'...आदिवासियों को नहीं मिली उचित जगह', CM हेमंत सोरेन ने PM मोदी के सामने कह दी बड़ी बात
Jharkhand Politics बुधवार को पीएम मोदी की विशाल जनसभा झारखंड के खूंटी में हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी जनता को संबोधित किया। इस दौरान हेमंत सोरेन ने सरकार की उपलब्धियां जनता को गिनाईं। साथ ही पीएम मोदी के समक्ष ही आदिवासियों के विकास को लेकर चिंता जाहिर की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई मांग कर ली।
राज्य ब्यूरो, रांची। वैचारिक मतभिन्नता के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के क्रम में पूरी गर्मजोशी दिखाई। उनके आगमन से लेकर विदाई तक वे हर मौके पर मौजूद रहे। खूंटी में कार्यक्रम में आरंभ होने के पहले कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति को लेकर भी उपस्थित भीड़ चर्चा करती रही।
अपने भाषण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में चल रही विकास योजनाएं गिनाईं। वहीं, आदिवासियों को लेकर अपनी चिंता से भी पीएम को अवगत कराया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इतिहास में आदिवासियों को उचित जगह नहीं मिली। आदिवासी होने का मुझे गर्व है। सरकार 'आपके द्वार' कार्यक्रम के जरिए लोगों तक योजनाएं पहुंचाई जा रही है। आदिवासी विकास का लक्ष्य है।
आप पूरे देश के पीएम हैं।- मुख्यमंत्री
सीएम सोरेन ने आगे यह भी प्रधानमंत्री से कहा कि आप पूरे देश के पीएम हैं। पूरे देश के लिए आप संदेश दें। झारखंड इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा। झारखंड कई मायने में बहुत महत्वपूर्ण है। यहां आदिवासी जंगल में रहते हैं। 100 सालों में बड़े पैमाने पर उनका विस्थापन हुआ है। उनके लिए विशेष कार्य योजना तैयार हो।
सीएम ने पीएम से कहा कि पहली बार आप उलिहातू आए हैं। आपने समाज को जोड़ने का प्रयास किया है। हम चांद पर जा रहे हैं। वहीं, आज समाज में आदिवासी, विलुप्त हो रहे आदिवासी, पिछड़े, अति पिछड़े, सवर्ण, पिछले सवर्ण का अंतर है।
यह अंतर खत्म होना चाहिए। मैं आदिवासी समाज का नेतृत्व करता हूं। यह बातें अखबारों तक ही सीमित हो जाती है कि अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना है।
सीएम ने प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताया
अंत में सीएम ने प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताया कि उन्होंने कार्यक्रम से पूरे देश को जोड़ा। आदिवासियों ने अंग्रजों-महाजनों से लंबी लडाई लड़ी। वहीं, हेमंत सोरेन ने संबोधन के दौरान जब राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारियां दीजा रही थी तो भीड़ मोदी-मोदी के नारे लगने लगे थे।
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