दिव्यांगता को हराकर सुमन ने बनाया नया मुकाम, अब आस्ट्रेलिया में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
लोहरदगा के सुमन प्रजापति ने दिव्यांगता को हराकर बोसिया बॉल में पहचान बनाई है। स्पाइनल इंज्युरी के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर दो सिल्वर मेडल जीते। अब वे वर्ल्ड बोसिया चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे जिसके लिए हिंडाल्को उनकी मदद कर रहा है। सुमन का सपना है कि वे 2028 में पारा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीते।

प्रदीप सिंह, रांची। अगर देखनी हो मेरी उड़ान तो आसमान से कहो, थोड़ा और ऊंचा हो जाए....। यह लाइन लोहरदगा के 27 वर्षीय सुमन प्रजापति की जिंदगी पर सटीक बैठती है। एक हादसे ने स्पाइनल इंज्युरी के चलते शरीर 75 प्रतिशत दिव्यांगता का शिकार हो गया। लेकिन जिंदगी में कुछ कर गुजरने की जिद्द और अपनी एक पहचान बनाने की बेताबी ने उनके हौसले को पंख दिया।
सुमन झारखंड के एकलौते बोसिया बॉल खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दो नेशनल चैंपियनशिप में दो-दो सिल्वर मेडल जीते हैं। अब वे नवंबर 2025 में कैनबरा, आस्ट्रेलिया में होने वाले वर्ल्ड बोसिया चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने को तैयार हैं।
सुमन का यह सफर इतना आसान भी नहीं था। वर्ष 2016 में एक दुर्घटना में स्पाइनल इंज्युरी के कारण उनके हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया था। सी-लेवल की दिव्यांगता की श्रेणी ने 75 प्रतिशत तक शरीर को काम करने में असमर्थ कर दिया। ऐसे में जिंदगी को नई शुरुआत देना एक चुनौती थी
हिंडाल्को ने बढ़ाया मदद का हाथ
उन्हें अपने मित्र अजय से बोसिया बॉल के बारे में जानकारी मिली। लेकिन झारखंड में इस खेल का कोई फेडरेशन और सुविधा नहीं होने कारण इसमें भाग लेना एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में प्रतिष्ठित आदित्य बिड़ला समूह की मेटस फ्लैगशिप कंपनी हिंडाल्को ने उनसे संपर्क कर कारपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत उन्हें मदद करने का फैसला किया और पहली उन्हे दक्षिण कोरिया से मंगा कर बोसिया बॉल प्रैक्टिस करने के लिए दी गई, जिसकी कीमत 1.30 लाख रुपये थी।
दो सिल्वर मेडल जीतकर बनाया मुकाम
इसके बाद उन्होंने 2024 में ग्वालियर में हुए नेशनल चैंपियनशिप और जनवरी 2025 में विशाखापत्तनम में हुए नेशनल बोसिया बॉल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्हें आस्ट्रेलिया के कैनबरा में तीन से 11 नवंबर 2025 तक होने वाले वर्ल्ड बोसिया बॉल चैंपिंयनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है, जिसके लिए हिंडाल्को उन्हें पूरी सहायता प्रदान कर रहा है।
सुमन प्रजापति ने दैनिक जागरण से हुई विशेष बातचीत में बताया कि इस चैंपियनशिप में खिलाड़ी को खुद के खर्च पर ही भाग लेना होता है, जिसका कुल खर्च साढ़े चार लाख रुपए होता है. यह खर्च कंपनी द्वारा प्रदान किया गया है। चैंपियनशिप में शामिल होने का सपना इसी सहायता से पूरा हो रहा है।
पैरालिंपिक गेम है बोसिया बॉल
बोसिया बॉल एक पैरालिंपिक खेल है, जो सटीकता और रणनीति पर आधारित है। यह विशेष रूप से गंभीर शारीरिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिए डिजाइन किया गया है, जैसे-सेरेब्रल पाल्सी या अन्य घातक चोट से दिव्यांगता के शिकार लोग।
इसमें खिलाड़ी छह लाल या नीले चमड़े के गेंद को एक सफेद लक्ष्य गेंद (जैक) के पास फेंकते हैं। खेल का उद्देश्य अपने गेंद को जैक के सबसे करीब लाना है। यह व्यक्तिगत, जोड़ी या तीन की टीम में खेला जाता है, जिसमें चार (व्यक्तिगत/जोड़ी) या छह (टीम) एंड होते हैं। प्रत्येक एंड में निकटतम बॉल्स के आधार पर अंक दिए जाते हैं। खेल 12.5x6 मीटर के चिकने कोर्ट पर खेला जाता है।
हिंडाल्को अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन के लिए प्रतिबद्ध है। हम गुणवत्तापूर्ण माइनिंग के साथ-साथ समाज के प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने और उनके भविष्य निर्माण में सतत प्रयत्नशील हैं। हमारा उद्देश्य और लक्ष्य है कि CSR के तहत प्रतिभावान खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा मदद की जाए ताकि वे राज्य और देश का नाम रौशन कर सकें। सुमन का सपना है कि वह 2026 में जापान में होने वाले एशियन गेम्स और 2028 में होने वाले पारा ओलिंपिक में देश की ओर से खेले और गोल्ड मेडल जीतकर झारखंड और देश का नाम ऊंचा करे। -कैलाश पांडेय, बिजनेस हेड, माइनिंग एंड मिनरल बिजनेस, हिंडाल्को
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