मां-बाप और भाई की हत्या में फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला, कोर्ट ने कहा- घटना Rarest of Rare नहीं
झारखंड हाई कोर्ट में मां-बाप और छोटे भाई की हत्या में मिली फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल नीतेश साहू की अपील पर सुनवाई हुई। अदालत ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। रांची सिविल कोर्ट ने नीतेश साहू को फांसी की सजा सुनाई थी। सरकार ने भी सजा को पुष्ट कराने के लिए याचिका दाखिल की थी। अदालत ने घटना को रेयरेस्ट आफ रेयर नहीं माना।

राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand High Court के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में मां-बाप और छोटे भाई की हत्या के में मिली फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल नीतेश साहू की अपील पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। रांची सिविल कोर्ट ने नीतेश साहू को 13 जुलाई 2018 को फांसी की सजा सुनाई थी। सरकार ने भी सजा को पुष्ट कराने के लिए याचिका दाखिल की थी। अदालत ने इस घटना को Rarest of Rare नहीं माना।
निचली अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था की ऐसा कृत्य करने वाले को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। मां-बाप और छोटे भाई की हत्या करना कोई छोटी घटना नहीं है। ऐसे व्यक्ति पर दया नहीं दिखाई जा सकती है। घटना 12 जुलाई 2014 की रात की है।
मामूली विवाद में यह घटना हुई। 12 जुलाई 2014 को नीतेश साहू भोजन कर रहा था। उस दौरान उसके 43 वर्षीय पिता शिवनंदन साहू वहां आए और खाने की थाली छीनकर नितेश की पिटाई कर दी थी। जिसके बाद पूरा परिवार रात में सोने चला गया।
रात में नीतेश उठा और टांगी से काटकर अपने पिता की हत्या कर दी। तभी सौतेली मां कुंती देवी उठी और बोली यह क्या कर रहे हो, इस पर नीतेश ने मां को भी काट डाला। फिर छोटे भाई रघु को भी उसने मार डाला। उसके बाद अपनी छोटी बहन निक्की की भी हत्या का प्रयास किया।
नितेश को गिरफ्तार किया गया था। इस घटना की निक्की ही एक मात्र चश्मदीद गवाह थी। नीतेश ने अपने बयान में कहा था कि उसकी मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी की थी।
इसके बाद पढ़ाई छुड़वाकर काम पर लगा दिया था। सौतेली मां की भी व्यवहार ठीक नहीं रहता था, परिवार में सिर्फ उसकी छोटी बहन निक्की ही उसका पक्ष लेती थी इसलिए उसे छोड़ दिया था।
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