पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार ही करवाते रहे बालश्रम, कैसे लौटेगी 'मुस्कान'
राज्य के बड़े पुलिस अधिकारी ही बाल श्रम और मानव तस्करी जैसे अपराध को अंजाम दे रहे हैं।
संजय साहू, रांची। मानव तस्करी, बाल श्रम और महिला अपराध पर रोक के लिए झारखंज में ऑपरेशन मुस्कान चल रहा है। इसके अलावा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) समेत कई एजेंसियां चल रही हैं। इन्हें धता बताते हुए राज्य के बड़े पुलिस अधिकारी ही बाल श्रम और मानव तस्करी जैसे अपराध को अंजाम दे रहे हैं। मानव तस्करी की शिकार रांची की दो बेटियों ने घर लौटने के बाद चौंकाने वाली जानकारी दी है। दो नाबालिगों ने बताया है कि उन्हें राज्य के एक बड़े पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार ने ही तस्करी कर पंचकूला भिजवाया था। वहां अपने घर में बंधक बना बाल मजदूरी करवा रहे थे।
दोनों बच्चियों से जब वहां भारी भरकम काम करवाए जाने लगे और प्रताड़ना का सिलसिला शुरू हुआ तो दोनों वहां से किसी तरह भाग निकलीं। भागती हुई, जब दोनों अंबाला रेलवे स्टेशन पहुंची, तो दोनों को अंबाला जीआरपी अपने साथ सुरक्षित ले गई। दोनों को बयान दर्ज किया। इसके बाद मामले का पर्दाफाश हुआ। दोनों बच्चियों ने बताया कि वे रांची की रहने वाली हैं। बच्चियों के बयान पर पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार किशन पाल्टा, सुनैना पाल्टा, राजीव पाल्टा और विराट पाल्टा के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। अंबाला जीआरपी मामले की जांच कर रही है। हालांकि झारखंड के कई बड़े पुलिस अधिकारी इस मामले को दबाने में जुटे हैं, हरियाणा जीआरपी पर भी मामले को रफा-दफा करने के लिए दबाव बनाए जाने की खबर है।
चार हजार रुपये देकर दलाल ने पुलिस अधिकारी को सौंपा
12 वर्षीय एक नाबालिग ने बताया कि उसे चांद गांव निवासी भौवा नामक युवक उसके पिता को चार हजार रुपये देकर ले गया। इसके बाद पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित एक पुलिस इंस्पेक्टर को सौंप दिया। इसके बाद वहां से इंस्पेक्टर ने पंचकूला भेज दिया। पंचकूला में उसे राज्य के बड़े पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार के घर में काम पर लगा दिया। उसे घर में बंद कर रखा जाता था, बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। घर के रसोई से लेकर कपड़े धोने, बर्तन धोने सहित सारे कामकाज करने पड़ते थे। थक कर काम न करने पर उसे डांट मिलती थी। प्रताड़ना के बावजूद वह का काम कर रही थी। इस बीच पहले से उसी घर में मौजूद काम करने वाली नाबालिग से उसने बातचीत की। इसके बाद तैयारी कर दोनों वहां से मौका देख भाग निकली।
पिता की बीमारी का फायदा उठा की तस्करी
14 वर्षीय नाबालिग ने बताया कि करीब छह महीने पहले उसके पिता बीमार थे। घर में खाने के लाले पड़े थे। इसबीच उसके घर भौवा पहुंचा और खाने, कमाने का लालच देकर उसी इंस्पेक्टर को सौंपा, जिस इंस्पेक्टर के पास 12 वर्षीय बच्ची को सौंपा गया था। वहां से उसे पंचकूला ले जाकर काम पर लगा दिया गया।
यह भी पढ़ेंः टिकट की आस में लालू प्रसाद यादव से मिले राजद के नेता