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    Chhath Puja 2022: छठ पूजा शुक्रवार से शुरू, 30-31 अक्टूबर को अर्घ्य, इस मंत्र का कीजिए पाठ

    By M. EkhlaqueEdited By: M Ekhlaque
    Updated: Thu, 27 Oct 2022 07:59 PM (IST)

    Chhath Puja 2022 लोक आस्था का महापर्व छठ इस वर्ष शुक्रवार 28 अक्टूबर से प्रारंभ होगा। इस दिन नहाय खाय है। अगले दिन 29 अक्टूबर को खरना है। 30 अक्टूबर को पहला अर्घ्य होगा। 31 अक्टूबर को दूसरा अर्घ्य होगा। गांव-घर में छठ गीत गूंज रहे हैं।

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    Chhath Puja, Sunday 30 October 2022: शुक्रवार से छठ पूजा प्रारंभ हो रहा है।

    रांची, डिजिटल डेस्क। Chhath Puja, Sunday 30 October 2022 झारखंड ही नहीं पूरा देश इस समय छठ महापर्व के रंग में रंग चुका है। बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इसका रंग कुछ ज्यादा ही चटक नजर आ रहा है। दिल्ली और मुंबई भी पीछे नहीं हैं। झारखंड और बिहार में सभी छोटे बड़े तालाबों, नदी घाटों की साफ सफाई हो चुकी है। हर नदी-तालाब घाट इस समय रोशनी से जगमग नजर आ रहा है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला यह महापर्व इस वर्ष शुक्रवार से शुरू हो रहा है।

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    जानिए किस दिन क्या करना होगा

    Chhath Puja, Sunday 30 October 2022: चार दिवसीय यह पर्व नहाय-खाय से प्रारंभ होता है। इस वर्ष नहाय-खाय 28 अक्टूबर 2022 को है। जिन घरों में छठ मनाया जाएगा, वहां छठ व्रती महिलाएं-पुरुष नदी-तालाबों में स्नान करेंगे। इसके बाद छठ पर्व का संकल्प लेंगे। इसके दूसरे दिन यानी 29 अक्टूबर 2022 को खरना मनाया जाएगा। इस दिन घरों में दूध, गुड़ और साठी के चावल से खीर बनाया जाएगा। दिन भर व्रती उपवास रखकर रात में इसे ग्रहण करेंगी। इसके बाद 36 घंटे के उपवास का संकल्प लेंगी। तीसरे दिन यानी 30 अक्टूबर 2022 को शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं, चौथे दिन 31 अक्टूबर 2022 को अहले सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

    इसलिए कहा जाता है निर्जला व्रत

    Chhath Puja, Sunday 30 October 2022: छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी मइया को समर्पित होता है। यह प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को ही मनाया जाता है। इस पूजा के दौरान लोगों अपने संतान के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं। कई लोग संतान होने पर यह व्रत धारण करते हैं। यह इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें किसी पुजारी की जरूरत नहीं होती है। लोग स्वयं भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। महिलाओं के साथ साथ बड़ी संख्या में पुरुष भी व्रत रखते हैं। 36 घंटे के व्रत में व्रती एक घूंट पानी तक सेवन नहीं करते हैं। इसी वजह से इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है।

    सिर्फ सेंधा नमक का ही करें प्रयोग

    Chhath Puja, Sunday 30 October 2022: प्रथम दिन यानी नहाय-खाय के दिन एक तरह से छठ व्रत का शुभारंभ होता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। अपने घरों में माटी के चूल्हे पर चना दाल और लौकी की सब्जी बनाते हैं। इसके अलावा चावल बनाया जाता है। इस भोजन में सिर्फ सेंधा नमक का ही प्रयोग किया जाता है। बिहार-झारखंड में इसे लोग लौकी-भात भी कहते हैं।

    पहले डूबते, फिर उगते सूर्य को अर्घ्य

    Chhath Puja, Sunday 30 October 2022: यह लोक आस्था का इकलौता ऐसा महान पर्व है जिसमें डूबते हुए सूर्य को पहले और उगते हुए सूर्य को बाद में अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अर्घ्य देने के लिए नदी व तालाब को महत्व दिया जाता है। यही नहीं इससे पहले नदी और तालाबों की सफाई भी की जाती है। अर्घ्य देने के लिए व्रती को घुटने भर पानी में खड़ा होकर भगवान सूर्य के उगने और डूबने की प्रतीक्षा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से कई तरह की बीमारियां स्वत: खत्म हो जाती हैं।

    किस दिन कितने बजे अर्पित दें अर्घ्य

    • 30 अक्टूबर 2022: सूर्यास्त का समय शाम 5.37 बजे।
    • 31 अक्टूबर 2022: सूर्योदय का समय प्रात: 6.31 बजे।

    छठ पूजा की प्रमुख सामग्री की सूची

    Chhath Puja, Sunday 30 October 2022: बांस की दो टोकरी या सूप, बांस या पीतल का सूप, थाली, पत्तों वाला गन्ना, सिंदूर, दीपक, दूध, जल, गिलास, चावल, अदरक का हरा पौधा, धूप, लोटा, पानी वाला नारियल, नाशपाती, मीठा नींबू, शरीफा, शकरकंदी, हल्दी, मूली, केला, सुपारी, शहद, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, अगरबत्ती, गुड़, चावल का आटा, धूप बत्ती, कपूर, मिठाई, गेहूं, नया कपड़ा।

    इन मंत्रों को पढ़ना बहुत जरूरी

    • 30 अक्टूबर 2022: प्रथम अर्घ्य के दिन सुबह उठकर स्नान कीजिए। फिर इस मंत्र का उच्चारण कीजिए- ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
    • 30-31 अक्टूबर 2022: शाम में छठ घाट पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय और दूसरे दिन सुबह में अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जरूर पाठ करें- ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥