Ranchi Water Crisis: रांची में सवा दो लाख भवन, सिर्फ 80 हजार घरों में पहुंचता है पानी... अब खर्च होंगे 241 करोड़
Roj Badh Rahi Ranchi रोज बढ़ रही है रांची लेकिन आलम यह है कि सवा दो लाख भवन यहां हैं और केवल 80 हजार घरों में ही पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति होती है। वहीं 19 हजार भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है।
रांची, जागरण संवाददाता। Roj Badh Rahi Ranchi किसी शहर को स्मार्ट और रमणीक बनाना है तो शुद्ध पेयजल की भी पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है। जल के बिना सब अधूरा है, जल है तो कल है। लेकिन रांची शहरवासियों को जरूरत के मुताबिक पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। लेकिन इस वर्ष नगर निगम ने ठाना है कि रांची में कोई भी प्यासा नहीं रहेगा। पानी के लिए नगर निगम 241 करोड़ रुपये खर्च करेगा। ज्ञात हो कि वर्ष 1942 में ब्रिटिश सरकार ने रांची शहर के भूमिगत जल का सर्वे कराया था। उस समय के जल एक्सपर्ट औडन ने सर्वे में स्प्ष्ट कहा था कि रांची में भूमिगत जल पर भरोस नहीं किया जा सकता है। इस इलाके में पानी को जितना बचाया जाए, यहां के लिए बेहतर होगा। लेकिन उनके कथन के प्रति न तो नगर निगम सचेत है और न उपभोक्त। लोग जमीन का सीना चीर बेपरवाह बोरिंग करते चले जा रहे हैं। नतीजा गर्मी के दिनों में और ज्यादा नीर की पीर बढ़ती जा रही है। जिले में न केवल लगातार जलस्तर घट रहा है बल्कि स्थिति भयावह होती जा रही है। वर्षों पुराना दोहा, रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून... कभी नीतिवाद से प्रेरित लगता था, लेकिन आज यह सच साबित होता दिख रहा है। बढ़ते जल संकट को लेकर पर्यावरणविदों का यह कहना कि अगला विश्वयुद्ध पानी को लेकर लड़ा जाए, भविष्य में पानी के भयावह संकट की चेतावनी देते हैं। इसलिए रांचीवासियों को सचेत होने की जरूरत है। बारिश की एक-एक बूंद का महत्व है। जिसे सहेजने की आवश्यकता है। इसलिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर देना होगा। सभी को जागरूक होना होगा कि बारिश के पानी को कैसे सहेजें। यह नगर निगम का काम नहीं हम सभी को इसके प्रति तत्पर होना होगा।
नगर निगम की यह है तैयारी
- बड़ा तालाब में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट : बड़ा तालाब में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम जारी है। इससे यह लाभ होगा कि जिस जिस इलाके से पानी आए उसे प्लांट की मदद से पानी और कचरा को अलग-अलग किया जाएगा। पानी को शुद्ध कर तालाब में डाल दिया जाएगा और कचरा से खाद का निर्माण किया जाएगा। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का 80 प्रतिशत तक काम पूरा हो चुका है।
- घर घर तक लोगों को सप्लाई वाटर से पानी देना : नगर निगम द्वारा लोगों को पानी से राहत देने के लिए 450 किलोमीटर तक पाइप लाइन बिछाई जा रही है। सौ किलोमीटर का काम जारी है। इसके बाद जल्द ही कनेक्शन कर लोगों को घर घर तक सप्लाई वाटर से पानी पहुंचा जाने लगेगा।
- पानी सप्लाई पर 2 सौ 41 करोड़ खर्च: इस वर्ष जेएनएनयूआरएम द्वारा पाइप लाइन बिछाने से लेकर पानी सप्लाई देने तक के लिए 2 सौ 41 करोड़ रुपये खर्च करेगा। इससे लोगों को काफी राहत मिलने की संभावना है और लोगों को दिक्कत नहीं होगी। इस बार नगर निगम ने 241 करोड़ रुपये का बजट पास कर दिया है।
- 73 लाख का आएग वाटर टैंकर : नगर निगम इस वर्ष लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए 73 लाख रुपये के ट्रैंकर की खरीद करेगा। अभी 50 टैंकर है। बाकी टैंकर भाड़ा पर लेना पड़ाता है। भारी मात्रा में टैंकर हो जाने से निगम लोगों तक आसानी से पानी पहुंचा सकता है।
यह भी जानें
- नदी और तालाब के समीप अतिक्रमण कर लोगों के द्वारा घर बनाया जा रहा है। इसके बाद नदी और तालाब को खत्म कर दिया जा रहा है।
- डैम और तालाबों की ठीक तरीके से सफाई नहीं होने की वजह से दिन प्रतिदिन पानी गंदा होता जा रहा है।
- कुंआ पर किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो भी वह लगातार सूखते चले जा रहे हैं।
- 11 वर्ष पहले रांची की आबादी 29,14253 थी, जनगणना के अनुसार 20 लाख से ज्यादा हो गई है रांची की आबादी वर्तमान में
इस वर्ष तीनों डैम की स्थिति बेहतर
राजधानी में इस वर्ष कांके डैम, रुक्का डैम और हटिया डैम का जलस्तर ठीक है। इस वर्ष गर्मी में लोगों को डैम की पानी का दिक्कत नहीं होगा। रुक्का डैम की क्षमता 36 फीट है जबकि अभी डैम में 30 फीट पानी है। हटिया डैम की क्षमता 38 फीट है जबकि अभी 32 फीट पानी है। कांके डैम की क्षमता 28 फीट है और अभी 22 फीट पानी उपलब्ध है।
पानी में बढ़ रहा रसायनों का प्रतिशत
रांची में वर्तमान में पानी में घातक रसायनों का प्रतिशत भी बढ़ रहा है। शहर के लोग पानी के रूप में धीमा जहर पी रहे हैं। घरेलू हैंडपंपों से मिल रहे पानी में अपशिष्ट पदार्थों का मिश्रण बढ़ रहा है। इससे ब्लड प्रेशर, पथरी, दिमाग का कमजोर होना, शरीर में दर्द, पेट के रोग, पीलिया आदि बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है।
पूरे साल होती है पानी की दिक्कत
पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। स्थिति दिन प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। लोगों को पहले गर्मी के मौसम में पानी के लिए परेशानी होती थी लेकिन अब पूरे साल दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में पहले दो से ढाई सौ फीट पर पानी आ जाता था लेकिन अब शहर के ज्यादातर इलाकों में एक हजार फीट के बाद पानी मिलता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हर इलाके में अपार्टमेंट का निर्माण बड़ी तेजी से हो रहा है। लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग रहा है। नगर निगम को बिना सूचना दिए घरों में बोरिंग करा रहे हैं। नगर निगम के अनुसार शहर में सवा दो लाख भवन है। इसमें करीब 80 हजार लोगों के घर में सप्लाई वाटर जाता है। हर वर्ष डैम की स्थिति खराब होते जा रही है। इस वजह से लोगों को सप्लाई वाटर मिलना मुश्किल हो गया है। पहले शहर के हर इलाके में तालाब होता था लेकिन अब धीरे गायब होते जा रहे हैं। शहर में प्रति व्यक्ति 165 लीटर प्रति दिन पानी मिलना चाहिए लेकिन नहीं मिल पा रहा है।
कई इलाके रेड जोन घोषित
रांची नगर निगम ने कई इलाकों को रेड जोन घोषित कर दिया है। इसमें हिंदपीढ़ी, रातू, कांके रोड, हटिया, तुपुदाना, किशोरगंज, पिस्का मोड़ शामिल हैं। आने वाले दिनों में यहां लोगों को पीने के लिए पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
सरकारी बोरिंग और टैंकर पर कई परिवार निर्भर
शहर में एक लाख परिवार ऐसे हैं जो सरकारी बोरिंग और टैंकर के सहारे पानी लेते हैं। लेकिन गर्मी का मौसम आते ही बोरिंग भी फेल हो जाता है। इसलिए लोग टैंकर के भरोसे हो जाते हैं। स्थिति यह होती जा रही है कि टैंकर से भी जलापूर्ति नहीं हो पा रही है।
शहर में सिर्फ 19 हजार भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
शहर में सवा दो लाख भवन है। इसमें सिर्फ 19 हजार भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टल लगा हुआ है। नगर निगम का आदेश है कि जो भी भवन तीन हजार वर्गफीट से ज्यादा है उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी है। इसके बाद भी इसपर कोई पहल नहीं की जा रही है। निगम का आदेश है कि जो भी नहीं लगाएगा उससे डेढ़ गुना होल्डिंग टैैक्स वसूला जाएाग। लोग डेढ़ गुना ज्यादा टैक्स दे रहे हैं लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं लगा रहे हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं लगाने से पानी की स्तर लगातार नीचे जा रहा है।
हर वार्ड में छह-छह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होना जरूरी
रांची नगर निगम भूगर्भ जल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए सभी वार्ड में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम तो शुरू कर दिया लेकिन पूरा नहीं हो पाया। राजधानी के सभी वार्ड में छह-छह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जाना है। 53 वार्डों में 318 रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनना है लेकिन कब तक यह बनेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
इस वजह से लोग नहीं लगवा रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
नगर निगम ने 17 एजेंसियों का चयन है। जिनसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया जा सकता है। सभी एजेसियों के पदाधिकारियों का नाम और नंबर भी जारी किया है। इसके बाद भी लोग सिस्टम नहीं लगवा रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बिना प्लानिंग के शहर में घर और भवनों का निर्माण हो रहा है। हर इलाके में तेजी से निर्माण तो हो रहा है लेकिन ओपेन स्पेस के नाम पर लोग अपनी जमीन नहीं छोड़ रहे हैं। जमीन नहीं होने की वजह से लोग चाह कर भी इसका निर्माण नहीं कर पा रहे है।
क्या है रेनवाटर हार्वेस्टिंग
रेनवाटर हार्वेस्टिंग बारिश के पानी को जमा करने का एक तरीका होता है। यह किसी भी सतह पर गिरने वाले बारिश का पानी हो सकता है। इस पानी को बाद में फिल्टर किया जाता है और फिर इस्तेमाल करने के लिए जमा कर दिया जाता है। इस तरह पानी की हार्वेस्टिंग करने से पानी का लेवल दोबारा पहले जैसा नॉर्मल हो जाता है, जिससे यह पानी बर्बाद होने से बच जाता है।
पहले अप्रैल में जलस्तर कम होता था अब फरवरी से ही संकट
पर्यावरण विशेषज्ञ नीतीश प्रियदर्शी का कहना है कि रांची में पहले अप्रैल माह में जलस्तर खिसकता था। लेकिन अब फरवरी माह से ही जलस्रोत नीचे जाने लगा है। लोगों द्वारा पानी का दोहन किया जा रहा है लेकिन रिचार्ज करने की कोई तैयारी नहीं है। शहर में रहने वाले लोगों को डैम के पानी पर भरोसा नहीं है। इस वजह से लगातार बोरिंग की जा रही है। इस वजह से जल स्तर नीचे जा रहा है। इस दिक्कत हो छुटकारा पाने को शहर में कम्युनिटी तौर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना होगा। हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना संभव नहीं है। वहीं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और सेपटिक टैंक में तीन फीट की दूरी होनी चाहिए। हर इलाके मे पानी का लेवल नीचे जा रहा है। जिस इलाके में पहले दो से ढाई सौ फीट पर पानी मिल जाता था अब सात से आठ सौ फीट पर पानी मुश्किल से आता है। पानी को बचाया नहीं गया तो लोगो का जीना मुश्किल हो सकता है। शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम काफी जरूरी है। इसे बनाकर ही पानी को बचाया जा सकता है। जिस इलाके भवनों का निर्माण होना है उसे नक्शा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम दिखाना जरूरी है। इसकी जांच करने की जरूरत है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिर्फ कागज पर है या धरातल पर भी उतर रहा है या नहीं।
रांची के इन इलाकों में 50 से 100 फिट पानी का लेवल गया है नीचे
- हरमू 50 फीट
- किशोरगंज 60 फीट
- मोरहाबादी 100 फीट
- हटिया 70 से 80 फीट
- लालपुर 40 से 50 फीट
- कांटा टोली चौक से 70 फीट
यह तथ्य भी जान लीजिए
- रांची नगर निगम क्षेत्र में सवा दो लाख भवन है निगम के अनुसार लगभग 2200000 उपभोक्ता हैं
- नगर निगम क्षेत्र में भूगर्भ जल निकलने वाला पानी शुद्ध निकलता है
- शहर में 57556 लोगों ने पानी का कनेक्शन लिया
- नगर निगम के द्वारा 14 सो बोरिंग कराया गया है जबकि 2554 हैंड पंप है इसमें 300 से अधिक खराब है
- नगर निगम क्षेत्र में डेढ़ लाख भवनों में अवैध बोरिंग है
- नगर निगम के पास 35 टैंकर है जिससे प्रतिदिन लगभग 3500000 लाख लीटर पानी का