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    Jharkhand Police: वर्दी छोटी, उम्र भी कम, लेकिन बड़ा फर्ज लेकर डंटे हैं बाल सिपाही

    By Sachidanand Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Mon, 17 Nov 2025 04:07 PM (IST)

    माता-पिता के निधन के बाद 12 से 17 वर्ष के बच्चे बाल सिपाही बनते हैं। पलामू जिले में 14 बाल सिपाही सेवा दे रहे हैं। उन्हें आधा वेतन और भत्ता मिलता है। 18 वर्ष की उम्र के बाद 5 वर्ष के भीतर नियमित नौकरी के लिए आवेदन करना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर उनका दावा खारिज हो जाएगा। बाल आरक्षी अपने माता-पिता की वर्दी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

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    पलामू जिले में फिलहाल 14 बाल सिपाही सेवा दे रहे हैं।

    विक्रांत दूबे, मेदिनीनगर (पलामू)। सिर से मां–बाप का साया उठ चुका है। जिन कंधों पर माता-पिता के हाथ होने चाहिए थे, आज वे फर्ज की जिम्मेदारी उठाते हैं। झारखंड पुलिस में ऐसे 12 से 17 वर्ष की उम्र के बच्चे भी सेवा दे रहे हैं जो अपने दिवंगत माता–पिता की वर्दी का सम्मान और जिम्मेदारी रखते हुए ‘बाल आरक्षी’ के रूप में हैं।

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    पलामू जिले में फिलहाल 14 बाल सिपाही सेवा दे रहे हैं, जो पढ़ाई और सेवा -दोनों को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं। नियम के तहत उन्हें समय-समय पर पुलिस लाइन या केंद्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है।

    ताकि विभाग उनकी स्थिति, पढ़ाई और पारिवारिक परिस्थिति की जानकारी रख सके। इन बाल आरक्षियों के लिए यह सिर्फ नौकरी नहीं, अपने माता–पिता की वर्दी की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी है।

    कई बच्चे पढ़ाई के साथ घर की जिम्मेदारियां भी उठाते हैं। कहीं छोटे भाई–बहनों की देखभाल तो कहीं पूरे परिवार का सहारा बनते हैं।

    जानें क्या है बाल आरक्षी


    आमतौर पर पुलिस बल में भर्ती की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होती है। लेकिन पुलिसकर्मियों के निधन के बाद उनके आश्रित बच्चों को 12 से 17 वर्ष की आयु होने पर स्वास्थ्य जांच, परिवार की सहमति के बाद ‘बाल आरक्षी’ बनाया जाता है।

    इस व्यवस्था का मकसद परिवार को आर्थिक सहारा देना और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना है। बाल आरक्षी को आधा वेतन, महंगाई भत्ता व पढ़ाई जारी रखने की पूरी अनुमति मिलती है। जबकि बलिदानी जवानों के बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाती है।

    नियमित नौकरी के लिए 5 साल में आवेदन देना अनिवार्य

    बाल आरक्षी को 18 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद पांच वर्ष के भीतर पुलिस में नियमित नौकरी के लिए आवेदन देना अनिवार्य है।समय सीमा चूक जाने पर उनका दावा स्वतः समाप्त हो जाता है। निर्धारित समय में आवेदन करने पर विभाग विचार कर उन्हें नियमित आरक्षी के रूप में नियुक्त करता है।


    12–17 वर्ष के आश्रित बच्चों को बाल आरक्षी बनाया जाता है। इन्हें मूल वेतन का आधा और महंगाई भत्ता मिलता है। एसोसिएशन उनकी समस्याओं के समाधान के लिए लगातार पहल करता है। 18 वर्ष तक वे पढ़ाई कर सकते हैं और पांच वर्ष के भीतर नियमित नौकरी के लिए आवेदन करना अनिवार्य है, नहीं तो दावा खारिज हो जाएगा।”
    -विक्रांत दुबे, कोषाध्यक्ष, पलामू पुलिस मेंस एसोसिएशन।