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    COVID Vaccine: 45+ वाले आ नहीं रहे, 18+ वाले लौट जा रहे; यहां जानें झारखंड में कोरोना वैक्‍सीनेशन के हालात

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Mon, 31 May 2021 07:34 PM (IST)

    COVID Vaccination in Jharkhand Coronavirus Vaccine झारखंड में 45 प्लस के टीकाकरण के लिए महाअभियान चलाना पड़ेगा। 45 प्लस के 72 प्रतिशत नागरिकों को पहली डोज नहीं लग सकी है। यही रफ्तार रही तो 600 दिन और लग जाएंगे।

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    COVID Vaccination in Jharkhand, Coronavirus Vaccine 45 प्लस के 72 प्रतिशत नागरिकों को पहली डोज नहीं लग सकी है।

    रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। झारखंड में एक तरफ वैक्सीन की कमी के कारण 18 से 44 वर्ष के युवाओं के टीकाकरण में कमी आई है तो दूसरी तरफ, 45 से अधिक आयु के नागरिकों के टीकाकरण के लिए लाखों डोज वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद भी इसमें सुस्ती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में 45 प्लस वाले नागरिक टीका लेने आ नहीं रहे हैं। 45 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों का टीकाकरण होना सबसे अधिक जरूरी है, क्योंकि ये हाई रिस्क ग्रुप में शामिल हैं। राज्य में अबतक इस आयु वर्ग के 28 प्रतिशत नागरिकों को ही पहली डोज का टीका लग सका है। वर्तमान में इस आयु वर्ग के दस हजार से भी कम लोगों को प्रतिदिन पहली डोज का टीका लग रहा है।

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    यदि टीकाकरण की रफ्तार यही रही तो इस आयु वर्ग की सभी आबादी को पहली डोज का टीकाकरण पूरा होने में 600 दिन और लगेंगे। दरअसल, 18 से 44 वर्ष के नागरिकों के टीकाकरण के लिए राज्य सरकार कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीदती है, जबकि 45 वर्ष से अधिक नागरिकों के लिए वैक्सीन केंद्र सरकार उपलब्ध कराती है। राज्य कोटे से खरीदी गई वैक्सीन 50 हजार से भी कम बची है। दूसरी तरफ, 45 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के लिए मई माह के कोटा से ही 7,47,770 डोज वैक्सीन उपलब्ध है। वहीं, जून माह में केंद्र से 10.11 लाख डोज वैक्सीन और मिलेगी।

    लेकिन वर्तमान में राज्य में इस आयु वर्ग के आठ से दस हजार लोगों को ही पहली डोज का टीका लग पा रहा है। राज्य में मई माह में टीकाकरण की रफ्तार काफी कम हो गई। अप्रैल माह में 12,14,728 लोगों को पहली डोज का टीका लगा था, लेकिन मई माह में 30 मई तक 8,12,108 लोगों को ही पहली डोज का टीका लग सका। इस तरह, अप्रैल की अपेक्षा मई माह में लगभग चार लाख कम लोगों का टीकाकरण हुआ। टीकाकरण में 33 फीसद की कमी आई।

    टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में प्रतिदिन 45 प्लस के 50 हजार नागरिकों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा। इसे लेकर उपायुक्तों को निर्देश भी दिए गए, लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हो सका है। जानकार बताते हैं कि 45 प्लस के नागरिकों के टीकाकरण की रफ्तार नहीं बढ़ने का बड़ा कारण ग्रामीण क्षेत्रों में टीके को लेकर भ्रम भी है। विशेषज्ञ ग्रामीणों को टीकाकरण हेतु प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा व्यापक जन जागरूकता तथा टीकाकरण का महाअभियान चलाने की वकालत करते हैं।

    14 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी पहली डोज नहीं

    राज्य में अभी भी आठ प्रतिशत हेल्थ केयर वर्कर्स तथा 14 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहली डोज का टीका नहीं लग सका है। 18 से 44 वर्ष के नागरिकों के टीकाकरण की बात करें तो अभी तक 1.57 करोड़ लक्ष्य के विरुद्ध 3.31 फीसद को ही पहली डोज का टीका लगा सका है। हालांकि यह राष्ट्रीय औसत तीन फीसद से अधिक है।

    वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं हुआ तो हो सकती है कटौती

    राज्य सरकार यदि केंद्र के कोटे से मिली वैक्सीन का पूरा उपयोग नहीं कर पाएगी तो केंद्र अगली माह के कोटे में कटौती भी कर सकता है। केंद्र सरकार वैक्सीन की खपत के आधार पर भी राज्यों का कोटा निर्धारित करती है। दूसरी तरफ, वैक्सीन के अधिक उत्पादन की स्थिति में आनेवाले दिनों में केंद्र से अधिक वैक्सीन मिलने की संभावना भी हो सकती है। ऐसे में राज्य के पास बहुत अधिक संख्या में वैक्सीन रहते भी बहुत से लोग टीकाकरण से वंचित रह सकते हैं।

    ये अच्छे प्रयास, इससे बढ़ेगी टीकाकरण की गति

    -रांची में दो माेबाइल टीकाकरण वैन की शुरुआत हुई है। ऐसे प्रयास सभी जिलों में करने के निर्देश दिए गए हैं।

    -राज्य सरकार ने 22 प्रकार के लोगों को हाई रिस्क ग्रुप में शामिल करते हुए प्राथमिकता के आधार पर कैंप लगाकर उनका टीकाकरण करने का निर्णय लिया है।

    राज्य सरकार को ये करने की जरूरत

    -केंद्र ने 60 प्लस के बुजुर्गों तथा 18 प्लस के सभी दिव्यांगों के लिए उनके घरों के पास ही टीका केंद्र बनाने को कहा है। इसका सख्ती से अनुपालन हो।

    -राज्य में पंचायतों के सहयोग से एक दिन में 80 हजार से एक लाख तक टीकाकरण हो चुका है। इस तरह का अभियान आगे भी चलना चाहिए।

    -शहरी क्षेत्रों में लोग टीका लेने चाहते हैं, लेकिन केंद्र कम होने से उनका टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। शहरों में टीका केंद्र बढ़ाए जाएं।

    'गांवों में टीका को लेकर जागरुकता की कमी है। झारखंड के ग्रामीण काफी भोले-भाले होते हैं। लोग जो समझा देते हैं, वे समझ लेते हैं। राज्य सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में जन-जागरुकता अभियान चलाना चाहिए। इसमें नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। स्थानीय जन प्रतिनिधि जैसे विधायक व सांसद यदि अभी तक टीका नहीं ले सके हैं तो सभी के सामने टीका लें। यदि पहले टीका ले चुके हैं तो उसे लोगों को बताएं। ग्रामीणों को उदाहरण के साथ यह भी बताया जाना चाहिए कि किस तरह टीका लेनेवाले लोगों ने कोरोना संक्रमित होने के बाद भी वायरस को मात दी है।' -डाॅ. एके सिंह, अध्यक्ष, आइएमए, झारखंड।

    स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से सीधी बात

    -राज्य में 45 प्लस के नागरिकों में अभी तक 28 प्रतिशत को ही पहली डोज का टीका लग सका है। मई माह में इनके टीकाकरण में काफी कमी भी आई। इसके क्या कारण रहे?

    राज्य सरकार सभी नागरिकों के टीकाकरण लिए प्रतिबद्ध है। निश्चित रूप से मई माह में कम टीकाकरण हुआ। इसके कई कारण रहे। जून माह में जितनी वैक्सीन मिल पाई है उन सभी का इस्तेमाल इस आयु वर्ग के टीकाकरण में करेंगे। टीकाकरण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। मोबाइल टीकाकरण वैन सभी जिलों में चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

    -एक तरफ 18 से 44 वर्ष के युवाओं के लिए वैक्सीन नहीं है, दूसरी तरफ 45 प्लस के लिए सात लाख वैक्सीन बची हुई है?

    केंद्र ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 45 प्लस के लिए दी गई वैक्सीन का इस्तेमाल 18 से 44 वर्ष के नागरिकों के टीकाकरण में नहीं करना है। केंद्र से इसकी अनुमति भी मांगी गई थी, लेकिन नहीं मिली। यदि केंद्र इसकी अनुमति देता है तो 45 प्लस के लिए मिली वैक्सीन का इस्तेमाल 18 प्लस के लिए भी किया जाएगा।

    -ग्रामीण क्षेत्रों में लोग टीका लेने के लिए आगे आएं, सरकार इसके लिए क्या कदम उठाने जा रही है?

    सुदूर क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए ही मोबाइल टीकाकरण वैन की व्यवस्था की जा रही है। राज्य सरकार लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता के लिए जन प्रतिनिधियों, धर्म गुरुओं से सहयोग ले रही है। इसे और विस्तार दिया जाएगा। सरकार सभी ग्रामीणों से अनिवार्य रूप से टीका लेने की अपील कर रही है। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

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