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    Jharkhand Chunav: बेटे-बेटियों से लेकर पत्नी तक को टिकट दिलाने के जुगाड़ में नेताजी, लिस्ट में चंपई सहित ये दिग्गज है शामिल

    Updated: Sat, 14 Sep 2024 10:26 PM (IST)

    झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बार के चुनाव में कई दिग्गज नेता अपने बेटे बेटी पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों को टिकट दिलाने की जुगत में लगे हैं। इनमें चम्पई सोरेन सत्यानंद भोक्ता पूर्व विधानसभाध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो रामेश्वर उरांव सीता सोरेन स्टीफन मरांडी रामचंद्र चंद्रवंशी उमाशंकर अकेला कमलेश सिंह आदि शामिल हैं।

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    झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर जुगाड़ में नेताजी।

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर नेताजी जहां अपनी दावेदारी और जुगाड़ में लगे हैं, वहीं कई ऐसे नेता भी हैं जो अपने बेटे, बेटी, पत्नी या परिवार के अन्य सदस्य को टिकट दिलाने के प्रयास में हैं। इनमें कुछ ऐसे नेता ऐसे हैं, जिनकी उम्र अधिक हो चुकी है।

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    कुछ ऐसे भी हैं जो अपने बेटे या बेटी को अपनी राजनीतिक विरासत देना चाहते हैं। ये सभी अपने प्रयास में सफल रहे तो इस बार के विधानसभा चुनाव में लगभग एक दर्जन सीटों पर ऐसे नए चेहरे चुनाव मैदान में दिखेंगे।

    लिस्ट में इन दिग्गज नेताओं के भी नाम

    ऐसे नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन भी हैं, जो अपने बड़े बेटे बाबूलाल सोरेन को विधानसभा चुनाव में उतारना चाहते हैं।

    राजद नेता तथा मंत्री सत्यानंद भोक्ता अपनी बहू रेशमी को चतरा से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। बकायदा उनकी बहू चतरा में भावी प्रत्याशी के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रही हैं।

    दरअसल, चतरा सीट एससी के लिए आरक्षित है, जबकि भोक्ता जाति एसटी की सूची में सम्मिलित हो गई है। ऐसे में सत्यानंद भोक्ता वहां से अब चुनाव नहीं लड़ सकते।

    झारखंड विधानसभा के पूर्व विधानसभाध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी भी अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी को विधायक बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। पूर्व में उनके बेटे ने निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली।

    जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद खीरू महतो अपने बेटे दुष्यंत पटेल को मांडू से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। चर्चा है कि अपने बेटे या बेटी को टिकट दिलाने के प्रयास कर रहे नेताओं में रामेश्वर उरांव (पुत्र रोहित उरांव), सीता सोरेन (पुत्री जयश्री सोरेन), स्टीफन मरांडी (पुत्री उपासना मरांडी), रामचंद्र चंद्रवंशी (पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी), उमाशंकर अकेला (पुत्र रविशंकर अकेला), कमलेश सिंह (पुत्र सूर्या सिंह) आदि भी सम्मिलित हैं।

    अपनी सीट छोड़ना नहीं चाहते नेता

    झारखंड में कई ऐसे उदाहरण हैं, जब किसी संसदीय सीट से सांसद चुने जाने के बाद विधानसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र से बेटा, बेटी या पत्नी को चुनाव लड़ाने का प्रयास किया गया।

    रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से लगातार विधानसभा चुनाव जीतने वाले आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने वर्ष 2019 में गिरिडीह संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीता।

    उन्होंने उसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को टिकट दिला दिया। हालांकि, चंद्रप्रकाश को यह सीट खोनी पड़ी। बाद में वहां हुए उपचुनाव में सुनीता चौधरी को जीत मिली। इस विधानसभा चुनाव में भी सुनीता चौधरी का चुनाव लड़ना तय है।

    वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में दुमका और बरहेट दोनों सीट पर चुनाव जीतने के बाद दुमका सीट खाली करने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने भाई बसंत सोरेन को उपचुनाव लड़ाया। उन्हें जीत भी मिली।

    अभी चर्चा है कि इस वर्ष लोहरदगा संसदीय सीट लोकसभा चुनाव जीतनेवाले सुखदेव भगत अपनी पत्नी या बेटे को लोहरदगा से टिकट दिलाना चाहते हैं।

    धनबाद से लोकसभा चुनाव जीतने वाले ढुलू महतो भी अपनी बाघमारा विधानसभा सीट छोड़ना नहीं चाहते। वे अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के प्रयास में हैं।

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