CBSE-JAC ने नियमों में किया बदलाव, अपार आईडी और पैन नंबर अनिवार्य, परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी
सीबीएसई और जैक ने 9वीं-11वीं के पंजीकरण और 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा के फॉर्म भरने के नियमों में बदलाव किया है। अब अपार आईडी और पैन नंबर अनिवार्य है। सीबीएसई ने एलओसी के साथ अपार आईडी जरूरी की है जबकि जैक ने पैन नंबर और यू-डायस प्लस कोड को अनिवार्य किया है। परीक्षा शुल्क में भी बढ़ोतरी हुई है।

जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर (पलामू)। सीबीएसई और झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) ने 9वीं-11वीं कक्षाओं के पंजीयन और 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा फार्म भरने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने के लिए अपार आईडी और पैन (परमानेंट एजुकेशन नंबर) देना अनिवार्य कर दिया गया है।
सीबीएसई की ओर से इस बार एलओसी (लिस्ट ऑफ कैंडिडेट) भेजने के साथ अपार आईडी दर्ज करना अनिवार्य किया गया है। हालांकि, पहली बार लागू होने के कारण जिन विद्यार्थियों की अपार आईडी जनरेट नहीं हो पाई है, वे फॉर्म भरने से वंचित नहीं होंगे।
ऐसी स्थिति में स्कूल प्रबंधन को संबंधित विद्यार्थी की स्थिति स्पष्ट करनी होगी। जैक की ओर से भी बड़ा बदलाव करते हुए पंजीयन और परीक्षा फॉर्म में पैन नंबर व संस्थान का यू-डायस प्लस कोड अनिवार्य कर दिया गया है।
अब केवल यू-डायस नंबर पर्याप्त नहीं होगा। जैक ने स्पष्ट किया है कि सत्र 2026-27 से सभी विद्यार्थियों का पंजीयन पैन नंबर के आधार पर ही होगा। साथ ही 75 प्रतिशत उपस्थिति को भी परीक्षा में शामिल होने की शर्त बना दिया गया है।
परीक्षा शुल्क में हुई बढ़ोतरी
सीबीएसई और झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने आगामी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर शुल्क और पंजीयन प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब 10वीं और 12वीं की परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों को पहले से अधिक शुल्क देना होगा।
परीक्षा शुल्क में प्रति थ्योरी विषय 300 रुपये की जगह 320 रुपये और प्रायोगिक विषय 150 रुपये की जगह 160 रुपये हो गया है। इस प्रकार 5 विषयों के लिए कुल शुल्क 1500 रुपये के बजाय 1600 रुपये देना होगा।
10वीं-12वीं की एलओसी बिना विलंब शुल्क 30 सितंबर तक भेजी जा सकेगी। 3 से 11 अक्टूबर तक विलंब शुल्क लगेगा। 9वीं-11वीं का पंजीयन बिना फाइन 16 अक्टूबर तक होगा। 17 से 31 अक्टूबर तक विलंब शुल्क के साथ पंजीयन होगा।
मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं फरवरी 2026 में संभावित हैं। जिले से मैट्रिक में लगभग 43,792 और इंटरमीडिएट में करीब 40,905 छात्र-छात्राएं परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। शिक्षा विभाग का मानना है कि नए नियम लागू होने से फर्जी परीक्षार्थियों की भागीदारी पर रोक लगेगी।
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