रबर स्टांप CM के आरोप पर Champai Soren ने दिया जवाब, आदिवासियों की चुनौतियों का भी किया जिक्र; पढ़ें Exclusive Interview
झारखंड के नए मुख्यमंत्री किसी परिचय के मोहताज नहीं है। झारखंड के आंदोलन में इनकी महती भूमिका है। छात्र जीवन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन से प्रभावित होकर राजनीति में आए चंपई सोरेन समर्थकों के बीच झारखंड टाइगर कहे जाते हैं। चंपई सोरेन आदिवासी-मूलवासी समुदाय का जीवन स्तर उठाने से लेकर उन मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बातें रखते हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन किसी परिचय के मोहताज नहीं है। पृथक झारखंड के आंदोलन में इनकी महती भूमिका रही है। छात्र जीवन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन से प्रभावित होकर राजनीति में आए चंपई सोरेन समर्थकों के बीच 'झारखंड टाइगर' कहे जाते हैं।
चंपई सोरेन आदिवासी-मूलवासी समुदाय का जीवन स्तर उठाने से लेकर उन मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बातें रखते हैं जो झामुमो के कोर एजेंडे का हिस्सा है। उनका कहना है कि पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने अपने कार्यकाल के दौरान लंबी लकीर खींची। उसे सबके सहयोग से आगे बढ़ाना उनका लक्ष्य है।
नवनियुक्त मुख्यमंत्री चपंई सोरेन से उनकी भावी योजनाओं, रणनीति से लेकर विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रदीप सिंह ने।
आपकी सरकार का बहुमत परीक्षण होना है, आप इसे लेकर कितने निश्चिंत हैं?
देखिए, बहुमत को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। 2019 में चुनाव हुआ तो उसी समय सरकार को विश्वास मत प्राप्त हो गया है। जनादेश तो पूर्व से है। हमारे पास पूर्ण बहुमत है। इसलिए, फ्लोर टेस्ट में सदन में किसी प्रकार का कोई दिक्कत नहीं है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी तो दो वर्ष कोरोना देश-दुनिया ने देखा।
ऐसे में समय में उन्होंने नेतृत्व दिया। जनता में सुरक्षा की भावना आई। देखना यह होगा कि झारखंड प्रदेश को लोग सोने की चिड़िया समझते हैं। उसमें आदिवासी, मूलवासी कैस हालात में हैं? ठंड में उन्हें गर्म कपड़े नहीं मिलता। हेमंत सोरेन ने इस सामाजिक बुनियादी ढ़ांचे को समझा। उन्होंने एक लंबी लकीर खींची।
किस प्रकार से योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे, किस प्रकार की चुनौतियां आप देख रहे हैं?
वही तो मैं कह रहा हूं कि सामाजिक बुनियादी ढांचा ठीक करने पर काम आवश्यक है। पहले डीसी (उपायुक्त) गांव में नहीं जाते थे। जंगल के नीचे बसे गांवों में उनका आना-जाना नहीं था। आज क्या स्थिति है, आप खुद देखिए। डीसी, डीडीसी, निचले स्तर के अधिकारी जाते हैं।
सबको पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। जो आर्थिक तंगी में रहते थे, उन्हें राहत देने का प्रयास किया। आप यह समझ लीजिए कि आदिवासी-मूलवासी के घर में हेमंत सोरेन ने वैसा दीया जला दिया जो पानी भी बुझा नहीं सकता। एससी-एसटी बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजा।
झारखंड के खनिज संसाधन से 150 साल में तो पूंजीपित ही मालामाल हो रहे हैं। आदिवासी तो वहीं का वहीं है। सरकार बनने के साथ ही अस्थिर करने का प्रयास आरंभ हुआ। बुनियादी ढांचा मजबूत करना है, जो लंबी लकीर खींची है, उसे मजबूत करना है। टाइम बहुत कम है।
आप एक साधारण कार्यकर्ता से सीएम बने हैं। किस प्रकार से आपने यह लंबा सफर तय किया?
हम तो छात्र जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। गुरुजी (शिबू सोरेन) को आदर्श माना। स्टूडेंट लाइफ से संघर्ष करके आए। मजदूर आंदोलन में रहे। इसे मजबूती से हमने फेस किया। टाटा के साथ, यूसिल व एचसीएल के साथ, हमने मजदूरों के मुद्दे पर संघर्ष किया। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जनादेश प्राप्त हुआ है।
आपका लंबा संघर्ष जल, जंगल, जमीन के लिए रहा। इसे किस तरह आगे बढ़ाएंगे? आपने उन जमीनों को रैयतों को वापस लौटाया, जिनका उपयोग नहीं हो पाया।
आपका यह सवाल बहुत प्रासंगिक हुई। मुझे खुशी हुई कि इन विषयों को आज भी गंभीरता से आप ले रहे हैं। रांची शहर की ही बात करिए। सारा खेत-खलिहान आदिवासी का था। हमारे जमीन का नेचर (प्रकृति) बदल दिया गया। सब जमीन आदिवासी-मूलवासी का था। ऐसी कोई एजेंसी आ जाए कि हमारे खेत-खलिहान वापस कर दे।
भाजपा का आरोप है कि आप रबर स्टांप सीएम हैं। सरकार में निर्णय कहीं और से होगा।
ऐसी बातें सुनकर हंसी आती है। रबर स्टांप शब्द को इन्हें परिभाषित करना चाहिए। सरकार तो संसदीय प्रणाली से चलती है। जो कह रहे हैं, वे भी कभी सत्ता में रहे हैं। कैसे उन्हें पता चल गया कि मैं रबर स्टांप हूं। उनके पास इसका आधार क्या है और वे क्या बोलना चाहते हैं? उनका खुद का इतिहास क्या है? अपने समय में उन्होंने क्या काम किए? उनका संगठन यह बोल रहा है कि यह उनका व्यक्तिगत विचार है?
संगठन के स्तर पर आपके समक्ष क्या चुनौतियां होगी? आगे चुनाव भी होने हैं।
देखिए संगठन तो पार्टी के संविधान से चलता है। संगठन ही यहां तक पहुंचाता है। सत्ता तक आने के लिए संगठन आवश्यक है। चार फरवरी को धनबाद में पार्टी का स्थापना दिवस है। दुमका के स्थापना दिवस में हम गए। इस बार गुरुजी और हेमंत सोरेन नहीं थे। ज्यादा लोग आए थे। वे दुखी थे कि ये लोग नहीं आ पाए, लेकिन जो काम आरंभ हुआ था, उसे आगे बढ़ाना है। सभी लोग यह देखेंगे।
मंत्रिमंडल का विस्तार कबतक करेंगे? क्या किसी प्रकार का दबाव भी है।
बहुमत परीक्षण के तुरंत बाद मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। संगठन के लोगों से बात करेंगे। सहयोगी दल कांग्रेस के नेताओं से भी बातचीत करेंगे। अभी इस पर नहीं बोलेंगे कि कौन मंत्री बनेगा। हम उतावलापन मेंं नहीं है। समय काफी कम है। बजट सत्र भी होना है। लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता भी जल्द लागू हो जाएगा। कम समय है और काम बहुत करना है।
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