1989 में धनबाद से शुरू हुआ एकल आज बन गया अभियान, झारखंड-बंगाल व यूपी के 1200 गांवों में; किया जाएगा देसी गोवंश का संरक्षण
Dhanbad News जिस एकल की शुरुआत 1989 में धनबाद से की गई आज वह अभियान का रूप ले चुका है। इसके तहत देसी गायों के संवर्द्धन के साथ ही गायों के सेवा भाव से ...और पढ़ें

संजय कुमार, रांची। आदिवासी, दलित, पिछड़े और सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने के लिए जिस एकल की शुरुआत 1989 में धनबाद से की गई, आज वह अभियान का रूप ले चुका है। एक लाख से अधिक गांवों में जहां एकल विद्यालय चल रहे हैं, वहीं जैविक खेती, जन आरोग्य, ग्रामोत्थान योजना, ग्राम विकास के साथ-साथ देसी गायों के संरक्षण और बूढ़ी गायों को बचाने का बीड़ा भी एकल ने उठा लिया है।
इसके तहत देसी गायों के संवर्द्धन के साथ ही ऐसी गायों के सेवा भाव से पालन-पोषण के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है, जिन्हें बूढ़ी और बेकार मानकर बेसहारा छोड़ दिया जाता है। गांव के किसानों को इसकी जिम्मेदारी दी जाती है और इस एवज में एक निश्चित रकम भी उन्हें दी जाती है। इतना ही नहीं गाय के गोबर और गोमूत्र से किसान कुछ आमदनी कर सकें, इसके लिए भी विभिन्न उत्पाद बनाने का उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है।
1200 गांवों तक फैल चुका है अभियान
हरि सत्संग समिति के माध्यम से गोपाष्टमी के दिन मथुरा से जिस गो ग्राम अभियान की शुरुआत की गई आज झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश के 20 प्रखंडों के 1200 गांवों तक फैल चुका है। गो प्रेमियों के सहयोग से चलने वाले इस अभियान को अगले तीन से चार वर्षों में देश के एक करोड़ से अधिक किसान परिवारों तक ले जाने का लक्ष्य है। इस योजना से जहां गाय कटने से बच रही है, वहीं किसान भी खुशहाल हो रहे हैं।
शनिवार को धनबाद में एकल गोग्राम योजना के तहत अखिल भारतीय प्रथम गोग्राम कुंभ के तीन दिवसीय समागम का शुभारंभ हुआ। 25 दिसंबर तक चलने वाले इस समागम में देशभर से एकल अभियान के दो हजार सदस्य पहुंचे हैं। पहले दिन देसी गायों को बचाने और इसकी उपयोगिता के बारे में ग्रामीणों को बताने के लिए 30 बसों से कार्यकर्ता 100 गांवों के भ्रमण पर निकले। गांवों में धनबाद के 100 किमी की परिधि में आने वाले गांव शामिल हैं।
किया जाएगा देसी गोवंश का संरक्षण
एकल के संस्थापक और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक श्यामजी गुप्त का कहना है कि देश में गो माता को कटने को सुनने पर बहुत पीड़ा होती है। गोशालाओं में भी बूढ़ी गाय हो जाने पर लोग बेच देते हैं। दूसरी तरफ देसी गोवंश भी समाप्त होता जा रहा है।
फिर एकल अभियान ने तय किया कि किसानों के साथ मिलकर देसी गोवंश का संरक्षण करेंगे और बूढ़ी गायों को कटने से बचाएंगे। आज यह योजना सफल साबित हो रही है। धनबाद में देश के लोगों को इस योजना से परिचित कराने के लिए गो ग्राम कुंभ का आयोजन किया गया है। इसमें देश के सभी प्रमुख शहरों के साथ-साथ अमेरिका से भी कई लोग पहुंचे हैं।

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