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    Ranchi ठंड बढ़ते ही ब्रेन हेमरेज के मरीज, जानें कैसे करें बचाव

    By Anuj Tiwari Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Sat, 20 Dec 2025 01:08 AM (IST)

    रांची में ठंड बढ़ने के साथ ही ब्रेन हेमरेज के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। रिम्स में प्रतिदिन चार से पांच मरीज ब्रेन हेमरेज की शिकायत ...और पढ़ें

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    रांची में ठंड से ब्रेन हेमरेज के मामले बढ़ गए हैं।

    जागरण संवाददाता, रांची। राजधानी में तापमान गिरते ही ठिठुरन बढ़ गई है और इसके साथ ही ब्रेन हेमरेज के मरीजों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। रिम्स में प्रतिदिन चार से पांच मरीज ब्रेन हेमरेज की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। एक सप्ताह में करीब 30 मरीज इलाज के लिए रिम्स पहुंचे हैं, जिनमें से अधिकांश को गंभीर स्थिति के कारण भर्ती करना पड़ा है।

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    डाक्टरों के अनुसार हर साल ठंड के मौसम में ब्रेन हेमरेज के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है। ठंड में रक्तचाप अचानक बढ़ने का खतरा रहता है, जो ब्रेन हेमरेज का बड़ा कारण बनता है। रिम्स के मेडिसिन वार्ड में ऐसे मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जबकि गंभीर स्थिति वाले मरीजों को न्यूरोसर्जरी विभाग में रेफर किया जा रहा है।

    मेडिसिन विभाग के एचओडी डा. बी कुमार ने बताया कि ब्रेन हेमरेज के अधिकतर मरीज 40 वर्ष से ऊपर के आयु वर्ग के हैं। इनमें बड़ी संख्या उन लोगों की है, जिन्हें पहले से उच्च रक्तचाप (बीपी), मधुमेह या हृदय संबंधी बीमारी है। ठंड के कारण रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे बीपी तेजी से बढ़ता है और ब्रेन में रक्तस्राव की आशंका बढ़ जाती है।

    ब्रेन हेमरेज के प्रमुख लक्षण :

    डा. कुमार के अनुसार अचानक तेज सिरदर्द, उल्टी, चक्कर आना, बोलने में दिक्कत, शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या सुन्नता, बेहोशी और नजर धुंधली होना ब्रेन हेमरेज के प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखते ही बिना देर किए मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए।

    डाक्टरों का कहना है कि ब्रेन हेमरेज के मामलों में समय पर इलाज बेहद जरूरी है। शुरुआती घंटों में सही इलाज मिलने से जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। गंभीर मरीजों को आइसीयू और न्यूरोसर्जरी की जरूरत पड़ती है।

    ठंड में कैसे बरतें सावधानी :

    डाक्टरों ने खासकर बुजुर्गों और बच्चों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दी है। जिसमें बताया गया कि उच्च रक्तचाप के मरीज नियमित दवा लें और बीपी की जांच करते रहें। बहुत ठंड में सुबह-सुबह बाहर टहलने से बचें, धूप निकलने के बाद ही वाक करें। सिर, कान और छाती को ढककर रखें, ठंडी हवा से बचें।

    साथ ही ठंडे पानी से न नहाएं, धूम्रपान और शराब से परहेज करें। नमक का सेवन सीमित रखें और संतुलित आहार लें। डाक्टरों का कहना है कि ठंड के मौसम में थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। समय पर सावधानी, नियमित दवा और लक्षण दिखते ही त्वरित इलाज से ब्रेन हेमरेज के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

    ठंड में क्यों बढ़ जाता है ब्रेन हेमरेज का खतरा :

    विशेषज्ञों के अनुसार सर्द मौसम में शरीर की रक्त नलिकाएं स्वत सिकुड़ जाती हैं। इससे रक्तचाप सामान्य से अधिक बढ़ जाता है। जिन लोगों को पहले से हाई बीपी की शिकायत है या जो अनियमित दवा लेते हैं, उनमें यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ठंड में शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिमाग की नाजुक नसों पर दबाव बढ़ता है और नस फटने की आशंका रहती है।

    लापरवाही बढ़ा रहे जोखिम :

    डाक्टरों का कहना है कि ठंड के मौसम में लोग अक्सर बीपी की दवा छोड़ देते हैं या नियमित जांच नहीं कराते। इसके अलावा अधिक तला-भुना भोजन, नमक का ज्यादा सेवन, धूम्रपान और शराब का उपयोग ब्रेन हेमरेज के खतरे को और बढ़ा देता है। कई मामलों में देखा गया है कि मरीजों को शुरुआती लक्षण दिखते हैं, लेकिन वे इसे ठंड या कमजोरी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है।

    बुजुर्गों और बच्चों के लिए अलग सावधानी जरूरी :

    हालांकि ब्रेन हेमरेज के मरीज अधिकतर 40 वर्ष से ऊपर के हैं, लेकिन डाक्टरों का कहना है कि अत्यधिक ठंड बच्चों के लिए भी खतरनाक हो सकती है। बच्चों में तेज बुखार, झटके या अचानक बेहोशी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

    बुजुर्गों को सुबह-शाम ठंडी हवा से बचना चाहिए और पर्याप्त गर्म कपड़े पहनने चाहिए। रिम्स के चिकित्सकों का कहना है कि ब्रेन हेमरेज कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि इसके पीछे लंबे समय से चली आ रही समस्याएं होती हैं। समय पर जांच, सही जीवनशैली और ठंड में विशेष सावधानी से इस गंभीर समस्या से बचाव संभव है। लक्षण दिखने पर घरेलू इलाज के बजाय तुरंत अस्पताल पहुंचना लाभदायक होता है।