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    चंद्रपुरा में डीवीसी की अनियमितता, टेंडर से पहले ही बना पार्क; सीवीसी की जांच से हड़कंप

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 06:08 PM (IST)

    दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन में कॉलोनी सौंदर्यीकरण के नाम पर बने लव सीटीपीएस पार्क में अनियमितता पाई गई। 1.10 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पार्क का निर्माण निविदा प्रक्रिया से पहले ही पूरा हो गया था। जांच में वित्तीय अनियमितता और प्रक्रियात्मक उल्लंघन पाए गए जिसके बाद निविदा रद कर दी गई।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन (सीटीपीएस) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जो सरकारी परियोजनाओं में अनियमितता की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है।

    करीब दो साल पहले कॉलोनी सौंदर्यीकरण के नाम पर सीटीपीएस परिसर में लव सीटीपीएस पार्क का निर्माण किया गया। लगभग 1.10 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पार्क का उद्घाटन नौ जून 2023 को डीवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा धूमधाम से किया गया।

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    जानकारी के अनुसार, सिविल विभाग ने तत्कालीन परियोजना प्रमुख के आदेश पर यह कार्य शुरू किया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पार्क का निर्माण कार्य निविदा (टेंडर) प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही पूरा हो चुका था, जो सरकारी नियमों की खुली अवहेलना को दर्शाता है।

    जब यह अनियमितता उजागर हुई तो डीवीसी के विजिलेंस ऑफिसर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया।

    समिति ने अपनी जांच में पाया कि पार्क निर्माण में गंभीर खामियां थीं। टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर कार्य पूरा करना, वित्तीय अनियमितता और प्रक्रियात्मक उल्लंघन के स्पष्ट प्रमाण सामने आए। जांच के बाद संबंधित निविदा को तत्काल रद कर दिया गया।

    यह मामला इतना गंभीर था कि इसे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), दिल्ली के समक्ष लाया गया। सीवीसी ने लंबी और गहन जांच के बाद डीवीसी चंद्रपुरा के कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गंभीर अनियमितता के आरोप साबित किए।

    यह खुलासा डीवीसी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ क्योंकि यह परियोजना जनता के धन के दुरुपयोग का जीता-जागता उदाहरण बन गई।

    दोषियों पर लटकी कार्रवाई की तलवार

    सीवीसी की रिपोर्ट ने डीवीसी के उन अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिन्होंने इस परियोजना में नियमों को ताक पर रखा। दोषी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई तय करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

    यह कार्रवाई निलंबन से लेकर कानूनी कदम तक हो सकती है। पार्क के निर्माण में शामिल अधिकारियों की अब जवाबदेही तय की जा रही है और यह मामला उनके करियर पर गंभीर सवाल उठा रहा है।

    इस अनियमितता ने न केवल डीवीसी की साख को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि ऐसी परियोजनाओं में कितनी आसानी से नियम तोड़े जाते हैं। सीवीसी की सख्ती से यह स्पष्ट है कि दोषियों को बचने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा।

    लव सीटीपीएस पार्क का मामला केवल एक परियोजना की अनियमितता तक सीमित नहीं है। यह सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रतीक है। 1.10 करोड़ रुपये का दुरुपयोग और टेंडर प्रक्रिया की अनदेखी ने डीवीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।

    सीवीसी की कार्रवाई से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।