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    साइबर ठगी मामले में CBI ने कसा शिकंजा, 4 विदेशी नागरिकों सहित 17 आरोपितों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट 

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 09:58 PM (IST)

    रांची में सीबीआई ने 1000 करोड़ की साइबर ठगी में चार विदेशी नागरिकों सहित 17 आरोपितों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। आरोप है कि साइबर अप ...और पढ़ें

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। 1000 करोड़ की साइबर ठगी मामले में सीबीआई ने चार विदेशी नागरिकों सहित 17 आरोपितों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

    आरोप है कि साइबर अपराधियों के इस नेटवर्क ने शेल कंपनियों के जरिये एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की ऑनलाइन ठगी की है।

    हजारों नागरिकों को गुमराह कर लोन ऐप, फर्जी निवेश योजनाओं, पोंजी और एमएलएस मॉडल, फर्जी पार्टटाइम नौकरी का ऑफर और धोखाधड़ी वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म के माध्यम से धोखा देने के लिए व्यापक डिजिटल और वित्तीय बुनियादी ढांचा तैयार किया था।

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    सीबीआई की जांच में सामने आया है कि यह गिरोह निवेश, लोन, नौकरी और ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर लोगों को ठगता था।

    एक खाते में आए 152 करोड़

    इसी साल अक्टूबर में तीन आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 स्थानों पर छापेमारी कर डिजिटल उपकरण और वित्तीय दस्तावेज जब्त किया था। इसके बाद जांच का दायरा लगातार बढ़ता गया।

    सीबीआई को जांच के दौरान जानकारी मिली कि गिरोह ने 111 से अधिक शेल कंपनियां बनाईं। इन कंपनियों के माध्यम से ठगी की रकम को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किया। म्यूल खातों (दूसरे के नाम पर खाते खोल कर) के माध्यम से करीब 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया।

    इनमें से एक ही खाते में कुछ ही समय में 152 करोड़ रुपये जमा होने की पुष्टि हुई है। इन कंपनियों को फर्जी निदेशकों, नकली पते और झूठे कारोबारी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकृत कराया गया था। शेल कंपनियों का उपयोग बैंक अकाउंट और डिजिटल पेमेंट गेटवे, यूपीआई, फोन-पे और अन्य फिनटेक प्लेटफार्म पर अकाउंट खोलने के लिए किया गया।

    इसके बाद ठगी की रकम को तेजी से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर उसके असली स्रोत को छिपाने की कोशिश की गई।

    कोरोना महामारी में ठगी की शुरूआत

    ठगी के इस नेटवर्क की शुरुआत वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान हुई थी। इसे चार चीनी नागरिक जोउ यी, हुआन लिउ, वेइजियान लिउ और गुआनहुआ द्वारा संचालित किया जा रहा था। इनके भारतीय सहयोगियों ने अवैध रूप से लोगों के पहचान दस्तावेज हासिल कर शेल कंपनियों और म्यूल खातों का नेटवर्क खड़ा किया, ताकि ठगी से कमाए गए धन को सफेद किया जा सके।

    सीबीआई ने चार्जशीट में यह भी बताया है कि नेटवर्क का नियंत्रण अब भी विदेशी नागरिकों के हाथ में था। दो भारतीय आरोपियों से जुड़े बैंक खातों की यूपीआई आईडी अगस्त 2025 तक विदेश से सक्रिय पाई गईं, जिससे यह साफ हुआ कि ठगी का संचालन रियल टाइम में विदेशी लोकेशन से किया जा रहा था।

    सिंडिकेट आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता था। इसमें गूगल विज्ञापन, बल्क एसएमस, सिम-बॉक्स, क्लाउड सर्वर, फिनटेक प्लेटफार्म और सैकड़ों म्यूल खातों के जरिए पूरी ठगी की श्रृंखला को इस तरह डिजाइन किया गया था।