पूर्वोत्तर के परिवर्तन में RSS के अनुषांगिक संगठनों का बड़ा योगदान, 50 साल से कर रहे सेवा कार्य
BJP RSS पिछले 50 वर्षों से विश्व हिंदू परिषद वनवासी कल्याण आश्रम अभाविप राष्ट्र सेविका समिति विद्या भारती सहित कई संगठनों की ओर से कार्य किए जा रहे हैं। विहिप और वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से कई छात्रावास खोले गए हैं।

रांची, संजय कुमार। त्रिपुरा, नगालैंड, मिजोरम सहित पूर्वोत्तर भारत में आज भाजपा के पक्ष में जो माहौल दिख रहा है, उसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उनके अनुषांगिक संगठनों का बड़ा योगदान है। जिस पूर्वोत्तर भारत में कभी अलगाववाद, आतंकवाद व उग्रवाद सहित देश विरोधी गतिविधियां चरम पर थी, आज वहां के लोग राष्ट्रवाद के साथ खड़े हैं।
भाजपा और उनके सहयोगी दलों का लोग समर्थन कर रहे हैं। इसके पीछे वर्तमान केंद्र सरकार की नीति और धरातल पर उतारी जा रही योजनाओं की भूमिका तो है ही, इसके साथ ही यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके अनुषांगिक संगठनों के हजारों कार्यकर्ताओं का उन इलाकों में साल से किए जा रहे कार्यों और उनकी साधना का प्रभाव है।
उन इलाकों में पिछले 50 वर्षों से विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, अभाविप, राष्ट्र सेविका समिति, विद्या भारती सहित कई संगठनों की ओर से कार्य किए जा रहे हैं। इन सभी संगठनों के कार्यों का ही प्रतिफल है कि पूर्वोत्तर में इतना बड़ा बदलाव दिख रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में काम करते हुए छोटे बड़े लगभग 4000 सेवा के प्रकल्प चलाए जा रहे हैं।
विहिप और वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से कई छात्रावास खोले गए हैं। अभाविप ने तो 1960 में ही पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों को शेष भारत से परिचय कराने के लिए भारत एकात्मता यात्रा प्रारंभ की जो आज भी जारी है।
पूर्वोत्तर में चल रहे 7260 एकल विद्यालय
संघ के अनुषांगिक संगठनों की ओर से पूर्वोत्तर में विद्यालय और छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं। विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि 50 साल पहले विहिप की ओर से पूर्वोत्तर में कार्य करने का निर्णय लिया गया।
संगठन की ओर से हाफलौंग में जनजाति समाज के बच्चों के लिए छात्रावास प्रारंभ किया गया। 20 से ज्यादा विद्यालय चलाए जा रहे हैं। इनमें कई आवासीय हैं। त्रिपुरा में चित महाराज के साथ मिलकर अवैध मतांतरण रोकने का काम जारी है।
एकल अभियान के राष्ट्रीय अभियान प्रमुख ललन शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में अभी 7260 एकल विद्यालय चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही महिला सशक्तीकरण के लिए भी कई प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग ने कहा कि संस्था की ओर से 500 गांवों में स्वास्थ्य केंद्र, 20 कौशल विकास केंद्र, 600 एकल विद्यालय, जनजाति समाज के बच्चों के लिए 50 विद्यालय, 30 छात्रावास चलाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वहां के बच्चों के लिए पूर्वोत्तर के बाहर के राज्यों में भी छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं। पूर्वोत्तर भारत में 33 साल तक काम करने वाले संघ के प्रचारक और वर्तमान में विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री
ब्रह्माजी राव ने कहा कि विद्या भारती की ओर से 1979 में गोवाहाटी में पहला विद्यालय प्रारंभ किया गया। आज पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों 680 विद्यालय चलाए जा रहे हैं। इन विद्यालयों में सात से आठ हजार ईसाई और मुस्लिम बच्चे भी पढ़ते हैं।
कई कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिए
ब्रह्मा राव और विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री केशव राजू ने बातचीत में कहा कि पूर्वोत्तर में संघ के कई कार्यकर्ताओं ने अपना बलिदान दिए। संघ एवं अनुषांगिक संगठनों के कार्यों से वहां के उग्रवादी संगठन भी परेशान होने लगे थे।
अगस्त 1999 में संघ के चार कार्यकर्ताओं जिसमें क्षेत्र कार्यवाह श्यामलकांति सेन गुप्ता, विभाग प्रचारक सुधामय दत्त, दीनेंद्र डे और जिला प्रचारक शुभंकर चक्रवर्ती का अपहरण नेशनल लिबरेशन आफ त्रिपुरा(एनएलएफटी) के उग्रवादियों ने कर लिया। बाद में उनकी हत्या कर दी गई। पूरे देश में इस विषय को उठाया गया।
दो साल बाद 28 जुलाई 2001 को त्रिपुरा की पुलिस ने सूचना दी की चारों स्वयंसेवक जीवित नहीं बचे। उन लोगों ने कहा कि आज जो बदलाव दिख रहा है, उसके पीछे संघ के स्वयंसेवकों व अनुषांगिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा त्याग और समर्पण है।
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