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    Jharkhand Politics: परिवार एक लेकिन वफादारी अलग-अलग पार्टियों से, चुनावी मैदान में मुंडा भाइयों पर रहेगी सबकी नजर

    Updated: Sat, 30 Mar 2024 12:49 PM (IST)

    सियासी महासमर में कई ऐसे भी नेता हैं जिनके परिवार के सदस्य उनकी विरोधी पार्टी के बैनरतले सामने होंगे। बता दें कि राजनीति की बिसात में यह पहली बार नहीं है जब परिवार का एक सदस्य एक पार्टी से जुड़ा है और दूसरा उसकी प्रबल विरोधी पार्टी से। इस बार झारखंड में शिबू परिवार के अलावा कुछ अन्य परिवारों की स्थिति भी ऐसी ही होगी।

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    चुनावी मैदान में मुंडा भाइयों पर रहेगी सबकी नजर

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। सियासी महासमर में कुछ ऐसे भी नेता हैं, जिनके परिवार के सदस्य उनकी विरोधी पार्टी के बैनरतले सामने हैं। हालांकि राजनीति की बिसात में यह पहली बार नहीं है जब परिवार का एक सदस्य एक पार्टी से जुड़ा है तो दूसरा उसकी प्रबल विरोधी पार्टी से।

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    इस बार झारखंड में शिबू परिवार के अलावा कुछ अन्य परिवारों में ऐसी स्थिति होगी। कांग्रेस से कालीचरण मुंडा को इस बार भी खूंटी से टिकट मिला है। ऐसे में भाजपा नेता सह पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के लिए पिछले चुनाव की तरह इस बार भी धर्मसंकट की स्थिति है।

    पिछली बार दोनों भाइयों ने दलीय निष्ठा से निजी रिश्ते रखे थे उपर

    पिछली बार भी दोनों भाइयों ने चुनावी मैदान में दलीय निष्ठा को निजी रिश्तों से ऊपर रखते हुए अच्छा उदाहरण पेश किया था। खूंटी में नीलकंठ सिंह मुंडा न केवल अपने भाई के विरोध में चुनाव-प्रचार करेंगे, बल्कि खूंटी से विधायक होने के नाते भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को बढ़त दिलाने की भी चुनौती उनके समक्ष होगी।

    उनपर सभी की नजरें भी रहेंगी कि भाजपा प्रत्याशी की जीत में वे किस तरह की भूमिका निभाते हैं। हालांकि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक सदस्य की चुटकी पर नीलकंठ स्पष्ट कर चुके हैं कि पहले उनकी पार्टी है और कोई बाद में। कालीचरण मुंडा कांग्रेस के टिकट पर ही लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में होंगे।

    अर्जुन मुंडा को दी थी कड़ी टक्कर

    पिछले लोकसभा चुनाव में इन्होंने भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को कड़ी टक्कर दी थी। बहुत ही कम मतों से कालीचरण की हार हुई थी। इससे पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कालीचरण चुनाव मैदान में थे। उस समय ये तीसरे स्थान पर रहे थे।

    मथुरा-जयप्रकाश के इस बार दल अलग लेकिन खेमा एक

    ससुर-दामाद के रूप में क्रमशः मथुरा महतो और जेपी पटेल अलग-अलग सीटों से चुनाव मैदान में होंगे। हालांकि इस बार दोनों की पार्टियां अलग-अलग होते हुए भी खेमा (महागठबंधन) एक है।

    पिछले बार जयप्रकाश भाई पटेल भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस बार उनके ससुर मथुरा महतो का जहां झामुमो के टिकट पर गिरिडीह से चुनाव लड़ना तय है।

    जेपी पटेल को कांग्रेस ने दिया हजारीबाग सीट से टिकट

    वहीं, जेपी पटेल को कांग्रेस से हजारीबाग सीट के लिए टिकट मिल चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में मथुरा महतो जहां झामुमो के टिकट पर टूंडी से चुनाव मैदान में थे, वहीं जेपी पटेल भाजपा में सम्मिलित होकर मांडू से चुनाव लड़े थे। दोनों को जीत भी मिली थी। इस बार दोनों अलग-अलग सीटों से लोकसभा चुनाव में होंगे।

    कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों का रहा है भाजपा से संबंध

    कांग्रेस ने अभी लोकसभा चुनाव के लिए जिन तीन प्रत्याशियों की घोषणा की है, उन तीनों का किसी न किसी रूप से भाजपा से संबंध रहा है। कालीचरण मुंडा जहां भाजपा नेता सह पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के अपने भाई हैं। वहीं, सुखदेव भगत और जेपी पटेल भी पूर्व में कांग्रेस और झामुमो को छोड़कर भाजपा में रह चुके हैं।

    सुखदेव भगत ने अपनी पार्टी में वापसी की तो जेपी पटेल ने इस बार कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कांग्रेस ने सुखदेव को लोहरदगा और जयप्रकाश को हजारीबाग से उम्मीदवार बनाया है।

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