CGLपेपर लीक मामले में आया बड़ा अपडेट, झारखंड सरकार ने कहा- पेपर लीक होने का कोई साक्ष्य नहीं
झारखंड सरकार ने CGL परीक्षा पेपर लीक मामले पर बड़ा अपडेट दिया है। सरकार के अनुसार, गहन जांच के बाद भी पेपर लीक होने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। सरकार ने कहा है कि भविष्य में कोई नया सबूत मिलने पर मामले की दोबारा जांच की जा सकती है। सरकार पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

झारखंड हाई कोर्ट में सीजीएल पेपर लीक मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सीजीएल पेपर लीक मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई। अब प्रार्थियों की ओर से मामले में पक्ष रखा जाएगा। इसके लिए अदालत ने 29 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है।
अदालत ने सीजीएल परीक्षा के अंतिम परिणाम के प्रकाशन पर रोक को बरकरार रखा। रोक हटाने की मांग वाली याचिका पर अगली तिथि को सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि अब तक की जांच में पेपर लीक होने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। कोर्ट के आदेश पर संतोष मस्ताना से दोबारा पूछताछ की गई है। इस बार उनका बयान अलग है।
पूछताछ में मस्ताना ने बताया कि बैंक में कार्यरत एक युवती से उसकी जान पहचान है। बातचीत के दौरान उसने बताया था कि कुछ प्रश्न पहले भी परीक्षा में आ चुके थे और दोबारा वही प्रश्न आने से उसे पेपर लीक की आशंका हुई थी।
बाद में स्पष्ट हुआ कि यह गेस पेपर का मामला था, वास्तविक पेपर लीक का नहीं। उनकी ओर से राज्य के प्रत्येक जिले में चयनित अभ्यर्थियों की सूची प्रस्तुत की गई।
जिसके आधार पर कहा गया कि अगर पेपर लीक होता तो किसी लीक होने वाले जिले के सबसे ज्यादा अभ्यर्थी सफल होते। लेकिन ऐसा नहीं है। धनबाद जिले में ज्यादा अभ्यर्थी सफल नहीं हुए हैं, जबकि वहां पर ही पेपर लीक की बात सामने आई है।
चयनित अभ्यर्थियों ने की रिजल्ट प्रकाशन पर रोक हटाने की मांग
उन्होंने कहा कि यह कोचिंग संचालकों की ओर से पेपर लीक होने की अफवाह उड़ाई गई है, लेकिन हकीकत में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है। इस दौरान चयनित अभ्यर्थियों की ओर से परिणाम प्रकाशन पर रोक हटाने की मांग की गई।
लेकिन समयाभाव के कारण अदालत ने अगली तिथि में इस पर सुनवाई की बात कहते हुए परिणाम प्रकाशन पर रोक को बरकरार रखा। प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और समीर रंजन की ओर से पक्ष रखा गया।
बता दें कि प्रकाश कुमार व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर सीसीएल पेपर लीक होने का दावा किया है। याचिका में कहा गया है कि पेपर लीक की घटना हुई है और इसकी गहन जांच जरूरी है।
सीजीएल-2023 परीक्षा पहली बार 28 जनवरी 2024 को हुई थी। पेपर लीक की शिकायत के बाद इसे निरस्त कर दिया गया और एसआइटी का गठन हुआ। इसके बाद दोबारा 21 और 22 सितंबर 2024 को परीक्षा कराई गई, लेकिन उसमें भी पेपर लीक की बात सामने आई।
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