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    Jharkhand Health: आयुष्मान आरोग्य मंदिर की व्यवस्था से केंद्र संतुष्ट नहीं, गिनाईं कई खामियां

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 12:53 PM (IST)

    आयुष्मान आरोग्य मंदिर में एनसीडी (नन कम्युनिकेवल डिजीज) की सभी प्रकार की जांच नहीं हो रही है। लोगों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। कैंसर स्क्रीनिंग और वृद्धावस्था सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। केंद्र की कामन रिव्यू मिशन (सीआरएम) की टीम ने सैंपल के रूप में पूर्वी सिंहभूम और साहिबगंज के निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है।

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    केंद्र की कामन रिव्यू मिशन की टीम ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का निरीक्षण किया।

    नीरज अम्बष्ठ, रांची । Jharkhand Health आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में विकसित किए गए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों में एनसीडी (नन कम्युनिकेवल डिजीज) की सभी प्रकार की जांच नहीं हो रही है।

    इन केंद्रों पर यह जांच उच्च रक्तचाप और मधुमेह की सामान्य जांच तक ही सीमित है। कैंसर स्क्रीनिंग और वृद्धावस्था सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।

    केंद्र की कामन रिव्यू मिशन (सीआरएम) की टीम ने सैंपल के रूप में राज्य के दो जिलों पूर्वी सिंहभूम और साहिबगंज के निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है।

    इस टीम ने झारखंड सहित देश के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के चिह्नित जिलों में पिछले वर्ष नवंबर माह में Ayushman Arogya Mandir (स्वास्थ्य केंद्रों) का निरीक्षण किया था। 

    इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को मिली है। इस 16वें कामन रिव्यू मिशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि निरीक्षण की अवधि में झारखंड के उक्त दोनों जिलों में 12 सीपीएचसी (कंप्रीहेंसिव प्राइमरी हेल्थ केयर ) सेवा पैकेजों में से केवल सात ही शुरू किए गए थे।

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    रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य केंद्रों में पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन कुछ आयुष्मान आरोग्य मंदिर-एसएचसी में चारदीवारी और दिव्यांगों के अनुकूल पहुंच नहीं था।

    सभी ऐसे केंद्रों में बिजली बैकअप उपलब्ध नहीं था, जिससे सेवा निरंतरता प्रभावित हुई। टीकाकरण सेवाओं के लिए कोल्ड चेन प्रबंधन था, लेकिन कुछ केंद्रों में विशेष टीका भंडारण की कमी थी।

    केंद्रों पर गभर्वती महिलाओं की एंटी नेटल जांच, टीकाकरण और परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध थीं, लेकिन उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की जांच अपर्याप्त थी।

    प्रसव केंद्र होने के बाद भी कुछ एएएम-पीएचसी में IUCD नहीं लगाई जा रही थी। प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी के कारण ओरल, ब्रेस्ट और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच नहीं की जा रही थी।

    आरोग्य मंदिर-पीएचसी में दंत चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध थीं, लेकिन उपचार केवल दांत निकालने और लक्षणों से राहत तक ही सीमित था। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रशिक्षण के अभाव में सहिया मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया की रोकथाम में सहयोग नहीं दे पा रही थीं।

    बच्चों की जांच में शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग में समन्वय का अभाव

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच तथा उपचार में स्वास्थ्य विभाग तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बीच समन्वय का अभाव है।

    मोबाइल टीम में चिकित्सक एवं अलायड स्वास्थ्य कर्मियों की कमी भी सामने आई। रेफरल सेवाओं के अभाव में बच्चों को स्पेशल केयर समय पर नहीं मिला सका।

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