर आलम से जुड़े झारखंड के टेंडर कमीशन घोटाला में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी के रिमांड पर पूछताछ के लिए और तीन दिनों तक पूछताछ की अनुमति मिल गई है। वहीं इस मामले में 28 मई को आईएएस मनीष रंजन को भी ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। बता दें कि आईएएस मनीष रंजन ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव रहे हैं।

    By Dilip Kumar Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 27 May 2024 09:28 PM (IST)
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    कल ED के सामने पेश होंगे IAS मनीष रंजन

    राज्य ब्यूरो, रांची। Tender Commission Scam राज्य में 3000 करोड़ के टेंडर कमीशन घोटाला में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने 11 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ के बाद मंत्री आलमगीर आलम से और तीन दिनों तक पूछताछ की अनुमति मिल गई है।

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    मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड अवधि अब 30 मई तक के लिए हो गई है। इस रिमांड अवधि के दौरान ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े निर्णय निर्माता, वरिष्ठ अधिकारियों तक को भी मंत्री आलमगीर आलम के सामने बैठाकर पूछताछ करने की तैयारी है।

    28 मई को मनीष रंजन होंगे ईडी के सामने पेश

    इसी कड़ी में 28 मई को आईएएस मनीष रंजन को बुलाया गया है। ईडी ने रांची स्थित पीएमएलए कोर्ट में दिए मंत्री आलमगीर आलम के रिमांड आवेदन में इसका जिक्र भी किया है। एजेंसी ने कोर्ट को बताया है कि आईएएस मनीष रंजन ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव रहे हैं।

    उन्हें 24 मई के लिए समन हुआ था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। इसलिए उन्हें दूसरा समन 28 मई के लिए किया गया है। ईडी यह चाहती है कि जांच में आए तथ्यों का मंत्री आलमगीर आलम व आईएएस मनीष रंजन के सामने सत्यापन करवाया जाय।

    ईडी ने कोर्ट में क्या कहा?

    मंत्री आलमगीर व सचिव मनीष रंजन को आमने-सामने बैठाने के उद्देश्य से ही ईडी ने कोर्ट से मंत्री की रिमांड अवधि को बढ़ाने का आग्रह किया था। ईडी ने कोर्ट में जानकारी दी है कि जांच में मंत्री आलमगीर आलम से जुड़े प्रभावशाली व्यक्तियों की भूमिका सामने आई है।

    आलगीर से जुड़े ठिकानों से ईडी को छापेमारी में 37.5 करोड़ मिले थे

    इसमें विभाग के कनीय पदाधिकारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक शामिल हैं। सबने मिलकर टेंडर कमीशन में मिले अपराध की आय का बंटवारा किया है। मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने 15 मई को गिरफ्तार किया था। वे 17 मई से ईडी की रिमांड पर हैं।

    उनसे जुड़े ठिकानों पर ईडी की छापेमारी में 37.5 करोड़ रुपये नकदी के अलावा भारी मात्रा में टेंडर, ट्रांसफर पोस्टिंग व ठेका दिलाने से संबंधित दस्तावेज बरामद हो चुके हैं। ईडी ने कोर्ट में दिए रिमांड आवेदन में इस बात को फिर दोहराया है कि आलमगीर आलम ने अपराध की आय को छुपाया है।

    वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद ही टेंडर कमीशन से उठा था पर्दा

    गत वर्ष 23 फरवरी को गिरफ्तार ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद ही टेंडर कमीशन से पर्दा उठा था। वीरेंद्र राम ने यह खुलासा किया था कि विभाग में प्रत्येक कमीशन में 1.5 प्रतिशत कमीशन फिक्स था। कमीशन लेने व बांटने की पूरी प्रक्रिया विभाग में तैनात सहायक इंजीनियरों के माध्यम से होती थी।

    इसी क्रम में ईडी ने छह मई को मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में ईडी ने 37.5 करोड़ रुपये नकदी जब्त किए थे।

    इनमें सिर्फ जहांगीर आलम के फ्लैट से 32 करोड़ 20 लाख रुपये मिले थे। ईडी ने तब संजीव लाल व जहांगीर आलम को गिरफ्तार किया था। दोनों वर्तमान में न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं।

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