रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड (Jharkhand) से सटे राज्यों बंगाल (Bengal) और ओडिशा (Odisha) में शराब अपेक्षाकृत सस्ती है। प्रचलित ब्रांड की कीमत दोनों राज्यों में झारखंड के मुकाबले कम है। दोनों राज्यों से यहां अवैध शराब (Liquor) आ रही है। इसके अलावा राज्य में पसंदीदा ब्रांड नहीं मिलती। दुकानों में पूरी तरह से डिस्प्ले भी नहीं हो पाता। राज्य में शराब वितरण और संचालन (Liquor Distribution and Operations) में लगी कंपनियों ने अपनी पीड़ा से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को पत्र लिखकर अवगत कराया है।
शराब वितरण-संचालन में लगी कंपनियों ने सीएम से बांटा दर्द
मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में सुमित फैसिलिटिज, प्राइम वन वर्कफोर्स प्राइवेट लिमिटेड, इगल हंटर सोल्यूशंस और ए-टू-जेड इंफ्रा सर्विस ने सिलसिलेवार उन परिस्थितियों का जिक्र किया है, जिसकी वजह से राजस्व का लक्ष्य हासिल करने में परेशानी आ रही है। बताते चलें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में बैठक कर राजस्व वसूली (Revenue collection) कम होने को लेकर सख्ती दिखाई थी।
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कंपनियों को राजस्व वसूली लक्ष्य में हो रही परेशानी
इन कंपनियों का कहना है कि समस्याओं का निदान आवश्यक है ताकि राजस्व वसूली का लक्ष्य हासिल किया जा सके। पत्र में जिक्र है कि मासिक उठाव का लक्ष्य हर जिले में दिया जाता है, लेकिन मांग के अनुरूप मदिरा की आपूर्ति नहीं की जाती। इसके कारण कम मांग वाली मदिरा का प्रचुर भंडार हो गया है।
कंपनियों को शराब की आपूर्ति कराने में आ रही हैं दिक्कतें
अक्टूबर माह में इसी अनुरूप आपूर्ति नहीं हुई तो राजस्व का शत-प्रतिशत लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। देसी मदिरा का भी बहुत अभाव है। मांग के मुकाबले आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से घाटा होता है। आरंभिक महीने में इसकी आपूर्ति ही नहीं हुई। लक्ष्य 816591252 रुपये का था, लेकिन उठाव सिर्फ 267681993 रुपये का हुआ। कंपनियों का कहना है कि उन्हें जिन मदिराओं की आपूर्ति हुई हैं, वे प्रतिबंधित हैं। ऐसे साढ़े चार करोड़ रुपये की मदिरा पड़ी हुई है। राज्य के बड़े शहरों रांची (Ranchi), जमशेदपुर (Jamshedpur), धनबाद (Dhanbad) में 150 बार संचालित हैं, लेकिन वहां भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है।