Jharkhand, ED Raid: कारोबारी अमित अग्रवाल व विष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर ईडी का छापा
ED Raid on Amit Agarwal and Vishnu Agarwal रांची के बरियातू स्थित सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईड ...और पढ़ें

रांची, राज्य ब्यूरो। ED Raid on Amit Agarwal and Vishnu Agarwal रांची के बरियातू स्थित सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने शुक्रवार की सुबह से ही कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल व एक अन्य व्यवसायी विष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की है। व्यवसाई अमित अग्रवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। उन्हें ईडी ने अधिवक्ता राजीव कुमार को 50 लाख रुपये देकर फंसाने के मामले में जांच के बाद गिरफ्तार की थी।
ED is conducting searches at nearly one dozen locations in West Bengal & Jharkhand against those illegally occupying Indian Army lands. The places searched include residential and office premises of a Kolkata-based businessman Amit Agrawal and some others: Sources
— ANI (@ANI) November 4, 2022
नेताओं-नौकरशाहों के काले धन को सफेद बनाने पर शक
अमित अग्रवाल पर ईडी को शक है कि उसने बड़े नेताओं-नौकरशाहों के काले धन को सफेद बनाने के लिए जमीन की खरीद-बिक्री में भी निवेश किया है। यही वजह है कि ईडी ने अब रांची के कई अन्य बड़े जमीन की खरीद-बिक्री मामले को मनी लांड्रिंग के नजरिये से अनुसंधान के अधीन रखा है। सेना के कब्जे वाली जमीन का मामला भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।
आयुक्त की जांच में फर्जी दस्तावेज पर खरीद-बिक्री का हुआ था खुलासा
जहां तक बात सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री का है तो इसमें फर्जीवाड़ा का खुलासा आयुक्त की जांच रिपोर्ट में पहले ही हो चुका है। उक्त रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेच डाली थी। जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रजिस्ट्री में प्रदीप बागची ने जिन होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग कागजातों को लगाया था, वह जांच में फर्जी मिले थे, जिसके बाद रांची नगर निगम की ओर से भी बरियातू थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
प्रदीप बागची पर जालसाजी करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज
रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर प्रदीप बागची के विरुद्ध जालसाजी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पोजेशन लेटर दिखाकर दो-दो होल्डिंग ले लिया था। आयुक्त की जांच में सेना के कब्जे वाले जमीन का असली रैयत जयंत करनाड मिला था।
रांची में जमीन की खरीद-बिक्री में अमित अग्रवाल की भूमिका भी तलाश रही ईडी
रांची में भारी पैमाने पर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले में भी अमित अग्रवाल की भूमिका को ईडी तलाश रही है। अमित अग्रवाल फिलहाल अधिवक्ता राजीव कुमार को 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार करवाने के मामले में दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में है। ईडी को शक है कि संताल के क्षेत्र में 1000 करोड़ के अवैध खनन में मिले काले धन को अमित अग्रवाल ने जमीन की खरीद-बिक्री में खपाया है। इस मामले में भी ईडी का अनुसंधान तेज है।
कोर्ट ने इनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बरियातू थाने को दिया था आदेश
रांची के सिविल कोर्ट ने बरियातू थाना को रांची के दो रजिस्ट्रार घासी राम पिगुआ व वैभव मनी त्रिपाठी, नगर आयुक्त मुकेश कुमार, बड़गाईं के अंचलाधिकारी मनोज कुमार, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, खरीदार जगतबंधु टी-इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष, जयप्रकाश नारायण सिन्हा, मेसर्स गोयल बिल्डर्स अपर बाजार के निदेशक, मोहम्मद जैकुल्लाह और मानवेंद्र प्रसाद पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। आरोपितों पर जान बूझकर फर्जीवाड़ा कर दूसरे की जमीन की खरीद-बिक्री का आरोप है। दिलीप कुमार घोष ने सात करोड़ रुपये में प्रदीप बागची नामक कथित रैयत से सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन खरीदी थी।
जून में रांची नगर निगम ने भी दर्ज कराई थी प्राथमिकी
दो माह पूर्व जून महीने में रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर प्रदीप बागची के खिलाफ जालसाजी की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पोजेशन लेटर दिखाकर नगर निगम से दो-दो होल्डिंग ले लिया था और सेना की कब्जे वाली जमीन को उक्त कागजात के आधार पर बेच डाला था।
कमिश्नर की रिपोर्ट में जमीन का असली मालिक जयंत करनाड
सेना के कब्जे वाली जमीन पर विवाद होने के बाद पूरे मामले की जांच दक्षिणी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त उप निदेशक कल्याण से कराई थी। उन्होंने गत वर्ष 20 दिसंबर 2021 को जांच रिपोर्ट आयुक्त को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार उक्त जमीन से संबंधित खतियान प्रमोद नाथ दास गुप्ता वल्द बाबु प्रताप नाथ दास गुप्ता के नाम पर है। वर्तमान में उक्त भूमि पर सेना का दखल-कब्जा है। खतियानी रैयद प्रमोद नाथ दास गुप्ता की एकमात्र पुत्री सरस्वती दास गुप्ता थी, जिनके पति मुंजेश्वर लक्ष्मण राव थे। उनके एक पुत्र बी. मुंजेश्वर मुकुंद राव व पुत्री मालती करनाड हुईं। पुत्र बी. मुंजेश्वर मुकुंद राव को कोई संतान नहीं था। जबकि, मालती करनाड को एक बेटा जयंत करनाड हुए। मालती करनाड की मृत्यु के बाद वही उस भुखंड 4.55 एकड़ के एक मात्र उत्तराधिकारी हुए। अदालत में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि सेना के कब्जे वाली जमीन के असली मालिक जयंत करनाड हैं। आयुक्त की रिपोर्ट में इसका जिक्र है कि वर्ष 1967 से 2017 तक विभिन्न न्यायालयों ने खतियानी रैयत के वंशजों को उक्त भूमि का मालिक स्वीकार किया है।
आयुक्त ने प्रदीप बागची के दावे को ठहराया गलत, फर्जीवाड़े की पुष्टि
आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार सेना के कब्जे वाली जयंत करनाड की जमीन पर प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने दावा ठोका और गलत तरीके से दिलीप कुमार घोष को गलत दस्तावेज पर रजिस्ट्री कर दी। इस फर्जीवाड़े में सरकारी अधिकारियो की भी मिलीभगत है। आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट में पंजी-टू के रैयत जयंत करनाड ने वर्ष 2019 में 13 रैयतों को निबंधित दस्तावेज से बिक्री की थी, जिनके दाखिल खारिज को बड़गाइ अंचल ने यह कहते हुए अस्वीकृत किया कि उक्त जमीन पर उनका कब्जा नहीं, सेना का कब्जा है। दूसरे कथित रैयत प्रदीप बागची ने वर्ष 2021 में आनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से पोजेशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, बिजली बिल देकर रांची नगर निगम से होल्डिंग करवा लिया गया। नगर निगम ने भी बिना भौतिक सत्यापन के होल्डिंग कायम किया। आयुक्त कार्यालय ने अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया था और अपने निष्कर्ष में प्रदीप बागची के निबंधित दस्तावेज पर सवाल उठाते हुए कपटपूर्ण निबंधित कराने के आरोपों को सही पाया था।

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