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    क्या आप जानते हैं बिहार-झारखंड में किसके पास है दूसरी सबसे पुरानी मारुति 800 कार, पढ़िए पूरी खबर

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Tue, 14 Dec 2021 01:40 PM (IST)

    आपको यह जान कर हैरानी होगी क‍ि दूसरी मारुत‍ि 800 कार खरीने वाला शख्‍स रांची का रहने वाला है। वह मूल रूप से ब‍िहार के औरंगाबाद के न‍िवासी है। कैसे खरीदी कार क‍िस हालत में अभी कार पढ़ें पूरी कहानी यहां।

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    अपनी मारुत‍ि 800 कार के साथ रांची न‍िवासी रामदेव गुप्‍ता। जागरण

    रांची, जागरण संवाददाता। मारुति 800 कार। जब यह कार दिसंबर 1983 में लांच हुई तो किसी को यह यकीन नहीं था कि यह कुछ ही वर्षों में बड़ी पहचान बना पाएगी। कार की पहली चाबी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हरपाल सिंह को सौंपी थी। तब मारुति कार पाने की ललक रांची के डा. रामदेव गुप्ता को भी हुई। तब रांची बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी कही जाती थी। यहां के रहनेवाले रामदेव गुप्ता ने मारुति 800 लांच होने के ठीक एक साल बाद यानी 13 दिसंबर 1984 को यह कार खरीदी। तब वो मारुति 800 खरीदने वाले बिहार के दूसरे शख्स बने थे।

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    आज भी सही कंडीशन में है कार

    आज भी वो कार रामदेव गुप्ता के पास है। सही कंडीशन में ही नहीं, फर्राटा भरनेवाली स्थिति में। ब्लू रंग की कार को आप देखेंगे तो नहीं कह सकते कि 37 साल पुरानी यह कार है। रामदेव अपनी कार दिखाते हुए कहते हैं महज 2-3 सेकेंड में गाड़ी स्पीड पकड़ लेती है। अभी भी दूसरी कारों से रेस लगा सकती है।

    बहादुर सिंह ने कार की चाबी सौंपी थी

    रामदेव कहते हैं दिसंबर 1983 में कार लांच हुई थी। भारत के लिए यह अपने तरह की नई कार थी। कार को देखकर ही इसे लेने की इच्छा हुई। तब मेरी उम्र 46 साल की थी। एग्रीकल्चरल कालेज में था। एक महीने पहले ही कार की बुकिंग कराई। तब सात लोगों ने कार बुक कराई थी। 13 दिसंबर 1984 का वह वक्त आया जब मारुति 800 कार मेरी हुई। रामदेव कहते हैं उस समय की खुशी को शब्दों में बयान नहीं कर सकता। तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने मारुति 800 कार की चाबी सौंपी थी। उस समय जिन्हें भी यह कार मिली उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।

    मारुति 800 से ही कई शहरों की दूरी मापी

    अपनी मारुति 800 कार को दिखाते हुए रामदेव कहते हैं यह हमारी सगुनी (लकी) कार है। इससे कई दूसरे शहरों की यात्रा की। 1986 और 1988 में दो बार रांची से पूरी की यात्रा अपनी मारुति 800 कार से ही की। कहते हैं सुबह 6 बजे चले तो अगली सुबह पूरी बीच पर जा पहुंचे। दिल्ली, मध्यप्रदेश का सतना और दूसरे शहरों की यात्रा भी इसी मारुति 800 से की।

    ब‍िहार के औरंगाबाद के मूल न‍िवासी हैं रामदेव

    रामदेव एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट रहे हैं। मूल रूप से औरंगाबाद के रहनेवाले रामदेव कहते हैं अभी उम्र 83 वर्ष हो गई है। वर्ष 1957 में करियर की शुरुआत की थी। 1963 में रांची विवि में केमिस्ट्री के प्रोफेसर रहे। वहां से फिर वेटनरी कालेज गए। फिर बिरसा कृषि विवि में चीफ एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट रहे।

    देश में मारुति की पहली जिप्सी खरीदने का र‍िकार्ड

    रामदेव कहते हैं मारुति 800 लेने के ठीक एक साल बाद उन्होंने मारुति जिप्सी भी खरीदी। पूरे देश में मारुति की पहली जिप्सी कार खरीदने वाले वही व्यक्ति थे। 14 दिसंबर 1985 को कार लांच हुई। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गुड़गांव में उन्हें जिप्सी की चाबी सौंपी। तब कार की बुकिंग के लिए रामदेव ने 25 हजार रुपये जमा कराए थे। हालांकि पहली जिप्सी के मालिक होने के बाद यह कार उनके पास नहीं रह सकी। इसके पीछे की कहानी रामदेव बताते हैं। वो कहते हैं देश की पहली जिप्सी का मालिक मैं बना था। उस समय बिहार के मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे थे। उनके बेटे रमेश पांडे ने कहा कि देश की पहली जिप्सी है। मुख्यमंत्री के घर के सामने लगेगी तो ज्यादा शोभा देगी। इस तरह वो कार रामदेव ने उन्हें दे दी।

    शरीर से ज्यादा मारुति कार पर करते हैं खर्च

    रामदेव कहते हैं वो शरीर से ज्यादा अपनी मारुति 800 कार पर खर्च करते हैं। चार-पांच बार तो सर्विसिंग कराते ही हैं कुछ भी गड़बड़ी दिखी तो तत्काल मैकेनिक से ठीक करवाते हैं। एक मैकेनिक हमेशा इसके लिए उपलब्ध रहता है। कहते हैं डायरी में मेंटेन करके रखता हूं कि इतने किलोमीटर गाड़ी चल गई अब इसकी सर्विसिंग करानी है। फिर बिना देरी किए सर्विसिंग करा लेता हूं। रामदेव कहते हैं आज तक इसका इंजन नहीं खुला। न ही कभी इससे कोई दुर्घटना हुई। इसलिए वो इसे अपनी सगुनी कार मानते हैं।

    घर में तीन और गाड़ियां, पर मारुति सबसे खास

    रामदेव के चार बच्चे हैं। एक एसबीआइ में एजीएम हैं। दूसरी बीएयू में कार्यरत हैं। एक बेटी विधानसभा में क्लक है। एक बेटे की मौत हो चुकी है। दो पोते और दो पोतियां हैं। घर में मारुति 800 क्यों रखे हैं, उनके बेटे ये बोलते हैं पर रामदेव ने कभी इसे हटाने के बारे में नहीं सोचा। वो कहते हैं घर में तीन और गाड़ियां हैं। बेटे मारुति 800 को हटाने को कहते हैं। रामदेव बेटों को कहते हैं मेरे मरने पर ही इसे हटाना।

    रिटायर होने के बाद योग में बनाई पहचान

    एग्रीकल्चर साइंटिस्ट रहे रामदेव की पहचान अब योगगुरु के रूप में है। 83 वर्ष की उम्र है लेकिन वो योग में सिद्ध हैं। 377 योग शिविर वो लगा चुके हैं। वो मोटिवेशनल क्लास लेते हैं। लगातार योग कैंप लगाने के लिए रामदेव को बिरसा कृषि विवि ने 2015 और 2016 में उन्हें सम्मानित किया था। इजी लीविंग इन बिजी लाइफ इस थीम पर रामदेव गुप्ता लेक्चर देते हैं। काठमांडु, बैंकॉक सहित कई देशों में उनके योग कैंप लग चुके हैं। गंगटोक, जयपुर, अहमदाबाद, द्वारका, मुंबई, हैदराबाद आदि शहरों में उनके नियमित रूप से शिविर लगते रहे हैं।