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Emergency Story: हजारीबाग के आंदोलनकारी गौतम सागर राणा 10 माह तक एक कोठरी में थे बंद... उन्होंने बताया- आपातकाल की कुछ डरावनी यादें

Emergency in India हजारीबाग के आंदोलनकारी गौतम सागर राणा ने सन् 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल की कहानी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे वे 10 माह तक एक कोठरी में बंद थे। उन्होंने आपातकाल की कुछ डरावनी यादें साझा की।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 12:31 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 12:33 PM (IST)
Emergency Story: हजारीबाग के आंदोलनकारी गौतम सागर राणा 10 माह तक एक कोठरी में थे बंद... उन्होंने बताया- आपातकाल की कुछ डरावनी यादें
Emergency in India: हजारीबाग के आंदोलनकारी गौतम सागर राणा ने बताई आपातकाल की कहानी।

हजारीबाग [मासूम अहमद]। Emergency in India सन् 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल की भयावहता और सख्ती का अन्दाजा जेपी के सम्पुर्ण क्रांती के उन आंदोलनकारियों से बेहतर और कौन जानता है, जिन्होंने खुद जेल की कल कोठरी में उन सख्तियों को झेला था। हम बात अगर उतरी छोटानागपुर प्रमंडल के मुख्यालय हजारीबाग की करें तो यहां आंदोलन के अगुआ रहे गौतम सागर राणा ने आपातकाल की कुछ डरावनी यादों को जागरण के साथ साझा किया।

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सन् 1977 और 1985 में बगोदर विधायक रहने और तीन बर राजद प्रदेश अध्यक्ष रहने वाले श्री गौतम सागर राणा बताते हैं की 25 जून 1975 को जब आपातकाल लागू हुआ, तो उस समय लोगों को इसकी भयावहता का अंदाजा नहीं था। दूसरे दिन हम अपने आन्दोलनकारी साथी उपेन्द्रनाथ दास के साथ इन्द्र्पुरी चौक के कैंटीन में पसंदीदा मिक्सचर के साथ चाय पी रहे थे, की अचानक मोबाइल डीएसपी दत्ता साहब के नेतृत्व में पुलिस और सीआरपीएफ जवानों ने परिसर को घेर लिया। हम दोनों को गिरफ्तार कर एसपी कोठी लाया गया।

गौतम सागर राणा बताते है कि तत्कालीन एसपी ज्योति कुमार सिन्हा ने कहा यही लोग ट्रॉबल क्रिएटर है। जेल में लोगों को मीसा कानून का पता नहीं था। मुझे नक्सलियों के साथ रखा गया था। वहां बंद कानू सान्याल के भाई के साथ वैचारिक बहस हुआ करती थी। मुझे 10 महीने तक छोटे से डिग्री सेल में रखा गया था, जबकि बाकी लोगों को वार्ड में रखा गया था।

गौतम सागर राणा ने बताया कि 10 महीने के बाद पहली बार सेल से बाहर निकलने पर एक बिल्ली को देखकर हम सब चौंक गए थे। जेल में अधीक्षक पहले नूर साहब थे। उनके बाद आए अधीक्षक प्रदीप गांगुली के समय आंदोलनकारियों पर सख्ती और बढ़ गई। बाद में सम्पूर्ण क्रांति का आन्दोलन राष्ट्रव्यापी हो गया। परिणामस्वरुप 1977 के चुनाव में जनता दल को अपार बहुमत मिला। मोरार जी देसाई के नेतृत्व में केंद्र में जनता दल की सरकार बनी। इसके बाद ही जेल से हम सब आन्दोलनकारियों की रिहाई सम्भव हो सकी।


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