छत्तीसगढ़ की EOW ने दो बड़े शराब कारोबारियों को झारखंड से ट्रांजिट रिमांड पर लिया, पूछताछ से खुल सकते हैं बड़े राज
झारखंड में शराब घोटाले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के दो कारोबारियों मुकेश मनचंदा व अतुल सिंह को छत्तीसगढ़ पुलिस की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपने केस में ट्रांजिट रिमांड पर ले लिया है। एसीबी ने पहले इन्हें गिरफ्तार किया था लेकिन चार्जशीट दाखिल न होने पर जमानत मिल गई। अब छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें रिमांड पर लिया है।
राज्य ब्यूरो, रांची/रायपुर। झारखंड में शराब घोटाले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के दो कारोबारियों मुकेश मनचंदा व अतुल सिंह को छत्तीसगढ़ पुलिस की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपने केस में ट्रांजिट रिमांड पर ले लिया है।
दोनों ही आरोपित छत्तीसगढ़ की श्री ओम साईं बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड नामक शराब कंपनी के निदेशक हैं। इनपर छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में भी संलिप्तता का आरोप है।
इन्हें झारखंड की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सात जुलाई को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे से जुड़े शराब घोटाले के केस में दोनों गिरफ्तार हुए थे। एसीबी ने जब निर्धारित समय के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की तो सभी आरोपितों को एक-एक कर जमानत का लाभ मिलता चला गया।
छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो दोनों ही आरोपितों को शुक्रवार को रायपुर कोर्ट में प्रस्तुत कर पुलिस रिमांड पर लेगी।
दोनों ही आरोपितों को शराब घोटाला प्रकरण में विदेशी शराब पर कमीशन उगाही के मामले में छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू ने प्रोडक्शन वारंट पर लिया है। उनके खिलाफ धारा 7 ए 12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज है।
रिपोर्ट के अनुसार विदेशी शराब लाइसेंसी कंपनी श्री ओम साईं बेवरेजेज के इन दोनों निदेशकों की घोटाले में भूमिका सामने आई थी। इस कंपनी के मुख्य लाभार्थी विजय भाटिया को छत्तीसगढ़ इओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया था।
छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसी ने शराब में कमीशन संबंधित तथ्यों पर आधारित अपनी छठवीं चार्जशीट मंगलवार को जांच एजेंसी विशेष न्यायालय में दाखिल की थी।
जांच अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ में लागू की गई नई आबकारी नीति के बाद विदेशी शराब आपूर्ति का ठेका तीन निजी कंपनियों श्री ओम साईं बेवरेजेज प्रालि, नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रालि और दिशिता वेंचर्स प्रालि को दिया गया था। इन लाइसेंसियों से सरकार को लगभग 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
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