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    Presidential Election: यशवंत सिन्हा को CPIML का साथ... दीपांकर का झारखंड में एलान... झामुमो ने साध रखी चुप्पी

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Mon, 27 Jun 2022 09:45 PM (IST)

    Presidential Election 2022 बिहार और झारखंड में विधायकों वाली भाकपा माले ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के पक्ष में मतदान करने की घोषणा की है। पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने सोमवार को रांची में इस बात की घोषणा की।

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    Presidential Election: यशवंत सिन्हा को CPIML का साथ... दीपांकर का झारखंड में ऐलान... झामुमो ने साध रखी चुप्पी

    रांची, राज्य ब्यूरो। भाकपा माले ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा का समर्थन करने की घोषणा की है। पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यहां राज्य कमेटी की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश में राष्ट्रपति का चुनाव होना है। जब भाजपा रोजगार के अवसर को खत्म किए जा रही है, ऐसी स्थिति में संविधान व लोकतंत्र पर हमले जारी है। ऐसे दौर में पूरे विपक्षी की ओर से यशवंत सिन्हा को खड़ा किया गया है, जिनका भाकपा माले समर्थन करेगी। मालूम हो कि झारखंड में भाकपा माले का एक विधायक है। वहीं बिहार विधानसभा में कुल 12 विधायक हैं। इस तरह भाकपा माले के पास 13 विधायकों का वोट है। चूंकि भाकपा माले शुरू से ही भाजपा का मुखर विरोधी रही है, ऐसे में उसके लिए प्रत्याशी मायने नहीं रखता। भाकपा माले बिहार में राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी। वामदलों के बीच उसने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था।

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    झामुमो ने अभी साफ नहीं की है स्थिति

    झारखंड में अभी तक हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झामुमो ने स्पष्ट नहीं किया है कि उनके सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनाव में किसको वोट देंगे। भाजपा ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाकर हेमंत सोरेन के आदिवासी राजनीति के समक्ष चुनौती खड़ी कर दी है। झामुमो की पिछले दिनों बैठक हुई थी, लेकिन उसमें भी तय नहीं हो सका कि पार्टी द्रौपदी मुर्मू को वोट देगी या यशवंत सिन्हा को। झामुमो के लिए यहां विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है। पार्टी ने कहा है कि आने वाले चंद रोज में वह स्थिति साफ कर देगी।

    तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी का विरोध

    इससे पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के खिलाफ वामदलों, सामाजिक संगठनों व मानवाधिकार कार्यकताओं ने प्रतिवाद मार्च के बाद राजभवन के पास एक सभा की। इस सभा में भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज की अघोषित आपातकाल 45 साल पहले थोपा गया आपातकाल से भी ज्यादा खतरनाक है।

    न्याय के लिए संघर्ष करने वालों पर दमन गलत

    न्याय के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दमनात्मक कार्रवाई कि जा रही है। रांची में उपद्रव पर पुलिस की खिंचाई करते हुए उन्होंने कहा कि गोली चलाना पुलिस विभाग व न्याय पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। सरकार सिर्फ मुआवजा से काम चलाना चाह रही है। इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो। प्रेस कांफ्रेंस में भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त, विधायक विनोद सिंह, शुभेंदु सेन, जनार्दन प्रसाद, गीता मंडल, भुवनेश्वर केवट आदि उपस्थित थे।

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