CJI NV Ramana: मैं राजनीति में आना चाहता था, लेकिन नियति यहां ले आई, भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमणा का खुलासा
Chief Justice NV Ramana सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमणा बचपन में जज नहीं बनना चाहते थे वह भारतीय राजनीति में अपना किस्मत आजमाना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। यह बात मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार को रांची में कही।

रांची, राज्य ब्यूरो। Supreme Court Chief Justice NV Ramana झारखंड दौरे पर पहुंचे भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमणा ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान चाैंकाने वाला खुलासा किया। मुख्य न्यायाधीश ने अपने व्याख्यान के दौरान कहा कि वह सक्रिय राजनीति में आना चाहते थे, लेकिन नियति मुझे यहां तक ले आई। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से हमने यह मुकाम पाया है। जज बनने के बाद हम समाज की मुख्यधारा से अलग हो गए। उन्होंने कहा कि मैं एक किसान परिवार में पैदा हुआ। सातवीं या आठवीं कक्षा में मुझे अंग्रेजी सीखने का मौका मिला। उस दौरान दसवीं पास करना बहुत अच्छा माना जाता था। लेकिन हमें बीएससी की और पिता ने प्रोत्साहित करने पर कानून की पढ़ाई की। इसके बाद बिजवाड़ा कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू किया। मेरे पिता ने फिर प्रोत्साहित किया तो आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगा। जब मुझे जज बनाया गया तब तक मेरी प्रैक्टिस अच्छी चल रही थी। मैंने मजिस्ट्रेट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई हाई प्रोफाइल मामलों में पक्ष रखा। मुझे आंध्रप्रदेश के अपर महाधिवक्ता भी बनाया गया।
कई बार जज अपने पारिवारिक कार्यक्रम में नहीं जा पाते
सुप्रीम कोर्ट के जज एसबी सिन्हा मेमोरियल के पहले व्याख्यान के दौरान सीजेआइ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि जब कोई जज बनता है तो पहले वह समाज की मुख्यधारा से कट जाता है। जज का काम सिर्फ दस से चार बजे तक का नहीं है। कोर्ट में सुनवाई के बाद उसे रात में दूसरे दिन आने वाले केस की तैयारी करनी पड़ती है। दिन रात काम करने की वजह से जज कभी-कभी अपने पारिवारिक कार्यक्रम में भी नहीं जा पाते हैं। सीजेआइ रमणा ने कहा कि उन्हें जस्टिस एसबी सिन्हा जब आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे, तो उस दौरान उनके साथ काम करने का मौका मिला। उनका काम करने के प्रति लगन से हमने प्रेरणा ली है।
जानिए, कौन थे जस्टिस एसबी सिन्हा, कैसे आए रांची
रांची के रहने वाले जस्टिस एसबी सिन्हा पटना हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। रांची सर्किट बेंच बनने के बाद यहां पर आए गए। इसके बाद वर्ष 1987 में वे झारखंड हाई कोर्ट के जज बने। इसके बाद उन्हें आंध्रप्रदेश, कोलकता और दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। इसके बाद वर्ष 2002 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने। वर्ष 2009 में वे सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने हर विषय पर 2200 से अधिक जजमेंट दिए, जो आज भी रिपोर्ट किए जाते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद कई बड़े मामलों में आर्बिट्रेशन भी किया है। उनकी पत्नी उत्पल सिन्हा, बेटे अभिजित सिन्हा, इंद्रजीत सिन्हा और नवनीता सिन्हा भी कार्यक्रम में मौजूद थे। इसके अलावा स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्णा, संजय कुमार विद्रोही, प्रशांत कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिन्हा, धीरज कुमार सहित कई अधिवक्ता मौजूद रहे।
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