RIMS के भविष्य को ले बड़े फैसले की उम्मीद लगाए हैं डॉक्टर्स, शासी परिषद की बैठक में इन एजेंडों पर हुई चर्चा
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की लचर व्यवस्था को सुधारने के लिए झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर शनिवार को 61वीं शासी परिषद की बैठक हुई। स्वास्थ्य मंत्री डा. इरफान अंसारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कोर्ट द्वारा दिए गए कुल 33 में से पहले चरण के 16 एजेंडों पर चर्चा हुई।

रिम्स शासी परिषद की बैठक में 16 एजेंडों पर चर्चा, बाकी मुद्दों पर 9 अक्टूबर को होगी अगली बैठक
जागरण संवाददाता, रांची। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की लचर व्यवस्था को सुधारने के लिए झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर शनिवार को 61वीं शासी परिषद की बैठक हुई।
स्वास्थ्य मंत्री डा. इरफान अंसारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कोर्ट द्वारा दिए गए कुल 33 में से पहले चरण के 16 एजेंडों पर चर्चा हुई।
शेष एजेंडों पर विचार के लिए 9 अक्टूबर को दोबारा बैठक बुलाई जाएगी। बैठक में यह भी तय हुआ कि रिम्स की व्यवस्था सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
अब 9 अक्टूबर की बैठक पर डाक्टरों की भी नजर है, जब शेष 17 एजेंडों पर चर्चा होगी और रिम्स के भविष्य को लेकर बड़े फैसले संभव हैं।
करीब तीन घंटे चली इस बैठक में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह, वाणिज्य सचिव अमित कुमार, रिनपास निदेशक डा. अमूल रंजन, विधायक सुरेश बैठा, रिम्स निदेशक डा. राजकुमार समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा - रिम्स की स्थिति सही नहीं
बैठक में आब्जर्वर के रूप में रिटायर्ड जस्टिस अमरेश्वर सहाय भी उपस्थित थे। बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री डा. इरफान अंसारी ने कहा कि कोर्ट के निर्देश पर परिषद की बैठक बुलाई गई थी और कोर्ट को संतुष्ट करने के लिए विस्तृत जवाब भी दिया गया है।
वहीं, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने भी विभाग पर सवाल उठाए और कहा कि रिम्स की स्थिति सही नहीं है। झारखंड ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं।
इसलिए संस्थान को दुरुस्त करना बेहद जरूरी है। रिम्स निदेशक डा. राजकुमार ने बैठक को रिम्स सुधार की दिशा में अहम करार दिया।
बैठक में इन प्रमुख मुद्दों पर हुई चर्चा
- रिम्स के अंतर्गत चिकित्सा संवर्ग, वरीय रेजीडेंट व ट्यूटर के रिक्त पदों पर नियुक्ति।
- तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की नियुक्ति।
- नए विभागों की स्थापना के लिए पद सृजन।
- दवा व अन्य आवश्यक सामानों की खरीदारी।
- नए भवनों का निर्माण तथा पुराने का जीर्णोद्धार।
- जर्जर भवनों की आकस्मिक मरम्मत।
- पेयजल आपूर्ति और जलजमाव की समस्या।
- ट्रामा सेंटर व सेंट्रल इमरजेंसी में सुधार।
- चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक की जिम्मेदारी निदेशक को।
- बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करने का निर्णय।
- देश के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह से एडवाइजरी बोर्ड बनाने का प्रस्ताव।
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