Jharkhand Politics: झारखंड में OBC वोटरों को साधने में जुटेगी कांग्रेस, बेंगलुरु बैठक में बनी रणनीति
कांग्रेस झारखंड में ओबीसी केंद्रित रणनीति अपनाकर अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने की मांग कर रही है और ओबीसी नेताओं को बढ़ावा दे रही है। हालांकि झामुमो की पहल और भाजपा की प्रतिक्रिया जैसी चुनौतियां भी हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) केंद्रित रणनीति को तेज करने का फैसला किया है।
हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित ओबीसी नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी ने इस दिशा में ठोस कदम उठाने की योजना बनाई।
इस बैठक में झारखंड के नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की रणनीति और ओबीसी समुदाय को साधने के गुर सिखाए गए। पार्टी का मानना है कि झारखंड में भी ओबीसी वोट बैंक पार्टी के लिए रणनीतिक तौर पर कारगर हो सकता है।
राज्य में ओबीसी आबादी का लगभग 46% है और उनके बीच प्रभावी ढंग से काम कर पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत कर सकती है। बेंगलुरु बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि ओबीसी समुदाय के बीच विश्वास और नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा।
कांग्रेस ने झारखंड में ओबीसी आरक्षण को मौजूदा 14% से बढ़ाकर 27% करने की मांग को अपने अभियान का केंद्र बनाया है। इस संबंध में राज्य सरकार ने केंद्र को पूर्व में सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी प्रेषित किया था।
पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन की योजना बनाई है, जिसमें रांची में राजभवन घेराव जैसे कदम शामिल हैं।
कांग्रेस का कहना है कि यह मांग न केवल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगी, बल्कि ओबीसी समुदाय को पार्टी के साथ जोड़ने में भी मदद करेगी। हालांकि, इस मांग को लागू करने में कानूनी और संवैधानिक अड़चनें, जैसे 50% आरक्षण की सीमा चुनौतियां पेश कर रही हैं।
ओबीसी नेतृत्व को तरजीह
कांग्रेस ने झारखंड में अपने संगठन और नेतृत्व में ओबीसी चेहरों को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता के रूप में ओबीसी नेताओं की नियुक्ति इसका स्पष्ट उदाहरण है। इससे पार्टी ओबीसी समुदाय में विश्वास जगाने की कोशिश कर रही है।
ओबीसी नेतृत्व को सामने लाने से समुदाय के बीच पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ेगी। हालांकि, यह रणनीति तभी कारगर होगी, जब इसे जमीनी स्तर पर ठोस कार्यों के साथ लागू किया जाएगा।
कांग्रेस की ओबीसी केंद्रित रणनीति के सामने कई चुनौतियां हैं। झामुमो ने ओबीसी आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने की पहल कर बढ़त ली है।
हाल ही में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर झामुमो नेतृत्व वाले गठबंधन ने संदेश देने की कोशिश की है कि वह इस मसले पर भाजपा को बढ़त लेने का मौका नहीं देगी।
जमीनी अमल तय करेगा सफलता
कांग्रेस की ओबीसी केंद्रित रणनीति झारखंड में उसकी स्थिति को मजबूत करने की संभावना रखती है, लेकिन इसका असर इस बात पर निर्भर करेगा कि पार्टी इसे कितनी प्रभावी ढंग से लागू करती है।
ओबीसी आरक्षण की मांग और नेतृत्व में ओबीसी चेहरों को बढ़ावा देना सकारात्मक कदम है, लेकिन गठबंधन की आंतरिक गतिशीलता और भाजपा की जवाबी रणनीति इसे चुनौतीपूर्ण बनाती है।
यदि कांग्रेस जमीनी स्तर पर ओबीसी समुदाय के साथ मजबूत जुड़ाव स्थापित कर पाए और अपनी मांगों को ठोस परिणामों में बदल पाए तो यह रणनीति उसकी स्थिति को मजबूत कर सकती है।
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