CGL Paper Leak मामले में हाई कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछे ये सवाल, अंतिम परिणाम प्रकाशन पर रोक बरकरार
झारखंड हाई कोर्ट ने CGL पेपर लीक मामले की सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी से कई सवाल पूछे और जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए। अदालत ने अंतिम परिणाम के प्रकाशन पर रोक बरकरार रखी है। मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तेजी से जांच करने के निर्देश दिए हैं।

सीजाएल पेपर लीक मामले में सरकार और आयोग की ओर से बहस पूरी कर ली गई है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सीजीएल पेपर लीक मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान बहस पूरी नहीं हो सकी।
अदालत ने अगली सुनवाई तीन नवंबर को निर्धारित की है। अदालत ने एक बार फिर सरकार के उस आग्रह को नहीं माना जिसमें उनकी ओर से अंतिम परिणाम प्रकाशन पर रोक को हटाने की मांग की गई है।
इस दौरान सरकार और आयोग की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। हस्तक्षेप कर्ता की ओर से अभी बहस जारी है। सुनवाई के दौरान सीआइडी के आइजी, डीआइजी एवं जांच अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए थे।
मोबाइल का काल लाग नहीं मिलने पर उसे रीस्टोर का क्यों नहीं हुआ प्रयास
अदालत ने जांच अधिकारी से पूछा कि जब एफएसएल जांच में मोबाइल के काल लाग नहीं मिला तो क्या उसे दोबारा प्राप्त करने की संभावना की तलाश की गई? इस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि इस पर भी मंतव्य लिया जाएगा। अभी जांच चल रही है।
उनकी ओर से कहा गया कि जांच के दौरान जो-जो तथ्य सामने आए थे। उसे शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया गया। ऐसे में प्रार्थी का आरोप सही नहीं है कि सरकार का बार-बार स्टैंड बदलता रहा है।
लेकिन अभी तक की जांच में पेपर लीक होने की बात सामने नहीं आई है। संतोष मस्ताना को गिरफ्तार करने के बाद भी पता चला है कि गेस पेपर से सवाल मिले थे। ऐसे में पेपर लीक होने के सबूत नहीं मिले हैं।
उनकी ओर से परिणाम जारी करने पर लगी रोक को हटाने का आग्रह किया गया। हस्तक्षेप कर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से दिया गए डाटा से ही सभी सवालों को जवाब मिल रहा है। 22 अगस्त को हुई परीक्षा में ज्यादा अभ्यर्थी इसलिए पास हुए थे, क्योंकि उस दिन भाषा का पेपर था।
दी गई दलील- पूरी परीक्षा को निरस्त करना उचित नहीं
क्षेत्रीय भाषा में ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। उनकी ओर से नीट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि पेपर लीक होने पर अगर ज्यादा लोग सफल नहीं होते हैं, तो पूरे परीक्षा को निरस्त करना उचित नहीं है।
पेपर लीक में कथित रूप से शामिल अभ्यर्थियों को अलग कर परिणाम जारी किया जा सकता है। जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह पक्ष रखा।
वहीं, प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और समीर रंजन ने पक्ष रखा। बता दें कि प्रकाश कुमार सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीजीएल पेपर लीक होने का आरोप लगा गया और इसकी जांच सीबीआइ कराने की मांग की गई है। 

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।