Ranchi: जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर कांग्रेस में रार, राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंचा विवाद, सूची में बदलाव संभव
कांग्रेस की जिलाध्यक्षों की सूची आने से पहले ही विवाद गहरा गया है।विधायकों ने जिलाध्यक्षों की सूची के लिए उनकी राय न लिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है वहीं पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने आलाकमान से अल्पसंख्यकों को सूची में जगह न दिए जाने पर आपत्ति जाहिर की है।

रांची,राज्य ब्यूरो: झारखंड कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की सूची जारी होने से पहले ही विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस विधायकों ने जहां जिलाध्यक्षों के चयन में उनकी सहमति न लेने पर संगठन से नाराजगी जाहिर की है। वहीं पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने मोर्चा अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आलाकमान के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई हैं। जानकारी के मुताबिक उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को नजरंदाज करने को गलत बताया है।
अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने का विरोध
विधायकों का कहना है कि जिलाध्यक्षों की नई सूची में एक भी अल्पसंख्यक को स्थान नहीं मिला है। इसके अलावा अनुसूचित जाति से भी प्रतिनिधित्व नदारद है। विधायकों ने जिलाध्यक्षों के चयन में सहमति नहीं लिए जाने को मुद्दा बनाने का निर्णय किया है। वे अपनी मांग को लेकर जल्द ही नई दिल्ली का रुख करेंगे।उधर पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने मोर्चा खोल दिया है।
फुरकान अंसारी ने आलाकमान के सामने अपनी बातें रखी है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को नजरंदाज करने को गलत बताया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात में उन्होंने अपनी आपत्ति से अवगत कराया है। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक बड़े पैमाने पर विवाद के कारण जिलाध्यक्षों की सूची में आंशिक बदलाव की संभावना है। ऐसा हुआ तो नए सिरे से नामों की सूची जारी होगी। जल्द ही इस पर निर्णय हो सकता है ताकि विवाद बढ़ने की नौबत नहीं आए।
प्रदेश कमेटी की घोषणा की भी उल्टी गिनती आरंभ
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की भी घोषणा जल्द होगी। इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। गौरतलब है कि इसके पहले तीन अध्यक्षों का कार्यकाल बगैर पूर्ण कमेटी के गुजर गया। इसमें सुखदेव भगत, डा. अजय कुमार और रामेश्वर उरांव शामिल हैं। फिलहाल राज्य में अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षों के अलावा मीडिया कमेटी प्रभावी है।सत्रो प्रदेश कमेटी में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा जाएगा। आबादी के लिहाज से इसमें सभी समुदाय की भागीदारी होगी। यह भी कोशिश होगी कि जिलाध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद जिस प्रकार विवाद उभरा है, वैसी नौबत प्रदेश कमेटी की घोषणा होने के बाद नहीं आए।
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