हां, मैं वही चेतन शर्मा हूं- मियांदाद के छक्के से नहीं मानी हार, देश को दिलाई पहली हैट्रिक
Chetan Sharma. ग्लोबल स्किल समिट में शामिल होने रांची आए प्रसिद्ध क्रिकेटर चेतन शर्मा उन प्रतिभावान खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने असफलताओं से सीख लेकर सफलता पाई।
रांची, राज्य ब्यूरो। प्रसिद्ध क्रिकेटर चेतन शर्मा उन प्रतिभावान खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी असफलता से हार नहीं मानी। अपने अनुभव से सीख लेते हुए तथा अपनी खेल प्रतिभा को और मांजते हुए न केवल अपना मुकाम हासिल किया, बल्कि राष्ट्र को भी बड़ी उपलब्धि दिलाई। शर्मा ने ग्लोबल स्किल समिट में अपने अनुभव को युवाओं के बीच शेयर करते हुए उन्हें असफलताओं से नहीं घबराने और लक्ष्य को पाने के लिए लगातार प्रयास करने की नसीहत दी।
चेतन शर्मा ने बताया, किस तरह 1986 में आस्ट्रेलेशिया कप के फाइनल मैच की अंतिम गेंद पर पाकिस्तानी खिलाड़ी जावेद मियांदाद ने छक्का मारकर भारत के हाथों से कप छीन लिया था। अंतिम गेंद उन्होंने यार्कर के रूप में फेंकी थी जिसे जावेद ने फुल टॉस बना लिया था। उस समय उनका गली-मुहल्ले में निकलना मुश्किल हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस घटना से उबरते हुए 1987 में विश्वकप में उन्होंने देश के लिए पहली हैट्रिक अपने नाम की। विश्वकप में यह किसी भी टीम की पहली हैट्रिक थी।
उन्होंने कहा, बुरे दिन के साथ अच्छे दिन भी आते हैं, जब आप मेहनत और ईमानदारी से सही दिशा में प्रयास करते हैं। अब होगी आस्ट्रेलिया की पिटाई चेतन शर्मा ने कहा कि अभी भारतीय टीम ने आस्ट्रेलिया को टेस्ट मैच में हराया ही है। अब उनकी पिटाई शुरू होगी, क्योंकि झारखंड के महेंद्र सिंह धौनी वहां पहुंच गए हैं। कहा, झारखंड से तीन-चार और धौनी चाहिए ताकि भारतीय टीम और मजबूत बन सके। झारखंड के युवाओं को भी खेलने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि जब वे 11 साल तक देश के लिए खेल सकते हैं तो वे क्यों नहीं? उन्होंने एक लाख से अधिक युवाओं को रोजगार देने की सराहना करते हुए कहा कि इतने परिवारों में खुशियां आना बड़ी बात है।
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