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    BSNL झारखंड सर्किल 2030 तक देगा 6जी की सुविधा, हर गांव तक ब्राडबैंड पहुंचाना लक्ष्य

    By Kumar Gaurav Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 18 Nov 2025 05:07 PM (IST)

    भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने झारखंड में दूरसंचार सेवाओं को बढ़ावा दिया है। बीएसएनएल झारखंड 2030 तक 6जी सेवा शुरू करने का लक्ष्य बना रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 800 से अधिक मोबाइल टावर लगाए गए हैं। 4जी सेवाओं के विस्तार से डेटा ट्रैफिक में वृद्धि हुई है। बीएसएनएल का लक्ष्य हर गांव तक ब्राडबैंड पहुंचाना है।

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    राज्य में 16 लाख लोगों को बीएसएनएल द्वारा मोबाइल की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

    कुमार गौरव, रांची। वर्ष 2000 में भारत के दूरसंचार इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा। केंद्र सरकार ने देश की दूरसंचार विरासत को आधुनिक युग में आगे बढ़ाने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की स्थापना की। उसी वर्ष देश के मानचित्र पर एक नया राज्य झारखंड अस्तित्व में आया। झारखंड सर्किल के जीएम ईबी उमेश प्रसाद साह ने बीएसएनएल की उपलब्धियों एवं योजनाओं पूरी की जानकारी दी। 

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    इसी के साथ शुरू हुआ बीएसएनएल झारखंड टेलीकाम सर्किल का सफर, एक नया मिशन, जिसका उद्देश्य था हर गांव, हर घर और हर नागरिक को संचार क्रांति से जोड़ना...। आज 16 लाख लोगों को बीएसएनएल द्वारा मोबाइल की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

    शुरुआती दिनों बीएसएनएल झारखंड के पास सीमित संसाधन थे, पुरानी प्रणालियां, कठिन भौगोलिक परिस्थितियां, जंगल, पहाड़ी क्षेत्र और दूरस्थ गांव, लेकिन दृढ़ संकल्प और तकनीकी उत्कृष्टता के बल पर इस सर्किल ने झारखंड में एक मजबूत दूरसंचार नेटवर्क की नींव रखी, जो आज लोगों की जीवनरेखा बन चुका है।

    BSNL Jharkhand

    शुरुआती कार्य जीएमटीडी रांची भवन के दो मंजिलों में और संकल्प भवन नामक किराये के भवन से शुरू हुआ। बाद में, वर्ष 2003 में यह कार्यालय एआरटीटीसी भवन में स्थानांतरित हुआ। मोबाइल सेवाओं का झारखंड में शुभारंभ वर्ष 2003 में हुआ, जब सी-डाट एमएससी पटना से झारखंड की 2जी मोबाइल ट्रैफिक केवल 13 मोबाइल बीटीएस से संचालित होती थी। वर्ष 2006 में इरिक्शन तकनीक के जुड़ने से नेटवर्क को मजबूती मिली।

    वर्ष 2009 में बीएसएनएल ने देश के 11 प्रमुख शहरों में 3जी सेवाएं शुरू कीं, जिसमें रांची भी शामिल था। जिसने झारखंड को हाई-स्पीड डेटा और वीडियो कालिंग के युग में प्रवेश दिलाया। बाद के वर्षों में जेडटीई एचएलआर, मीडिया गेटवे, एसजीएसएन जैसी नई प्रणालियां जोड़ी गईं।

    2016 में 4जी सेवाओं के शुभारंभ के साथ बीएसएनएल झारखंड ने दूरस्थ क्षेत्रों तक डिजिटल कनेक्टिविटी पहुंचाने का सपना साकार करना शुरू किया। वहीं, अगले 25 वर्षों में झारखंड सर्किल द्वारा 5जी को अपग्रेड कर हाईस्पीड 6जी की सुविधा देना प्राथमिकता है। साथ ही सीसीटीवी हैकिंग को कम करने के लिए सिक्योर्ड सीसीटीवी सर्विसेज और सिक्योर्ड इंटरनेट सर्विसेज देने की योजना है।

    नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 800 से अधिक मोबाइल टावर लगाए :

    वर्ष 2015-16 में, केंद्र सरकार के यूएसओएफ के सहयोग से, झारखंड के सबसे दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 800 से अधिक मोबाइल टावर लगाए गए, जिससे वहां के ग्रामीणों को पहली बार संचार की सुविधा मिली।

    2024 में बीएसएनएल झारखंड ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित सी-डाट 4जी सेवाएं शुरू कीं, जो भविष्य में 5जी अपग्रेडेबल हैं। यह परियोजना, 4जी सैचुरेशन प्रोजेक्ट, आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करती है। इस योजना के तहत 700 से अधिक नए 4जी टावर झारखंड के सबसे सुदूर इलाकों में लगाए गए, जहां पहले कोई भी निजी आपरेटर नहीं था। साथ ही, 816 एलडब्ल्यूई टावरों पर भी 4जी सेवाएं जोड़ी जा चुकी हैं।

    जहां कभी नेटवर्क 13 बीटीएस से शुरू हुआ था, आज यह संख्या लगभग 6000 मोबाइल बीटीएस तक पहुंच चुकी है, यह डिजिटल विभाजन को पाटने का जीवंत प्रमाण है। 4जी सेवाओं के बाद मात्र छह महीनों में डेटा ट्रैफिक 41 टीबी से बढ़कर 68 टीबी प्रतिदिन तक पहुंच गया।

    फाइबर टू द होम सेवाएं वर्ष 2020 में शुरू हुईं, जिसने सरकारी विभागों, अस्पतालों, स्कूलों और उद्योगों को नई डिजिटल शक्ति दी। 2024 तक बीएसएनएल झारखंड के एफटीटीएच ग्राहकों की संख्या 50,000 से अधिक हो गई। भारतनेट, ग्रामीण वाईफाई और एलडब्ल्यूई परियोजनाएं झारखंड के सुदूर इलाकों में ब्राडबैंड लेकर पहुंचीं।

    2013 में भारतनेट परियोजना की शुरुआत हुई और 2014 में गोला ब्लाक के बांदा ग्राम पंचायत से आप्टिकल फाइबर बिछाने का कार्य आरंभ हुआ। इसके बाद अगले सात वर्षों में 16,000 किमी से अधिक ओएफसी बिछाई गई, जिससे हर ग्राम पंचायत को जोड़ा जा सका।

    एआरटीटीसी परिसर में स्थित इसरो सैटेलाइट गेटवे स्टेशन बीएसएनएल झारखंड की उपलब्धियों में गौरव का प्रतीक है। जहां जी-सैट11 और जी-सैट 20 उपग्रहों की अर्थ स्टेशन मौजूद है। यह स्टेशन न केवल पूर्वोत्तर भारत बल्कि झारखंड के सुदूर मोबाइल साइटों के लिए भी संचार की रीढ़ है।

    वर्तमान में ये सुविधाएं मिल रही हैं

    •  इंटरप्राइज बिजनेस अब सर्किल की प्रमुख ताकत बन चुका है, कोयला, इस्पात, खनन, और ऊर्जा क्षेत्रों के लिए बीएसएनएल ने अनुकूलित डिजिटल समाधान प्रदान किए
    • बीसीसीएल, सीसीएल, सेल और विभिन्न सरकारी विभाग बीएसएनएल झारखंड के भरोसेमंद ग्राहक हैं
    • सेल बोकारो स्टील प्लांट के खदान क्षेत्रों गुवा, किरुबुरु, मेघातुबुरु में अत्याधुनिक संचार सुविधाएं दी गईं
    •  सितंबर 2025 में बीएसएनएल झारखंड ने सीएमपीडीआइ के साथ 5जी सीएनपीएन सेवाओं के लिए एमओयू साइन किया, जो देशभर के कोल इंडिया खदानों को जोड़ने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है
    •  झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग से 117 करोड़ का आर्डर प्राप्त हुआ, जिसके तहत अस्पतालों, सीएचसी, पीएचसी में वाईफाई सुविधाएं दी जा रही हैं
    •  वर्ष 2003 में बना एआरटीटीसी रांची एक उत्कृष्ट प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उभरा, जिसने कुशल इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ तैयार किए।
    •  ट्रिपल आइटी रांची, जीएसटी, एलआइसी जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं को बीएसएनएल ने अपने भवन किराये पर दिए
    • प्राकृतिक आपदाओं, चुनावों या महामारी जैसे कठिन समय में भी बीएसएनएल झारखंड ने अपनी सेवा जारी रखी।


    ये हैं भविष्य की कार्ययोजनाएं

    • आज जब भारत डिजिटल ट्रांसफार्मेशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, बीएसएनएल झारखंड डिजिटल इंडिया के विजन को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है
    • झारखंड सर्किल का अगला लक्ष्य है, हर गांव तक ब्राडबैंड पहुंचाना, हर नागरिक को डिजिटल सशक्तीकरण देना और हर कार्य में नवाचार व सतत विकास को आत्मसात करना
    •  भविष्य की तैयारी के तहत सर्किल 5जी युग के लिए तैयार हो रहा है, फाइबर नेटवर्क को सुदृढ़ बना रहा है और नवीकरणीय ऊर्जा व स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में अग्रसर है
    •  दो दशक से अधिक की यात्रा के बाद, बीएसएनएल झारखंड केवल एक दूरसंचार संस्था नहीं बल्कि राज्य के विकास का विश्वसनीय साथी बन चुका है।


    जीएम-ईबी से सीधी बातचीत 

    सवाल : बीएसएनएल ने संचार क्रांति को राज्य में कितना बढ़ावा दिया है?
    जीएम : झारखंड सर्किल की जब शुरुआत हुई थी तो हमारे पास एक भी बीटीएस टावर नहीं थे, पिछले 25 वर्षों में हमने 6000 बीटीएस टावर इंस्टाल कराए, विशेषकर दुर्गम क्षेत्रों में 800 से अधिक टावर लगाए।
    सवाल : क्या कनेक्टिविटी की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में समाप्त हो गई है?
    जीएम : राज्य के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की समस्या लगभग समाप्त हो चुकी है। हमने पहली बार 815 बीटीएस टावर उन क्षेत्रों में लगाए जहां नक्सलवाद चरम पर था।
    सवाल : आगामी क्या योजना है?
    जीएम : बीएसएनएल ने आगामी कार्ययोजना के तहत वर्ष 2026 में 5जी की शुरुआत करने और 2030 तक 6जी को जन जन तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    सवाल : 5जी सेवाएं देने में इतना विलंब क्यों हुआ?
    जीएम : वर्तमान में हम कार्पोरेट जगत को 5जी सेवाएं दे रहे हैं और संसाधनों की कोई कमी नहीं है लेकिन तकनीकी कारणों से आमजनों को हम 5जी सेवा देने में पीछे रह गए। 2026 में यह सेवा कम कीमत पर शुरु हो जाएगी।