Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंचतत्व में विलीन हुए साहित्यकार डॉ. श्रवणकुमार गोस्वामी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 11 Apr 2020 07:40 PM (IST)

    राची जंगलतन्त्रम जैसे प्रसिद्ध उपन्यास के लेखक प्रथम राधाकृष्ण पुरस्कार से

    पंचतत्व में विलीन हुए साहित्यकार डॉ. श्रवणकुमार गोस्वामी

    जागरण संवाददाता, राची : जंगलतन्त्रम जैसे प्रसिद्ध उपन्यास के लेखक, प्रथम राधाकृष्ण पुरस्कार से सम्मानित विख्यात साहित्यकार और राची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. श्रवणकुमार गोस्वामी का निधन शनिवार को हो गया। 84 वर्षीय डॉ. गोस्वामी नगरा टोली स्थित अपने आवास में सुबह 10.50 मिनट में अंतिम सास ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लॉकडाउन के कारण उनके आवास पर राची विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. नागेश्वर सिंह सहित तीन-चार लोग ही पहुंच सके। शनिवार को ही हरमू मुक्तिधाम में डॉ. गोस्वामी का अंतिम संस्कार हुआ। पुत्र भुवन भास्कर ने मुखाग्नि दी। इनके एक पुत्र व दो पुत्रिया हैं। डॉ. गोस्वामी के निधन पर राची विवि के वीसी डॉ. रमेश कुमार पाडेय, प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. एके चौधरी, डीएसडब्ल्य डॉ. पीके वर्मा, एमपीइएच के निदेशक डॉ. अशोक सिंह सहित अन्य ने शोक व्यक्त किया है। नागपुरी साहित्य पर शोध करने वाले पहले व्यक्ति :

    डॉ. गोस्वामी का जन्म 19 जनवरी 1938 को हुआ था। 1958 में बिहार यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के बाद 1961 में राची विवि से एमए किया। 1962 से डोरंडा कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू किया। इसके बाद राची विवि से ही 1970 में नागपुरी और उसका शिष्ट साहित्य पर शोध कर पीएचडी की डिग्री ली। नागपुरी साहित्य पर शोध करने वाले डॉ. गोस्वामी पहले व्यक्ति थे। इन्होंने 1985 में डोरंडा कॉलेज से राची विवि के पीजी हिंदी विभाग में योगदान दिए। इसी विभाग से 1996 में सेवानिवृत्त हुए। डॉ. गोस्वामी की कृतिया डॉ. गोस्वामी ने लगभग दर्जन भर उपन्यासों से हिन्दी उपन्यास जगत को समृद्ध किया। उनके प्रमुख उपन्यासों में हैं- जंगलतन्त्रम, चक्रव्यूह, मेरे मरने के बाद, भारत बनाम इंडिया, हस्तक्षेप केंद्र और परिधि, एक टुकड़ा सच, सेतु, राहु केतु, दर्पण झूठ न बोले, कहानी एक नेताजी की व प्रतीक्षा आदि। राची शहर की गाथा धारावाहिक रूप में लिखी

    डॉ गोस्वामी ने बदलते राची शहर की गाथा धारावाहिक रूप में लिखी जिसका प्रकाशन एक समाचारपत्र में हुआ। वर्ष 2008 में यह राची तब और अब पुस्तक के रूप में सामने आई। इन्होंने अटल जी के नाम धारावाहिक पत्र भी लिखा। यह पुस्तक भी काफी चर्चित रही। इसके अलावा नाटक- कल दिल्ली की बारी व समय भी लिखा। उन्होंने डॉ कामिल बुल्के स्मृति ग्रंथ और रामचरितमानस के मुंडारी अनुवाद का संपादन भी किया था।

    वे हिंदी और नागपुरी दोनों भाषाओं में लिखते थे। उन्हें प्रतिष्ठित राधाकृष्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।