'धर्म बदल चुके आदिवासियों को न मिले आरक्षण का लाभ', निशा भगत ने मुंडन कराकर की डिलिस्टिंग की मांग
झारखंड में निशा भगत ने धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को आरक्षण न देने की मांग की है। उन्होंने मुंडन कराकर डिलिस्टिंग की मांग करते हुए विरोध प्रदर ...और पढ़ें

निशा भगत ने कराया मुंडन। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, रांची। डिलिस्टिंग की मांग को लेकर केंद्रीय सरना समिति की ओर से लोक भवन (राजभवन) के समक्ष एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में केंद्रीय सरना समिति की प्रवक्ता निशा भगत ने डिलिस्टिंग की मांग करते हुए अपना मुंडन कराया।
उन्होंने कहा कि परिवर्तित आदिवासी, जो अपने पूर्वजों की परंपरा संस्कृति को छोड़कर अन्य धर्मों की परंपरा और संस्कृति में विश्वास रखते हैं, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम। सिख, जैन, बौद्ध या ईसाई धर्म को अपनाया गया है। ऐसे लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची से आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।
इस मुंडन समारोह में विभिन्न जगहों से लोग शामिल हुए। निशा भगत का मुंडल बिगल पाहन ने बलि प्रथा के साथ किया। निशा भगत ने कहा कि उन्होंने आदिवासी परंपरा संस्कृति के अनुसार अपना मुंडन कराया है।
इसके माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि ईसाई समुदाय की परंपरा व संस्कृति आदिवासी परंपरा -संस्कृति, जन्म संस्कार से लेकर मृत्यु संस्कार से कोई मेल नहीं खाता। केवल आदिवासी का लाभ लेने के लिए आदिवासी होने का ढोंग कर रहे धर्मांतरित लोगों की डिलिस्टिंग होनी चाहिए। डिलिस्टिंग में ऐसे लोग जिन्होंने अन्य धर्म अपना लिया हैं, उन्हें अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
मूलनिवासी आदिवासियों पर अतिक्रमण: तिर्की
केंद्रीय सरना कमेटी के केंद्रीय अध्यक्ष फुलचंद तिर्की ने कहा कि प्राकृतिक पुजारी सरना आदिवासी जो परंपरागत परंपरा, संस्कृति, उनकी परंपरा, अधिकार, अधिकार का चौतरफा पालन कर रहे हैं। दूसरी ओर, कुर्मी, कुडमी आदिवासियों का लाभ लेने के लिए, परिवर्तित ईसाई मिशन पहले से ही अनुसूचित जनजातियों का लाभ उठाकर मूलनिवासी आदिवासियों पर अतिक्रमण कर रहे हैं।
उन्होंने मांग है, जो भी अन्य धर्म अपनाते है, तो उनकी अनुसूचित जातियों का लाभ समाप्त होना चाहिए। आदिवासी अपनी धर्म संस्कृति छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन जाते हैं, फिर भी उन्हें ईसाई या मुस्लिम आदिवासी का लाभ (अनुसूचित जनजाति) का लाभ मिल रहता है।
केंद्रीय सरना समिति सरकार से मांग कि मूल आदिवासियों को उनका अधिकार दिया जाए। मौके पर एंजेल लकड़ा जय तिर्की, अमर तिर्की, एंजेल लकड़ा,निरा टोप्पो, प्रमोद एक्का, बिनय उरांव, पंचम तिर्की, सोहन कच्छप, हंदु भगत व अन्य शामिल हुए।

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