Hemant Soren: विधानसभा में बोले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नफा-नुकसान का आकलन कर पुरानी पेंशन पर करेंगे विचार
Jharkhand News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि नफा नुकसान का आकलन करने के बाद ही झारखंड में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने पर विचार करेंगे। इस पर अध्ययन जारी है। मालूम हो कि झारखंड में पुरानी पेंशन लागू करने की मांग हो रही है।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करने में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करेगी। पुरानी पेंशन योजना से जुड़े सभी पहलुओं की गहन पड़ताल के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के दौरान दौरान सरकार के पक्ष को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना पर नफा-नुकसान का आकलन कर सरकार इस पर विचार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि विचार के बाद सदन को इससे अवगत कराया जाएगा। दीपिका पांडेय सिंह के सवाल के जवाब में उन्होंने सदन को यह भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को सभी की चिंता है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार को सभी की चिंता है। आम नागरिकों के प्रति भी हमारी चिंताएं हैं और कर्मचारियों को लेकर भी। जहां तक बात पुरानी पेंशन योजना लागू को लेकर है तो इस पर समेकित रूप से विचार किया जाएगा। नफा-नुकसान भी बहुत बड़ा विषय है। समेकित रूप से नफा-नुकसान के आकलन के बाद ही इसपर कोई विचार होगा।
दीपिका पांडेय सिंह ने ध्यानाकर्षण के दौरान मामले को उठाया
बता दें कि कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने ध्यानाकर्षण के दौरान इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा, कि नई पेंशन योजना में कई खामियां हैं। कर्मचारियों के हितों को देखते हुए राज्य सरकार इस पर विचार करे। उन्होंने इस संदर्भ में राजस्थान सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का भी हवाला दिया।
नई पेंशन योजना झारखंड में एक दिसंबर 2004 से लागू : रामेश्वर उरांव
प्रभारी मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि नई पेंशन योजना झारखंड में एक दिसंबर 2004 से लागू है। उन्होंने इस बात काे सिरे से खारिज किया कि इसमें टैक्स की कटौती की जाती है। कहा, सेवानिवृत्ति के बाद ग्रैच्युटी और 300 दिनों के अर्जित अवकाश में कोई टैक्स कटौती नहीं की जाती। जहां तक पेंशन की बात है तो यह वेतन की तरह ही है, रिटायर कर्मी को इसमें कोई घाटा नहीं है। कर्मचारी जीपीएफ फंड से तीन साल बाद कर्ज भी ले सकते हैं। उन्होंने साफ किया कि फिलहाल इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सदन में पुरानी पेंशन को लेकर सरकार के पक्ष को स्पष्ट किया।
एससी-एसटी को बैंक का सपोर्ट नहीं मिलना दुखद, जल्द लेंगे निर्णय
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को बैंकों के स्तर से सहयोग न किए जाने को दुखद बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एससी-एसटी की आबादी झारखंड में लगभग 50 प्रतिशत है लेकिन इन्हें बैंक का सपोर्ट नहीं मिल रहा है। मैंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई बार बैंकों से बात की है और कहा है कि वे इसे गंभीरता से लें। ध्यानाकर्षण सूचना के दौरान झामुमो विधायक दीपक बिरुआ द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में उन्होंने यह बातें कहीं।
सरकार इस तरह के मामलों पर जल्द निर्णय लेगी : सीएम
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार इस तरह के मामलों पर जल्द निर्णय लेगी। यह भी कहा कि उन्होंने सीएस को भी इसका समाधान निकालने का निर्देश दिया है। कहा कि सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि कैसे अधिक से अधिक इस समुदाय के लोगों को बैंक ऋण मिले। कल भी बैंक के कुछ लोग आए थे, सबको इस विषय पर गंभीरता से विचार करने को कहा गया है। इससे पूर्व दीपक विरूआ ने एससी-एसटी वर्ग के सरकारी कर्मियों को गृह लोन देने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस वर्ग के कर्मियों को केवल पांच साल तक लोन देने का प्रविधान है। जबकि अन्य वर्ग के सरकारी कर्मियों को दो वर्गों में 30 और 15 लाख तक का लोन पूरे 20 वर्षो तक दिया जाता है। जवाब में मंत्री जोबा मांझी ने कहा, इस मामले में सरकार विधिक विभाग से राय ले रही है। वहा से राय आने के बाद सरकार इस जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी) में लाएगी और इसके बाद इसे इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।
खासमहल जमीन के फ्री-होल्ड करने की मांग पर बोले, सीएम आवेदन आने दीजिए
खासमहल की जमीन फ्री-होल्ड कराने की विधायक अनंत ओझा की मांग पर मुख्यमंत्री ने विधायक को तनिक धैर्य रखने की सलाह दी है। ध्यानाकर्षण पर उठे इस मामले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आवेदन आने दीजिए, विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि राजमहल सहित राज्य के कई हिस्सों में खासमहल जमीन को फ्री-होल्ड करने का मामला वर्षों से लंबित है। तत्कालीन रघुवर सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार में भाजपा के ही लोग थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हां, 23 सितंबर 2019 को खासमहल मामले पर तत्कालीन सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था । उन्होंने कहा कि इस मामले में आवेदन मांगे गए हैं। कमेटी का कार्यकाल तीन साल का है। आवेदन प्राप्त करने की अवधि इस वर्ष 22 सितंबर तक है। आवेदन आने के बाद सरकार आवासीय हो या व्यावसायिक सभी पर निर्णय लेगी।
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