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    Elephant Attack: हाथी जैसा दोस्त नहीं, लेकिन दुश्मनी को भी खूब रखता है याद...जानिए इसकी पूरी कहानी

    By Alok ShahiEdited By:
    Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:53 AM (IST)

    हजारीबाग में जिस घर को ढहाने में हाथी के बच्चे की मौत हुई उसे 6 साल में 4 बार हाथी ढहा चुके हैैं। दूसरे घर में आग लगी लकडिय़ों से हमला किया तो वह घर भी हाथियों के निशाने पर आ गया।

    Elephant Attack: हाथी जैसा दोस्त नहीं, लेकिन दुश्मनी को भी खूब रखता है याद...जानिए इसकी पूरी कहानी

    हजारीबाग, [विकास कुमार]। भोजन की तलाश में निकले हाथियों के एक झुंड ने जुलाई-2014 में हजारीबाग जिले के दारु प्रखंड स्थित जंगलों से घिरे लुकुइया गांव के रहने वाले छोटन के घर पर धावा बोला था। जंगलों से सटे गांवों में कच्चे घरों को अपनी सूंड़ और शरीर के धक्के से ढहा कर घर के भीतर का अनाज चट कर जाना हाथियों की पुरानी आदत रही है। यहां भी हाथियों ने ऐसा ही किया, लेकिन घर ढहाने के क्रम में घर के ऊपरी हिस्से से एक लोहे की बल्ली झुंड में शामिल एक छोटे हाथी के सिर पर गिर गई।

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    इस हादसे में मौके पर ही हाथी के बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद हाथियों का दल एक दिन तक वहीं बैठकर शोक मनाता रहा। दूसरे दिन हाथी चले गए, लेकिन इसके बाद जो हुआ वह चौंकाने वाला है। इस घटना के अब छह वर्ष हो गए हैैं, लेकिन हाथी हर साल झुंड में छोटन के घर पहुंचते हैैं और बार-बार उसका घर ढहा देते हैैं। छह साल में हाथी चार बार उसका घर ढहा चुके हैैं। हाथी जब भी गांव के आसपास दिखते हैैं छोटन की धड़कन बढ़ जाती है।

    इसी जिले के चरही क्षेत्र के  पुरनापानी के लोगों ने भी हाथियों के इसी तरह के गुस्से को झेला है। वाकया तीन दशक पुराना है। यहां ग्रामीणों द्वारा छेड़े जाने के बाद हाथियों के एक झुंड ने ग्रामीण अघनू महतो के घर आक्रमण कर दिया था। हाथी ने अघनु के घर को ढहाकर उनकी पत्नी और एक बेटी को कुचल कर मार दिया था। अन्य लोग जान बचाकर किसी तरह से बच निकले थे। इस क्रम में कुछ ग्रामीणों ने हाथियों को भगाने के लिए उनपर हमला किया था। हाथी यह वाकया भी नहीं भूले और बार-बार अघनू के घर पर धावा बोलते रहे।

    ये दो घटनाएं बताती हैैं कि हाथी खुद पर हुए हमले और किसी भी तरह की घटना-दुर्घटना व नुकसान को भी आसानी से नहीं भूलते। हजारीबाग के सेवानिवृत क्षेत्रीय वन संरक्षक और वन्य प्राणी विशेषज्ञ महेंद्र प्रसाद बताते हैैं कि हाथियों में यह प्रवृत्ति आम है।  उनकी स्मरण शक्ति भी काफी तेज होती है। कई बार यह भी देखने को मिला है कि जिस रेल ट्रैक पर बैठने की वजह से एक या एक से अधिक हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो जाती है, वहां भी वह बार-बार जाकर बैठते हैैं। भले ही हर बार उनका कितना भी नुकसान हो रहा है। वह बताते हैं कि हाथियों के साथ किया गया क्रूर व्यवहार उन्हें सालों तक याद रहता है। वे बदला लेने के मकसद से कई वर्षों तक अपने या अपने साथी के साथ हुए हादसे की जगह पर पहुंचते हैं।

    जब बंदूक दिखाने पर हाथी ने कुचल दिया था

    करीब 35 सालों तक वन विभाग में अपनी सेवा देने वाले सेवानिवृत पीसीसीएफ प्रदीप कुमार हाथियों के व्यवहार के बारे में बताते हैं कि हाथी सबसे समझदार जानवरों में है। अगर आप उसके साथ क्रूर नही होंगे तो आम तौर पर वे किसी पर हमला नही करते। करीब एक दशक पहले जमशेदपुर मानगो के एक वाकये का जिक्र करते हुए वह बताते हैैं कि वहां कुछ हाथी शहर तक भीड़ के बीच पहुंच गए थे। भीड़ के बीच में एक व्यक्ति ने एक हाथी को बंदूक दिखाया था। इसके बाद हाथी ने भीड़ के बीच से उसकी पहचान कर उसे कुचल दिया था।