Jharkhand Politics: राज्य समन्वय समिति को लेकर छिड़ी बहस, भाजपा ने कहा राजनीतिक उपहार तो झामुमो ने बताया जनहित का सेतु
Jharkhand राज्य समन्वय समिति को लेकर एक फिर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। भाजपा ने इसे राजनीतिक उपहार बताते हुए जनता का पैसा बर्वाद करने की बात कह रही है तो सत्ताधारी दल झामुमो इसे जनहित का सेतु बता रहा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने समिति को निष्क्रिय और औचित्यहीन बताया।

राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड राज्य समन्वय समिति को लेकर राजनीतिक स्तर पर बहस छिड़ी है।भाजपा ने इसे राजनीतिक उपहार बताया है तो सत्ताधारी दल झामुमो इसे जनहित का सेतु कह रहा है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड राज्य समन्वय समिति को राजनीतिक उपहार योजना करार देते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने समिति को निष्क्रिय और औचित्यहीन बताया।
उन्होंने कहा कि इसका गठन विकास कार्यों में समन्वय के नाम पर हुआ था, लेकिन यह सत्ताधारी दलों के नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा देकर उपकृत करने का माध्यम बन गई है।
शाहदेव के अनुसार, 2022 में गठित इस समिति की ढाई वर्षों में केवल एक बैठक 10 जून, 2023 को हुई, और 2024 व 2025 में कोई बैठक नहीं हुई।
इसके बावजूद, 9 अक्टूबर, 2024 को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश को समिति का सदस्य बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया। शाहदेव ने सवाल उठाया कि जब बैठकें ही नहीं हो रही हैं, तो जनता के करोड़ों रुपये इस समिति पर खर्च करने का क्या औचित्य है?
उन्होंने आरोप लगाया कि समिति के नौ सदस्यों, जिनमें अधिकांश को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है, को सरकारी वाहन, आवास और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं।
जबकि झारखंड के लोग बिजली, पानी, सड़क और रोजगार जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। शाहदेव ने इसे जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग बताया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव व राज्य समन्वय समिति के सदस्य विनोद पांडेय ने भाजपा के आरोपों को तथ्यहीन और राजनीतिक कुंठा से प्रेरित करार दिया।
समिति सरकार और जनता के बीच सक्रिय सेतु के रूप में कार्य कर रही है और इसके सदस्य नियमित रूप से नीतिगत, सामाजिक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विभागों से संवाद कर मुख्यमंत्री को सुझाव देते हैं।
पांडेय ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा को झारखंड की निर्वाचित सरकार की सफलता बर्दाश्त नहीं हो रही, इसलिए वह हर संस्था को बदनाम करने में लगी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि समिति की बैठकें केवल औपचारिकता नहीं है। सदस्यों का क्षेत्रीय मुद्दों पर निरंतर संवाद सरकार की नीतियों को जनभावनाओं के अनुरूप ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विनोद पांडेय ने भाजपा पर सत्ता में रहते हुए मलाई की राजनीति करने का आरोप लगाया और सलाह दी कि यदि वे अपनी डूबी सियासत को बचाना चाहते हैं तो आलोचना के साथ सहयोग की भाषा सीखें।
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