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तुम जैसी भी हो जिंदगी, मुझे तुझसे है प्यार... कवियों ने बांधा समां, श्रोता मंत्रमुग्ध

Dainik Jagran Kavi Sammelan. दैनिक जागरण के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने चुनाव परिणाम के बाद नेताओं की स्थिति पर व्यंग्य कर श्रोताओं को खूब हंसाया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 11:02 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 02:33 PM (IST)
तुम जैसी भी हो जिंदगी, मुझे तुझसे है प्यार... कवियों ने बांधा समां, श्रोता मंत्रमुग्ध
तुम जैसी भी हो जिंदगी, मुझे तुझसे है प्यार... कवियों ने बांधा समां, श्रोता मंत्रमुग्ध

रांची, जागरण संवाददाता। दैनिक जागरण के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने चुनाव परिणाम के बाद नेताओं की स्थिति पर व्यंग्य कर श्रोताओं को खूब हंसाया। कवि सम्मेलन में राष्ट्रवाद की बयार बही तो भारत माता की जय से रिम्स ऑडिटोरियम गूंज उठा। इसके बाद कवियों ने बेटी के महत्व को भी शब्दों में खूबसूरती से पिरोया।

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शनिवार की शाम ऐसी थी कि कभी सभागार ठहाकों से गूंज रहा था तो कभी इश्क का रंग गाढ़ा हो रहा था। बीच में कवि ने धारा-370 को हटाने की मांग भी कर दी। हर कवि का अलग रंग, अलग अंदाजे बयां था। डॉ. कृति काले का मां शारदे की वंदना से शुरू हुआ कवि सम्मेलन का कारवां मशहूर कवि व छोटे पर्दे के कलाकार शैलेश लोढ़ा पर जा कर खत्म हुआ।

अहिंसक हैं हम, नपुंसक नहीं

शैलेष लोढ़ा ने अंत से पहले हास्य व व्यंग्य के कई तीर छोड़े तो खूब ठहाके लगे। भारत की अहिंसा की नीति पर कहा कि अहिंसक हैं हम, नपुंसक नहीं। सोशल मीडिया पर कटाक्ष करते हुए कहा, फेसबुक ने 60 साल के बुजुर्ग को 22 साल पुरानी फोटो प्रोफाइल पर लगाने को मजबूर कर दिया।

डिलीवरी कराने पहुंचा मैकडोनाल्ड

अंग्रेजी को अधिक महत्व देने पर कटाक्ष करते हुए लोढ़ा ने कहा कि मेरा एक दोस्त अंग्रेजी के चक्कर में पत्नी को डिलिवरी कराने मैकडोनाल्ड लेकर पहुंच गया। क्योंकि वहां लिखा था- फ्री डिलिवरी। इसलिए बच्चों को हिंदी बोलना सिखाइए। संचालन कर रहे दिनेश दिग्गज की तरफ इशारा करते हुए शैलेश ने व्यंग्य किया। कहा, हिंदी का कवि पहली रात पत्नी का घूंघट उठाकर ताली बजाने की फरमाइश करता है, फिर बाद में पेमेंट भी लेता है।

तुम जैसी भी है जिंंदगी मुझे तुझसे प्यार है

शैलेश लोढ़ा ने जिंदगी से प्यार करना भी सिखाया। उन्होंने कहा कि तुम जैसी भी है जिंंदगी मुझे तुझसे प्यार है...। बेटी पर कहा- क्या लिखूं कि वो परियों का रूप होती है। वो पहाड़ की चोटी पर सूरज की धूप होती है। लोढ़ा ने कहा कि दैनिक जागरण कवि सम्मेलन कराकर हिंदी की बड़ी सेवा कर रहा है। विश्व का ऐसा कोई समूह नहीं है जो ऐसा काम करता हो।

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