झारखंड कांग्रेस का केंद्र पर हमला, उग्रवाद उन्मूलन का श्रेय लेने की होड़ में फंड रोकने का आरोप
झारखंड कांग्रेस ने उग्रवाद के खिलाफ कार्रवाई का श्रेय लेने पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। प्रवक्ता सोनाल शांति ने केंद्र पर उदासीन रवैया अपनाने और गश्त के लिए आवंटित धन रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने सुरक्षा बलों को बधाई दी और कहा कि केंद्र का उग्रवाद समाप्ति का दावा केवल फंड रोकने का बहाना है।

राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने सुरक्षाबलों के द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का श्रेय लेने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने आरोप लगाया है कि झारखंड में उग्रवाद की समाप्ति के प्रति केंद्र सरकार का रवैया पूरी तरह उदासीन है।
यहां तक कि केंद्र की ओर से गश्त लगाने के लिए आवंटित पेट्रोल-डीजल के कोटा तक को रोक दिया गया है। वास्तविकता में उग्रवादी गतिविधियों पर अंकुश के लिए सुरक्षा बल में शामिल जवान बधाई के पात्र हैं।
हजारीबाग में सुरक्षा बलों द्वारा तीन इनामी उग्रवादियों को मार गिराने पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने इसके लिए सुरक्षाबलों को बधाई देते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा झारखंड से 95% उग्रवाद समाप्त होने का दावा किया जाता है जबकि हकीकत बिल्कुल इसके विपरीत है।
केंद्र द्वारा उग्रवाद समाप्ति का दावा उग्रवाद उन्मूलन के लिए दी जाने वाली राशि को रोकने का बहाना है। उग्रवाद उन्मूलन के लिए एसआरइ फंड के तहत झारखंड को उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए पेट्रोल-डीजल, पुलिस गश्त और विकास कार्यों के लिए फंड उपलब्ध कराया जाता था लेकिन दो वित्तीय वर्षों से केंद्र सरकार ने यह राशि पूरी तरह से रोक रखी है।
इस कारण से उग्रवाद के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान चलाने में कठिनाई हो रही है। सुरक्षा बलों की सजगता और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में स्थापित 196 पुलिस विकेट में तैनात जवानों की सतर्कता के कारण उग्रवादी गतिविधियों पर नियंत्रण है।
अगर केंद्रीय गृह मंत्री को उग्रवाद उन्मूलन का श्रेय लेना है तो तमाम पुलिस पिकेट को हटाकर देख लें।
झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति से भी उग्रवादियों ने समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की ओर रुख किया है। अगर केंद्र सरकार वास्तव में 2026 तक उग्रवाद की समाप्ति चाहती है तो से एसआरई और एससीएएस के तहत मिलने वाली राशि अविलंब जारी करे। इसके बिना स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं और विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
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