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    बच्चे हर दिन पांच से 15 मिनट तक करें अनुलोम-विलोम

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 09 Jun 2021 06:35 AM (IST)

    शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बच्चों को प्रतिदिन अनुलोम-विलोम का अभ्यास करना चाहिए।

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    बच्चे हर दिन पांच से 15 मिनट तक करें अनुलोम-विलोम

    जासं, रांची: कोरोना की संभावित तीसरी लहर मे बच्चों को ज्यादा संक्रमित होने की संभावना को देखते हुए दैनिक जागरण ब्रांड झारखंड की ओर से आनलाइन योग कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके जरिए बच्चों को योग कराया जा रहा है। मंगलवार को योग गुरु मंगेश त्रिवेदी के निर्देशन में योग शिक्षिका वर्षा गौतम ने बच्चों को अनुलोम विलोम कराया। उन्होंने बताया कि बच्चों का भावनात्मक विकास मुख्यत: उनके घर के माहौल और उनके नर्वस सिस्टम और हार्मोनल बैलेंस पर निर्भर करता है। नियमित योगाभ्यास में अनुलोम विलोम प्राणायाम का विशेष महत्व है। यदि बच्चे प्रतिदिन 5 से 15 मिनट तक इसका अभ्यास करें। अनुलोम -विलोम प्राणायाम :

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    नाड़ियों की शुद्धि और मजबूती से अन्य अंगों में शुद्धि और मजबूती का संचार होता है। वर्तमान में प्राणायाम का अभ्यास हमारे प्राणों के लिए आवश्यक है। इसका अभ्यास प्रभात काल में करें। संध्यावंदन के समय भी इसका अभ्यास कर सकते हैं। गॉर्डन या घर के शुद्ध वातावरण में ही इसका अभ्यास करें।

    ये है विधि : किसी भी सुखासन में बैठकर कमर को सीधा करें और आंखें बंद कर लें।

    दाएं हाथ के अंगूठे से दायीं नासिका बंद कर पूरी श्वास बाहर निकालें।

    अब बायीं नासिका से श्वास को भरें।

    चौथी अंगुली से बायीं नासिका को भी बंद कर आंतरिक कुंभक (श्वास को अंदर रोकें) करें।

    जितनी देर स्वाभाविक स्थिति में रोक सकते हैं, रोकें।

    फिर दायां अंगूठा हटाकर श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ें (रेचक करें)।

    1-2 क्षण बाह्य कुंभक करें।

    फिर दायीं नासिका से श्वास लें।

    फिर बायीं से धीरे से निकाल दें। यह एक आवृत्ति हुई। इसे 5 से 7 बार करें।

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    क्या बरतें सावधानी

    अगर आपको चक्कर आ रहा हो या सांस लेने में तकलीफ हो तो रुक जाएं। अनुलोम विलोम ब्रीदिग शुरू करने से पहले, अगर आपको क्रॉनिक रेस्पीरेटरी या कार्डियोवैस्कुलर कंडीशन है तो डॉक्टर से बात करें। ये है लाभ

    इससे सभी प्रकार की नाड़ियों को स्वस्थ लाभ मिलता है।

    नेत्र ज्योति बढ़ती है।

    रक्त संचालन सही रहता है।

    अनिद्रा रोग में लाभ मिलता है।

    तनाव घटाकर मस्तिष्क को शांत रखता है।

    व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है।

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