अनोखी बस... जिसमें चलती है कंप्यूटर क्लास, झारखंड समेत कई राज्यों के बच्चों को मिल रहा लाभ; देखें तस्वीरें
स्वामी विवेकानंद का कहना था कि यदि बच्चे स्कूल नहीं जाएं तो स्कूल को बच्चे के पास पहुंचा देना चाहिए। इसी ध्येय को लेकर गांवों में बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रारंभ एकल अभियान अब ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर भी कर रहा है। कंप्यूटर से सुसज्जित बसें गांव-गांव घूमकर लोगों को डिजिटल साक्षर कर रही हैं। बस में चलने वाली अनोखी कक्षा घर-घर कंप्यूटर ज्ञान बांट रही है।

संजय कुमार, रांची। स्वामी विवेकानंद का कहना था कि यदि बच्चे स्कूल नहीं जाएं तो स्कूल को बच्चे के पास पहुंचा देना चाहिए। इसी ध्येय वाक्य को लेकर गांवों में बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रारंभ एकल अभियान अब ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर भी कर रहा है।
कंप्यूटर से सुसज्जित बसें गांव-गांव घूमकर लोगों को डिजिटली रूप से साक्षर कर रही हैं। एकल ऑन व्हील जहां पहुंचती है, वहां कंप्यूटर सीखने के इच्छुक बच्चे, युवा, बुजुर्ग व महिलाओं का उत्साह देखते बनता है।
बसों के साथ चलने वाले प्रशिक्षक पूरा समय देकर और एक स्थान पर कई दिनों तक कैंप कर लोगों को कंप्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान देते है। साथ ही उन्हें सीखने का भरपूर अवसर और माहौल प्रदान करते हैं। बस के अंदर चलने वाली यह अनोखी कक्षा घर-घर कंप्यूटर ज्ञान बांट रही है।
20 राज्यों में संचालित हो रही यह योजना
एकल ऑन व्हील के बाहर खड़े छात्र-छात्राएं।
वर्ष 2015 में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के करंजो से आरंभ की गई यह योजना आज 20 राज्यों में संचालित है। इसके तहत अब तक 32 हजार लोगों को कंप्यूटर साक्षर किया जा चुका है, जबकि 2024 में 42 हजार से अधिक लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है।
जिस गांव में एकल ऑन व्हील के माध्यम से युवाओं के साथ साथ कंप्यूटर सीखने वाले लोग लाभान्वित हो चुके हैं, वहां के बारे में जानकार अन्य गांवों के लोग भी एकल के पदाधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
एकल ऑन व्हील वाहन।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समविचारी संगठन एकल अभियान के अखिल भारतीय अभियान प्रमुख ललन शर्मा ने कहा कि ग्रामीणों की उम्मीद पूरा करने के लिए संगठन प्रयासरत है। 2024 में 42000 से अधिक लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जैसे-जैसे गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी, लक्ष्य और आगे बढ़ता रहेगा।
समाज के सहयोग से चलता है कार्यक्रम
ललन शर्मा ने कहा कि यह योजना पूरी तरह समाज के सहयोग से चलता है। एक गाड़ी पर प्रतिवर्ष 12 लाख रुपये खर्च होते हैं। अभी यह योजना झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, असम, मणिपुर, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित 20 से अधिक राज्यों में चल रही है।
योग अभ्यास करते छात्र-छात्राएं।
अगले साल इन राज्यों में और बसें बढ़ाने के साथ साथ जिन राज्यों में नहीं है, वहां इसे शुरू किया जाएगा। गांव के लोगों को एकल से जो उम्मीदें हैं, उसे पूरा किया जाएगा। आज जिस तरह से सभी काम आनलाइन होता जा रहा है गांवों में कंप्यूटर ओर इंटरनेट साक्षरता बढ़ाने की जरूरत है। इस अभियान में एकल लगा हुआ है।
ऑनलाइन काम करने में सक्षम हो रहे लोग
गिरिडीह में एकल ऑन व्हील के भीतर कंप्यूटर सीख रहीं छात्राएं।
एकल आन व्हील का काम देख रहे राजदीप का कहना है, एक गाड़ी में नौ लैपटाप लगे हैं और एक बार में 18 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। एक गांव में सिखाने में 75 घंटे का समय दिया जाता है, जिसमें तीन घंटे का एक क्लास होता है।
गाड़ी में सोलर पावर की व्यवस्था है। साथ ही जेनरेटर की भी व्यवस्था रहती है। एक गाड़ी से एक साल में 600 लोगों को कंप्यूटर साक्षर करने का लक्ष्य तय है।
इससे कंप्यूटर की इतनी जानकारी मिल जाती है कि लोग मेल भेजने, सर्च इंजन का उपयोग करने और विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से अपने जरूरत के सभी काम करने में सक्षम हो जाते हैं। कई व्यक्ति यहां प्रशिक्षित होने के बाद प्रज्ञा केंद्र या इंटरनेट कैफे का संचालन कर कंप्यूटर आधारित स्वरोजगार शुरू कर चुके हैं।
वहीं, कई कंप्यूटर के क्षेत्र में आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित हुए हैं। लोग ऑनलाइन अपने सभी काम कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया की दिशा में यह भारत का बढ़ता कदम है।
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