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    Jharkhand News : गर्मी में कुत्ते हुए खूंखार, रांची में एक महीने के अंदर 750 लोगों को काटा

    Updated: Fri, 31 May 2024 10:14 AM (IST)

    बढ़ती गर्मी का असर कुत्तों पर भी देखने को मिल रहा है। राजधानी में लगातार डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं। एक माह में 750 डॉग बाइट केस सामने आए हैं। डॉक्टरों का मानना है कि गर्मी में कुत्ते विचलित हो जाते हैं इससे कुत्तों के काटने का केस बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में ब्रीडिंग के समय डॉग बाइट केस बढ़ जाता है।

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    Jharkhand News : गर्मी में कुत्ते हुए खूंखार, रांची में एक महीने के अंदर 750 लोगों को काटा (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, रांची। बढ़ती गर्मी में डॉग बाइट के मामले में वृद्धि हुई है। पिछले एक माह में सदर अस्पताल में डॉग बाइट के 750 मामले सामने आए हैं यानि की हर दिन 25 नए मामले सामने आए। यह संख्या किसी दिन 40 तक भी पहुंच जा रही है।

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    डॉक्टरों का मानना है कि गर्मी में कुत्ते विचलित हो जाते हैं, जिस वजह से डॉग बाइट के केस बढ़ते हैं, जबकि इससे अधिक मामले वर्षा के मौसम में आते हैं, उस समय इनके ब्रिडिंग का वक्त होता है और ऐसे में ये आपस में ही उत्तेजित होते हैं।

    सिविल सर्जन डा. प्रभात कुमार बताते हैं कि डॉग बाइट के मामले पिछले दो माह में बढ़े है, लेकिन इनके लिए अस्पताल के पास पर्याप्त मात्रा में एंटी रैबीज वैक्सीन है, जिसे आसानी से उपलब्ध कराया जा रहा है।

    रिम्स में नहीं मिलता एंटी रैबीज वैक्सीन

    रिम्स में अधिकतर मामलों में एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं मिल पाता है, जिसके बाद मरीज को सीधे सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। यहां पर मरीज को पूरा डोज दिया जाता है, जबकि कुछ मामलों में रिम्स के इमरजेंसी में आए गंभीर डॉग बाइट के मरीज को पहला डोज उपलब्ध कराया जाता है।

    वहीं, बाकी डोज सदर अस्पताल से लेने को कहा जाता है। दूसरी ओर सीएचसी में भी एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध कराया गया है।

    आइडीएच में नहीं ही पूरी व्यवस्था

    राज्य का पहला इंफेक्शियस डिजीज हास्पिटल अपनी बदहाली पर रो रहा है। यहां पर सिर्फ दो डॉक्टर मौजूद हैं, जिनके पास कोई मरीज आता ही नहीं है। स्थिति यह है कि यहां पर संक्रमण रोग के इलाज के लिए ना ही रैबीज, डिप्थीरिया और न ही टेटनस के मरीज आते हैं। हालांकि, सिविल सर्जन बताते हैं कुछ टेटनस के मरीजों का यहां पर इलाज जरूर होता है लेकिन जो व्यवस्था है उससे वे भी नाखुश हैं।

    अधिकतर दिन डॉक्टर छुट्टी पर रहते हैं और पूरे परिसर में सन्नाटा पसरा रहता है। सिविल सर्जन ने बताया कि आइडीएच के नए भवन का निर्माण जल्द ही होना है और इसके लिए डीपीआर भी तैयार कर पहले ही सरकार को भेजा जा चुका है।

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